29 का दिखने के लिए 7 बार कराई सर्जरी… 49 साल की लोला की कहानी, जिसे ढूंढ रही है UP पुलिस

लखनऊ में पकड़े गए एक अंतर्राष्ट्रीय सेक्स रैकेट ने शहर को हिलाकर रख दिया है. इस रैकेट में लखनऊ के रहने वाले एक प्लास्टिक सर्जन डॉक्टर की भी संदिग्ध भूमिका है. डॉक्टर ने रैकेट की मास्टरमाइंड लोला कायूमोवा सहित कई महिलाओं की प्लास्टिक सर्जरी की थी ताकि उनकी पहचान को बदला जा सके.

अपने कथित हसबैंड त्रिजिन के साथ लोला कायमोवा (फाइल फोटो) Image Credit:

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक अंतरराष्ट्रीय सेक्स रैकेट का भंडाफोड़ होने से पूरा शहर हिल गया है. इस रैकेट में लखनऊ के प्लास्टिक सर्जन डॉ. विवेक गुप्ता की संलिप्तता सामने आई है. डॉक्टर ने रैकेट की मास्टरमाइंड लोला कायमोवा समेत कई महिलाओं की प्लास्टिक सर्जरी कर उनकी पहचान बदल दी थी. लोला उज्बेकिस्तान से भागकर आई थी और कई सालों से यहां अपना रैकेट चला रही थी.

इस रैकेट की जड़ें लखनऊ और दिल्ली से लेकर उज्बेकिस्तान और थाईलैंड तक फैली हुई थीं. रैकेट की मास्टरमाइंड लोला कायमोवा ने अपनी उम्र को मात देने के लिए सात बार प्लास्टिक सर्जरी कराई थी, ताकि वह 49 की उम्र में 29 की दिख सके. 21 जून की रात एक गुप्त सूचना पर पुलिस ने लखनऊ के ओमेक्स हजरतगंज अपार्टमेंट की पांचवीं मंजिल पर फ्लैट नंबर 527 पर छापा मारा, जहां से इस रैकेट का पर्दाफाश हुआ. यह फ्लैट शहर के प्लास्टिक सर्जन के डॉक्टर विवेक गुप्ता का था.

चेहरा से लेकर प्राइवेट पार्ट्स तक की सर्जरी

21 जून की रात लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी थाने को सूचना मिली. खबर मिली कि ओमेक्स हजरतगंज अपार्टमेंट की 5वीं मंजिल पर फ्लैट नंबर 527 में कुछ संदिग्ध गतिविधियां चल रही हैं. पुलिस और विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (FRRO) की संयुक्त टीम ने तुरंत छापेमारी की. वहां से दो उज्बेक महिलाएं होलीदा और निलोफर को हिरासत में लिया गया. दोनों के पास न तो पासपोर्ट था और न ही वीजा.

पूछताछ में पता चला कि यह फ्लैट शहर में प्लास्टिक सर्जन डॉ. विवेक गुप्ता का है. इन लड़कियों ने बताया कि डॉ. विवेक गुप्ता ने उनकी पहचान बदलने के लिए उनकी प्लास्टिक सर्जरी की थी, ताकि वे भारतीय माहौल में घुल-मिल सकें और विदेशी न दिखें. इस रैकेट की मास्टरमाइंड लोला कायमोवा थी, जो उज्बेकिस्तान से भागकर लखनऊ में छिपी हुई थी.

लोला इस रैकेट को चलाती थी, उसने जवान दिखने के लिए 7 बार सर्जरी कराई थी. लोला न सिर्फ इस रैकेट को संचालित करती थी, बल्कि अपनी जवानी बरकरार रखने के लिए डॉ. विवेक से सात बार प्लास्टिक सर्जरी भी करवाती थी. जवान दिखने के लिए लोला ने अपने चेहरे, होठों, अंडरआर्म्स और प्राइवेट पार्ट्स की सर्जरी करवाई थी. वह सितंबर 2013 में नेपाल के रास्ते उज्बेकिस्तान से भारत आई थी.

लखनऊ से दिल्ली-NCR तक लड़कियों की सप्लाई

लोला कायमोवा की कहानी किसी थ्रिलर फिल्म से कम नहीं है. सितंबर 2013 में उसने उज्बेकिस्तान में पासपोर्ट बनवाया और नेपाल के रास्ते भारत पहुंच गई. वह सीधे दिल्ली-एनसीआर में आकर बस गई, जहां स्थानीय एजेंटों के जरिए सेक्स रैकेट में शामिल हो गई. यहीं पर उसकी मुलाकात केरल के वरेनम निवासी त्रिजिन राज उर्फ ​​अर्जुन राणा से हुई, जो खुद को पत्रकार बताता था. 2014 में लोला त्रिजिन के साथ लखनऊ आ गई और ओमेक्स आर-वन के फ्लैट नंबर 104 में रहने लगी.

लोला जल्द ही दिल्ली और लखनऊ के स्पा सेंटर और होटलों में अपनी सेवाएं देने लगी. उसे समझ आ गया कि भारत में विदेशी लड़कियों की डिमांड बहुत ज्यादा है. वह उज्बेकिस्तान की युवतियों को बहला-फुसलाकर भारत लाती थी और उन्हें अपने रैकेट में शामिल कर लेती थी. उसका नेटवर्क इतना मजबूत था कि वह लड़कियों को लखनऊ और दिल्ली-एनसीआर के पॉश इलाकों के स्पा सेंटर, होटल और फ्लैट में भेजती थी.

लोला ने अपनी पहचान छिपाने के लिए भी गजब की चालाकी दिखाई. 2023 में वीजा खत्म होने के बाद उसने ट्राइजिन की मदद से फर्जी दस्तावेज बनवा लिए. उसने खुद को अप्रवासी भारतीय (एनआरआई) बताकर लखनऊ के पते पर आधार कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लिया. आधार कार्ड में उसने अपने पिता का नाम जनक प्रताप सिंह और पता ओमेक्स आर-1, ऑर्किड-बी दर्ज कराया. उसका ड्राइविंग लाइसेंस 11 जून 2025 को जारी हुआ, जो 2035 तक वैध है.

थाईलैंड में डॉक्टर और लोला की हुई थी मुलाकात

लोला ने रैकेट से कमाए पैसों से ओमेक्स आर-वन में फ्लैट नंबर 103 खरीदा और वहीं से अपना धंधा चलाने लगी. अपार्टमेंट के गार्ड और स्थानीय लोग उसे एनआरआई मानते थे और इसी छवि का फायदा उठाकर वह बेखौफ अपना रैकेट चलाती थी. लखनऊ के अहिमामऊ और गोमतीनगर में मिनर्वा क्लीनिक चलाने वाले डॉ. विवेक गुप्ता इस रैकेट का अहम हिस्सा बन गए. थाईलैंड में उनकी मुलाकात लोला से हुई और यहीं से दोनों के बीच सांठगांठ शुरू हुई.

डॉ. विवेक ने न सिर्फ लोला की सात बार प्लास्टिक सर्जरी की, बल्कि होलीडा और निलोफर जैसी दूसरी विदेशी लड़कियों के चेहरे भी इस तरह बदले कि उनका लुक ‘रूसी’ हो जाए. डॉ. विवेक ने बिना दस्तावेजों की जांच किए और मोटी रकम लेकर सर्जरी कर दी. उनका क्लीनिक इस रैकेट का गुप्त केंद्र बन गया. छापेमारी के बाद से ही डॉ. विवेक और लोला फरार हैं और पुलिस उनकी तलाश कर रही है.