ठाकुर बांके बिहारी मंदिर को रास नहीं आ रहा बाहर का बना भोग, 22 साल बाद बदलेगी व्यवस्था
वृन्दावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में 22 साल बाद भोग प्रसाद के लिए फिर से अपनी रसोई शुरू हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी में आए इस प्रस्ताव पर सभी सदस्यों ने सहमति दी है. इससे उम्मीद है कि जल्द ही 22 साल पहले बंद हो चुकी इस परंपरा को फिर से शुरू कर दिया जाए. इस परंपरा के शुरू से भक्तों को भी प्रसाद मिल सकेगा.
उत्तर प्रदेश के वृंदावन में विराजमान ठाकुर बांके बिहारी के मंदिर की व्यवस्था में जल्द ही बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. यह बदलाव खासतौर पर मंदिर के भोग-प्रसाद की व्यवस्था में होगा. इसमें 22 साल पहले मंदिर में बंद हो चुकी भोग-प्रसाद बनाने की परंपरा को दोबारा से चालू करने की योजना है. इस योजना के तहत ठाकुर जी का भोग तो मंदिर में बनेगा ही, यहां दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को भी वितरित किया जा सकेगा. इसके लिए काउंटर लगाकर टोकन सिस्टम शुरू किया जाएगा.
इस संबंध में एक प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित बांके बिहारी हाई लेबल मैनेजमेंट कमेटी की बैठक में रखा गया है. कमेटी के सदस्यों ने इस प्रस्ताव पर सहमति भी जताई है. इससे उम्मीद है कि जल्द ही 22 पहले बंद हो चुकी इस परंपरा को दोबारा से शुरू किया जा सकता है. यह जानकारी ठाकुर बांके बिहारी हाई लेवल मैनेजमेंट कमेटी के सदस्य दिनेश गोस्वामी ने दी. उन्होंने यह व्यवस्था प्राचीन काल से चली आ रही यह व्यवस्था 22 साल पहले तक थी. हालांकि उस समय किन्हीं कारणों से इसे बंद कर दिया गया था.
भक्तों को भी मिलेगा प्रसाद
22 साल तक पहले तक की भोग व्यवस्था के तहत ठाकुर जी की अपनी रसोई हुआ करती थी. उसमें केवल ठाकुर जी का ही भोग प्रसाद बनता था. हालांकि अब व्यवस्था में सुधार के तहत जब यह परंपरा दोबारा से शुरू हो रही है, तो इसमें कोशिश है कि ठाकुर जी की रसोई में बने भोग प्रसाद का आनंद उनके भक्तों को भी मिल सके. इसके लिए मंदिर में टोकन सिस्टम शुरू किया जाएगा. जहां से श्रद्धालु अपनी सुविधा के मुताबिक प्रसाद बुक कर सकेंगे.
ये है प्रसाद के मेन्यू
ठाकुर जी के भोग प्रसाद का मेन्यू तय है. इसके मुताबिक भगवान को शुद्ध देसी घी से बने दैनिक पारस, पक्की रसोई एवं पाकवान, सोहन हलुआ, बालूशाही, मठरी, कई तरह के लड्डुओं का भोग लगता है. इसके अलावा विशेष मौके जैसे राधा अष्टमी पर ठाकुर जी को चाव चबैनी, शरद पूर्णिमा पर चंद्रकला, बिहारी पंचमी पर बादाम-मूंगदाल-सूजी के मोहन भोग हलुआ एवं खोआ के लड्डू, पेड़ा, कुलैया, खीर सागर आदि प्रसाद बनाए जाते हैं. अभी यह प्रसाद ठाकुर जी के लिए बाहर से बनकर आता है. लेकिन उम्मीद है कि अब एक बार फिर से यह सुविधा मंदिर के गेट नंबर तीन के पास स्थित भोग भंडार में शुरू हो जाएगी.