काशी में दिवाली पर मुस्लिम महिलाओं ने उतारी भगवान राम की आरती, बोलीं- हम सब इन्हीं के वंशज
वाराणसी में कुछ मुस्लिम महिलाएं 20 साल से लगातार दिवाली पर भगवान श्रीराम की आरती करती आ रही हैं. उन्होंने इस दिवाली पर भी वे ऐसा ही कर रही हैं. उनका कहना है कि हमारे पूर्वज एक थें हमारी जड़े मजबूत हैं. हम सब प्रभु श्रीराम के वंशज हैं.

वाराणसी में दीपावली पर कई मुस्लिम महिलाओं ने प्रभु श्रीराम की आरती की और अपने हाथों से रंगोली बनाई. इसके अलावा भगवान श्रीराम की प्रतिमा को फूलों से सजाने के साथ-साथ आरती भी गाई. इन महिलाओं का मानना है कि राम नाम के दीपक से दुनिया में नफरत का अंधकार खत्म हो सकता है. वाराणसी में हुए ब्लास्ट के बाद से ये मुस्लिम महिलाएं साल 2006 से भगवान श्रीराम की आरती कर सांप्रदायिक एकता और सौहार्द का संदेश देती आ रही हैं.
हम सबके हैं प्रभु श्रीराम
बीस साल से दीपावली पर गंगा-जमुनी सन्देश देती ये मुस्लिम महिलाएं कहती हैं कि हमारे पूर्वज एक थें हमारी जड़े मजबूत हैं. हम सब प्रभु श्रीराम के वंशज हैं. आरती में शामिल नजमा परवीन ने कहा कि हमने प्रभु श्रीराम और माता जानकी की आरती की. ऐसा करने के पीछे हमारा उद्देश्य यही है कि हम देश को बताएं कि हमारी साझी संस्कृति और साझी विरासत रही है. प्रभु श्रीराम हम सबके हैं. उन्हीं के दिखाए रास्ते पर चलकर सुख, शांति एवं समृद्धि तक पहुंचा जा सकता है.
8 पीढ़ी पहले हिंदू थे
जौनपुर के मोहम्मद शहाबुद्दीन जोसफ तिवारी ने कहा कि आठ पीढ़ी पहले हमारे पूर्वज उन सैकड़ों ब्राह्मण परिवारों में से एक थे जो औरंगजेब के अत्याचार के कारण कन्वर्ट हुए. बटुक तिवारी आठ पीढ़ी पहले इस्लाम स्वीकार किए थे. लेकिन हम लोगों ने पिछले कुछ सालों से वापस सपनी संस्कृति और विरासत की ओर लौटना शुरू किया है. आज आठ पीढ़ी के बाद हम दीपावली मना रहे हैं और श्रीराम आरती कर रहे हैं ये हमारा सौभाग्य है. उन्होंने आगे कहा कि नफरत सीखाने वाले खुद ही 72 फिरकों में बंटे हैं जो कि 72 हूरों की बात करते हैं.