‘मेरे उंगली रखने से पहले कर देते थे साइन’, आजम ने मुलायम सिंह को बताया अपना आशिक और माशूक

सीतापुर जेल से छूटकर आए आजम खान ने मुलायम सिंह यादव को 'आशिक और माशूक' बताया. कहा कि मुलायम उन पर इतना भरोसा करते थे कि बिना देखे हस्ताक्षर कर देते थे. आजम ने जौहर यूनिवर्सिटी को अपनी कलम की मांग बताया और अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत पर भी बात की. उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने कभी निजी लाभ के लिए काम नहीं किया.

सपा नेता आजम खान Image Credit:

समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव आज नहीं है, लेकिन आज भी उन्हें याद कर पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान भावुक हो जाते हैं. सीतापुर की जेल से 23 महीने छूटकर घर पहुंचे आजम खान ने अपने लोगों से मुलायम सिंह की बात करते हैं. कहते हैं उनके जैसा नेता ना कभी हुआ और ना होगा. वह मुलायम सिंह से अपने संबंधों की चर्चा करते हुए कहते हैं कि वह उनके आशिक और माशूक थे. इस दौरान आजम खान ने कहा कि मुलायम सिंह को उनके ऊपर इतना विश्वास था कि उनके उंगली रखने से पहले ही वह साइन कर देते थे.

एक मीडिया संस्थान को दिए इंटरव्यू में आजम खान ने अपने राजनीतिक जीवन के शुरुआती पलों को याद किया. कहा कि वह लंबे समय तक सत्ता में रहे. मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे और वह खुद कैबिनेट में थे. बावजूद इसके, उन्होंने अपने खुद के लिए कभी कुछ नहीं चाहा. उन्होंने एक बार मुलायम सिंह से कहा कि उन्हें कलम चहिए और उन्होंने बिना सोचे जौहर यूनिवर्सिटी के रूप में उनकी यह मांग पूरी कर दी. यह भी नहीं पूछा कि दस्तखत कहां करने हैं.

सियासत में आया नहीं, लाया गया हूं

आजम खान कहते हैं कि उन्हें सियासत कभी पसंद नहीं आई. उनका कभी इरादा भी नहीं था कि वह राजनीति करें. बल्कि उनका तो बचपन से ही सपना था कि वह लेक्चरर बने और बच्चों को पढ़ाएं. उनकी नौकरी भी लग रही थी, लेकिन वक्त उनके साथ कुछ अलग ही खेल खेल रहा था. उन्होंने कहा कि जब देश में इमरजेंसी लगी, वह एलएलएम के फाइनल सेमेस्टर में थे, स्टूडेंट यूनियन के सेक्रेटरी थे, लेकिन देश के इस मुश्किल दौर में उन्हें राजनीति में उतरने को विवश कर दिया गया. उन्होंने कहा कि उनके दिलो दिमाग में उनका सपना आज भी जिंदा है. इसलिए उनका पूरा फोकस जौहर यूनिवर्सिटी पर है.

अपने ऊपर लगे आरोपों पर दो टूक बोले आजम

अपने ऊपर लगे आरोपों पर आजम खान ने अपने चिर परिचित अंदाज में जवाब दिया. इंटरव्यू में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए आजम खान ने कहा कि उनके खिलाफ एक भी जुर्म का सबूत मिलता है, तो वह जिम्मेदारी लेने से पीछे नहीं हटेंगे. कहा कि 50 साल की सियासत में उन्होंने कभी अपने लिए कुछ नहीं किया. जिन जमीनों को कब्जाने के आरोप लगे हैं, उसमें उनकी कोई भूमिका नहीं है, बल्कि वह उनकी जाति और बिरादरी के लोगों के कब्जे में थीं. यहां तक कि यूनिवर्सिटी के अंदर पौने चार बीघे जमीन का मामला भी उनके संज्ञान में नहीं था.