2027 इलेक्शन के लिए बसपा की पॉलिटिकल स्क्रिप्ट लिखेंगे ‘आकाश आनंद और कपिल मिश्रा’

मायावती ने लखनऊ की महारैली में आकाश आनंद और कपिल मिश्रा को लेकर जो फैसले लिए हैं वह इस बात के संकेत हैं बसपा अब युवा नेतृत्व की तरफ बढ़ रही है. ऐसे में माना जा रहा है पार्टी के लिए 2027 विधानसभा चुनावों के पॉलिटिकल स्क्रिप्ट यही दोनों युवा लिखेंगे.

आकाश आनंद और कपिल मिश्रा

09 अक्टूबर की लखनऊ में रैली के दौरान बसपा सुप्रीमों मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी में भविष्य के नेता के तौर पर लॉन्च किया. इसके अलावा सतीश चंद्र मिश्रा के बेटे कपिल मिश्रा को भरोसेमंद युवा नेता के तौर पर स्थापित करने की कोशिश की. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक मायावती के ये फैसले दिखा रहे हैं कि अब वे पार्टी को युवा नेतृत्व देने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं.

मायावती ने कांशीराम के पुण्यतिथि पर आयोजित महारैली में आकाश आनंद को पार्टी में उनकी भूमिका को लेकर तस्वीर साफ करने की कोशिश की. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि आकाश ही पार्टी के भविष्य हैं. मायावती ने जनसभा में आए समर्थकों से कहा कि जिस प्रकार आप लोगों ने कांशीराम और मेरा साथ दिया वैसा ही समर्थन और सहयोग आकाश आनंद को भी दीजिएगा क्यूंकि यही पार्टी के भविष्य हैं.

सतीश चंद्र मिश्रा के बेटे की भी लॉन्चिंग

आकाश भी जनसभा के दौरान अपनी बुआ और बसपा सुप्रीमो के साथ परछाई की तरह साथ रहें. अपने संबोधन की शुरुआत और अंत में उन्होंने मायावती के पांव छूकर समर्थकों का दिल जीतने की कोशिश भी की. इसके साथ ही मायावती ने बसपा के वरिष्ठ नेता सतीश चंद्र मिश्रा के बेटे कपिल मिश्रा की भी लॉन्चिंग की. मायावती ने कहा कि कपिल मिश्रा सतीश चंद्र मिश्रा की ही तरह पार्टी के भरोसेमंद युवा नेता हैं और पार्टी को मजबूत करने के साथ साथ कांशीराम के मिशन को पूरा करने के लिए काम करेंगे.

मायावती के कदम को वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र कुमार कैसे आंकते हैं

बसपा सुप्रीमों के इस महत्वपूर्ण फैसले पर राजनैतिक विश्लेषकों को कोई हैरानी नही हुई. वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र कुमार ने टीवी 9 को बताया कि लोकसभा चुनाव में भी आकाश आनंद को कुछ हद तक पार्टी की जिम्मेदारी दी गई थी. हालांकि सीतापुर की चुनावी जनसभा में उनके अपरिपक्व बयान के बाद उनको साइड लाइन कर दिया गया था. मायावती ने इसका संकेत पहले ही दे दिया था कि आकाश आनंद पार्टी में उनके बाद महत्वपूर्ण नेता हैं.लेकिन 9 अक्टूबर को उन्होंने इसकी औपचारिक घोषणा की.

कांशीराम ने परिवार का किया था विरोध

उन्होंने आगे कहा कि आकाश आनंद को पार्टी का भविष्य घोषित किया ये बड़ी बात है. क्योंकि जिस परिवारवाद का कांशीराम ने ज़िन्दगी भर विरोध किया तो उसी की घोषणा मायावती ने उनके पूण्यतिथि पर किया. कांशीराम ने अपने परिवार के किसी सदस्य को पार्टी में नही आने दिया. अब उसी बसपा में मायावती के बाद उनके भाई आनंद, भतीजे आकाश आनंद और उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ ही सर्वे सर्वा हैं.

मायावती यहीं नहीं रुकी बल्कि अपने भरोसेमंद सतीश चंद्र मिश्रा के बेटे कपिल मिश्रा को भी ये कहकर लॉन्च किया कि ये पार्टी के भरोसेमंद युवा नेता हैं जो कांशीराम का मिशन पूरा करने में पार्टी का सहयोग करेंगे. यानी कि जैसे सतीश चंद्र मिश्रा मायावती लिए भरोसेमंद थे अब आकाश आनंद के लिए कपिल मिश्रा उसी भूमिका में होंगे. हालांकि सतीश चंद्र मिश्रा के परिवार के लोग पहले से ही पार्टी से जुड़े हुए हैं. उनकी पत्नी और बहनें भी पार्टी का प्रचार कर चुकी हैं.

यंग लीडरशिप को लेकर वरिष्ठ पत्रकार शंभूनाथ शुक्ला का क्या है मानना?

वरिष्ठ पत्रकार शंभूनाथ शुक्ला अभी भी मायावती को ही लम्बे समय तक पार्टी का सर्वे सर्वा मान रहे हैं. शंभूनाथ शुक्ला ने टीवी 9 से कहा कि मायावती जी की वर्किंग स्टाइल को जो लोग जानते हैं वो आकाश आनंद को एक सहयोगी से ज़्यादा और किसी दूसरी भूमिका में नहीं देख सकते. अभी मायावती एक्टिव पॉलिटिक्स में हैं और पार्टी का हर महत्वपूर्ण फ़ैसला वो ख़ुद करेंगी.

उन्होंने आगे कहा कि आकाश आनंद युवा हैं और पार्टी को युवा सोच से जोड़ेंगे. उनकी कोशिश होगी कि युवा बसपा से जुड़े. लेकिन अभी से आकाश आनंद को बसपा का भावी नेता बताना जल्दबाजी होगी. अभी उनमें वो सामर्थ्य नही है कि वो वैसी जनसभा या रैली कर सकें जैसा मायावती करती हैं. उनको लम्बा रस्ता तय करना है. ये जरूर है कि हर पार्टी अपनी सेकेंड लाइन तैयार करती है. मायावती जी ने भी यही किया इसलिए अभी आकाश आनंद की भूमिका मायावती के सहायक के ही रूप में है.

यूथ को जोड़ने का काम करेंगे आकाश आनंद और कपिल मिश्रा

शंभूनाथ शुक्ला के मुताबिक जहां तक कपिल मिश्रा के लॉन्चिंग की बात है तो सतीश चंद्र मिश्रा भी बसपा सुप्रीमों के भरोसेमंद हैं. उनके बेटे को भी पार्टी में महत्वपूर्ण पद देकर मायावती ब्राह्मण वोट बैंक को साधने की कोशिश में हैं. 2007 वाला प्रदर्शन अगर बसपा दोहराना चाहती है तो ब्राह्मणों को साथ लाना ही होगा. दूसरा कारण ये है कि मायावती चाहती हैं कि आकाश आनंद के साथ मिलकर कपिल मिश्रा पार्टी को यूथ से जोड़ने के मिशन में काम करें. वह भी तब नगीना के सांसद चंद्रशेखर जैसे नेता जो दलित समाज के यूथ में बहुत तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं. इससे निपटना भी बसपा के लिए ये एक बड़ी चुनौती है.