लखनऊ: साइबर फ्रॉड मामले में यूनियन बैंक मैनेजर समेत 4 गिरफ्तार, ऐसे करते थे ठगी
यूपी STF ने एक बड़े साइबर फ्रॉड गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो जाली दस्तावेजों से लोन पास कराकर धोखाधड़ी करता था. गिरोह में यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया के एक मैनेजर सहित चार आरोपी शामिल थे, जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है. गिरोह लखनऊ और आसपास के जिलों में साल 2025 से सक्रिय था.

उत्तर प्रदेश स्टेट टास्क फोर्स (UPSTF) ने एक बड़े साइबर फ्रॉड गिरोह का भंडाफोड़ किया है. गिरोह मुद्रा और ऑटो लोन के लिए जाली दस्तावेज़ों का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी करता था. एसटीएस ने मामले में यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया के एक मैनेजर सहित चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने कई जाली दस्तावेज़, चार वाहन और अन्य महत्वपूर्ण सामान बरामद किया है.
यह गिरोह लखनऊ के ओमेक्स सिटी में सक्रिय था. यूपी STF ने सभी आरोपियों को लखनऊ के थाना सुशात गोल्फ सिटी इलाके से गिरफ्तार किया है. चारों न्यू हजरतगंज के अपार्टमेंट ओमेक्स सिटी में सातवीं मंजिल पर आफिस नंबर-719 से अरेस्ट हुए हैं. गिरोह का मास्टरमाइंड यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया के जानकीपुरम शाखा के मैनेजर गौरव सिंह का है, जो मूल रूप से कानपुर का रहने वाला है.
बैंक मैनेजर के साथ ये तीन भी गिरफ्तार
बैंक मैनेजर गौरव सिंह वर्तमान में लखनऊ के विकास नगर थाना क्षेत्र के लेबर अड्डा चौराहे का पास रहता है. एसटीएफ ने इसके साथ नावेद हसन, जानकीपुरम, अखिलेश तिवारी, मानस विहार आलम नगर, तालकटोरा और इंद्रजीत सिंह, बालागंज थाना के नीलकंठ हॉस्पीटल के पास रहने वाला है. ये चारो एक गिरोह के तहत बैंक से लोन लेने वालों को अपना शिकार बना ठगी करते थे.
268 वर्क लोन दस्तावेज, चार गाड़ियां बरामद
एसटीएफ की टीम कई दिनों से इस गिरोह की तालाश में थी. गिरफ्तार करने के बाद उनके पास से 1 डेक्सटाप (जिससे कूटरचित दस्तावेज तैयार किये जाते थे) 268 वर्क लोन प्रकिया से सम्बन्धित दस्तावेजों की छायाप्रति, 4 चार पहिया वाहन (बीएमडब्लू एक्स 1, सुजुकी बालेनो, सुजुकी फोन्श, महिन्द्र सुपरो,) और कई ठगी के जुड़े कई अहम दस्तावेज बरामद किया है.
गिरोह लखनऊ और आस-पास के जिलों में सक्रिय
ये गिरोह लखनऊ और आस-पास के जिलों में सक्रिय था. ये कूटरचित दस्तावेज़ों और बैंक कर्मचारियों की आईडी हैक करके मुद्रा लोन और ऑटो लोन पास कराने का झांसा देते थे, फिर उनके इसके नाम पर करोड़ों रुपए हड़प लेते थे. ये गिरोह साल 2015 से चल रहा था, अब तक चारों आरोपियों ने 20 से ज्यादा गाड़ियां फाइनेंस करा चुकी है, और करोड़ों रुपए का घोटाला किया है.
संगठित तरीके से धोखाधड़ी को देता था अंजाम
गिरोह संगठित तरीके से धोखाधड़ी को अंजाम देता था, चारों के काम बंटे हुए थे. नावेद हसन और अखिलेश तिवारी फर्जी दस्तावेज तैयार करते थे. तीसरे आरोपी इंद्रजीत कस्टमर की तलाश करता था. और आखिर में बैंक मैनेजर गौरव सिंह फर्जी तरीके के दूसरे कर्मचारी के आईडी से लोन को अप्रूव करने का काम करता था. पुलिस ने गिरोह के बाकी सदस्यों की तलाश तेज कर दी है.