बदायूं की पिंकी बनी ‘मीरा’, श्रीकृष्ण के प्रतिमा से रचाई शादी; सात फेरे के साथ निभाईं पूरी रस्में

बदायूं की रहने वाली पिंकी शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट हैं और श्रीकृष्ण की बचपन से ही भक्त हैं. उनकी मां ने कहा कि श्रीकृष्ण के प्रतिमा से शादी करना, पहले थोड़ा अजीब सा लगा, लेकिन बेटी की खुशी के लिए मानना ही पड़ा. वहीं, इस अनोखी शादी की पूरे जनपद में चर्चा है, लोग पिंकी को 'मीरा' कहकर पुकार रहे हैं.

बदायूं की पिंकी शर्मा ने श्रीकृष्ण प्रतिमा से रचाई शादी

बदायूं के इस्लामनगर थाना क्षेत्र में पिंकी शर्मा नाम की युवती ने श्रीकृष्ण प्रतिमा से शादी रचाई है. 28 साल की पिंकी ने परिवार और पूरे गांव के सहयोग से विवाह किया. पूरे गांव ने घराती की भूमिका निभाई और परिवार ने विवाह की पूरी रस्में पूरी कीं. पंडित ने पूरे विधि-विधान से शादी के मंत्र पढ़ें. पिंकी ने शादी के जोड़े में प्रतिमा को गोद में लेकर सात फेरे लिए.

इस अनोखी शादी की पूरे जनपद में चर्चा है. श्रीकृष्ण की सबसे बड़ी भक्त ‘मीरा’ को तो सब जानते ही हैं. ठीक उसकी तरह कान्हा जी की भक्ति में पिंकी शर्मा भी लीन हैं. गांव वाले पिंकी को मीरा कहने लगे हैं. पिंकी शर्मा ब्यौर कासिमाबाद गांव की रहने वाली हैं. पिंकी का विवाह का शनिवार को हुआ और रविवार सुबह के समय विदाई भी हुई.

पिता वृंदावन मे रहने के लिए घर लेकर देंगे

पहले परिवार के लोग पिंकी के इस फैसले को सुनकर हैरत मे पड़ गए थे. मगर कान्हा जी के लिए उसकी भक्ति देखकर पिंकी का साथ देने का फैसला कर लिया. पिता का कहना है कि पिंकी की इच्छा है कि वह विहारी जी के पास रहे. और वृंदावन मे उसका घर हो. इसलिए उसको वृंदावन मे रहने के लिए घर लेकर देंगे. वह यहां भी रहेगी और वहां भी.

अपने जीवन को कान्हा को समर्पित कर दिया

इस मामले पर श्याम की दुल्हन बनी पिंकी का कहना है की उसने खुद को कान्हा जी को समर्पित कर दिया है और उनके चरणों मे रहना चाहती है. पिंकी ने कहा कि उन्हें भगवान कृष्ण की भक्ति में इतनी शक्ति मिलती है कि वे अपने जीवन की हर चुनौती का सामना कर सकती हैं. उन्होंने अपने जीवन को भगवान कृष्ण के नाम कर दिया है.

परिवार के सहमति से विवाह संपन्न कराया

वहीं, विवाह कराने वाले पंडित का कहना है की भक्ति मे बहुत शक्ति होती है. पिंकी ने कान्हा जी को जीवनसाथी चुना है. उन्होने कहा कि परिवार और गांव वालों की सहमति से विवाह संपन्न कराया है. पिंकी की कहानी सुनकर ऐसा लगता है कि वे भगवान कृष्ण की भक्ति में पूरी तरह से डूब गई हैं और उनके जीवन का उद्देश्य सिर्फ भगवान कृष्ण की सेवा करना है.