कौन घोल रहा सुल्तानपुर की राजनीति में जहर? आमने-सामने BJP के 2 विधायक, बाहुबली सोनू-मोनू के पिता की मूर्ति पर संग्राम

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में बीजेपी के दो विधायकों के बीच टकराव की नौबत आ गई है. कारण बनी है सपा नेता सोनू-मोनू (बाहुबली भाइयों) के पिता की मूर्ति. एक विधायक ने मूर्ति हटाने की मांग की है और डीएम को पत्र लिखा है. वहीं दूसरे ने इसका विरोध किया है. अब यह विवाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंच गया है.

बाहुबली सोनू-मोनू Image Credit:

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में इस समय सबकुछ ठीक नहीं है. अब तक यहां सपा नेता और बाहुबली ब्रदर्स सोनू-मोनू ही सुर्खियों में थे, लेकिन इन्हीं के विवाद की आग में बीजेपी भी झुलसने लगी है. बीजेपी विधायक विनोद सिंह और बीजेपी के ही एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह आमने सामने आ गया है. इन दोनों के बीच विवाद इस कदर गहरा गया कि एक पक्ष शिकायत लेकर सीएम योगी के दरबार में हाजिर हो गया. वहीं दूसरे पक्ष ने भी सीएम के सामने अपनी सफाई दी है. कहा कि बिना वजह की रंजिश में सुल्तानपुर की राजनीति में जहर घोला जा रहा है. फिलहाल मामला सुल्तानपुर में डीएम के तो लखनऊ में सीएम के दरबार में है.

आइए, इस पूरे मामले को शुरू से समझने की कोशिश करते हैं. बीजेपी के इन दोनों विधायकों की जड़ें काफी गहरी हैं. कहानी शुरू होती है 80 के दशक से. उस समय सुल्तानपुर के इंद्रभद्र सिंह पीटीआई टीचर हुआ करते थे. उन्हीं दिनों प्रदेश में मुलायम सिंह यादव का राजनैतिक सौर्य चमक रहा था. इंद्रभद्र सिंह दबंग और जनता के बीच अच्छी पैठ रखने वाले तो थे ही, उन्होंने मौका देखा और मुलायम सिंह यादव से मिल गए. फिर सपा के ही टिकट पर दो बार विधायक भी बने.

पिता की विरासत संभालते बने बाहुबली

इसी बीच उनकी बम मारकर हत्या हो गई. दावा किया जाता है कि यह घटना भी उनकी दबंगई की वजह से हुई. उनकी मौत के बाद उनकी राजनीतिक विरासत उनके दोनों बेटों चंद्रभद्र सिंह उर्फ सोनू और यशभद्र सिंह उर्फ मोनू ने संभाली. इसके साथ ही पिता का बदला लेने के चक्कर में ये बाहुबली भी बन गए. इसके चलते इनकी राजनीतिक रंजिश भी हुई. परिणाम स्वरुप इन बाहुबली ब्रदर्स पर कई बार हमले भी हुए. अभी हाल ही में अयोध्या कोर्ट में जो असला-बारुद मिला था, दावा किया गया था कि यह मोनू सिंह पर हमले के लिए लाया गया था.

क्या है मूर्ति का विवाद

पिता की विरासत लेकर राजनीति करने वाले सोनू सिंह सपा की सरकार में विधायक बने, वहीं मोनू सिंह भी ब्लाक प्रमुख की कुर्सी तक पहुंचे. सत्ता में आने के बाद इन्होंने हनक का इस्तेमाल किया और अपने पिता इंद्रभद्र सिंह की मूर्ति लगवा दी. बाद में काफी जोर लगाने के बाद भी ये दोनों भाई चुनाव नहीं जीत पाए. हालांकि इनकी हनक अब भी कायम है. पिछले सप्ताह अयोध्या कोर्ट में बरामद असला-बारुद को लेकर जब मोनू सिंह ने सीधा आरोप बीजेपी विधायक विनोद सिंह पर लगाया, तो उन्होंने भी सुल्तानपुर के डीएम को एक पत्र लिख दिया. इसमें सोनू-मोनू के पिता की मूर्ति के नाम पर अतिक्रमण का आरोप लगाते हुए इसे हटाने को कह दिया.

एमएलसी ने संभाला मोर्चा

विधायक विनोद सिंह की चिट्ठी मिलते ही डीएम ने जांच के आदेश दे दिए. इसकी जानकारी बीजेपी के ही एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह को हुई तो उन्होंने भी डीएम को चिट्ठी लिखी. कहा कि आपसी रंजिश की वजह से जिले की राजनीति में जहर घोला जा रहा है. उन्होंने लिखा कि मूर्ति किसी हाल में नहीं हटनी चाहिए. यही नहीं, उन्होंने चेतावनी दे डाली कि यदि मूर्ति हटी तो सुल्तानपुर में बड़ा बवाल हो सकता है. ऐसे में मूर्ति हटाने के साथ ही पुलिस और प्रशासन को संभावित परिस्थिति के लिए भी तैयार रहना होगा.

सीएम तक ऐसे पहुंचा मामला

एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह की चिट्ठी के बाद डीएम सुल्तानपुर असमंजस में पड़ गए. चूंकि दोनों नेता बीजेपी के और सरकार भी बीजेपी की. ऐसे हालात में उन्होंने तटस्थ रहने का फैसला किया, लेकिन विधायक विनोद सिंह सीएम योगी के दरबार में पहुंच गए. आरोप लगाया कि एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह एक बाहुबली और सपा नेता के लिए पार्टी में बवाल कर रहे हैं. इसके बाद एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने भी मिलकर सीएम योगी को अपनी सफाई दी है. उन्होंने फिर दोहराया है कि आपसी रंजिश की वजह से जिले की राजनीति में जहर घोला जा रहा है.