‘बलिया में यादवों और मुस्लिमों ने कब्जाई ज़मीन’, प्रशासन ने पहले जारी किया मुक्त कराने का आदेश; फिर कहा- गलती हो गई

बलिया में एक सरकारी आदेश सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है. इस आदेश में कहा गया है कि सरकारी जमीनों पर काबिज यादव और मुस्लिम समाज के लोगों के खिलाफ अभियान चलाकर अवैध कब्जा हटाया जाए. हालांकि आदेश वायरल होने के बाद बलिया जिला प्रशासन ने इसका खंडन भी किया है. कहा कि यह आदेश "गलती से" जारी हो गया था. फिलहाल इस घटना ने राजनीतिक विवाद पैदा कर दिया है.

बलिया में सरकारी आदेश वायरल

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से एक सरकारी आदेश सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है. इस आदेश में साफ तौर पर लिखा गया है कि जाति विशेष (यादव) और धर्म विशेष (मुस्लिम) के लोगों ने सार्वजनिक जमीनों पर अवैध कब्जा किया है. इस आदेश में इस तरह की जमीनों को चिन्हित कर तत्काल खाली कराने को कहा गया है. यह आदेश जिला पंचायत राज अधिकारी के हस्ताक्षर से 2 अगस्त को जारी किया गया था. हालांकि सोशल मीडिया में यह आदेश पत्र वायरल होने के बाद डीपीआरओ ने अपने ही आदेश का खंडन किया है.

दो दिन बाद एक नया आदेश जारी करते हुए डीपीआरओ अवनीश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि पुराना आदेश गलती से जारी हो गया था, इसलिए उसमें सुधार करते हुए उस आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया है. उधर, इन दोनों पत्रों को लेकर विपक्षी दलों में राजनीतिक गर्माहट तेज हो गई है. समाजवादी पार्टी ने आरोप लगाया है कि ये पत्र योगी सरकार के ‘सबका साथ, सबका विकास’ वाले दावे की पोल खोल रहा है. यही नहीं इस आदेश से जाहिर होता है कि यह सरकार जाति और धर्म विशेष के लोगों के प्रति क्या सोच रखती है.

दो अगस्त को जारी हुआ पहला आदेश

प्रदेश भर में पंचायती जमीनों पर अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है. इसी क्रम में बलिया के जिला पंचायत राज अधिकारी ने भी आदेश जारी किया है. उन्होंने दो अगस्त को जारी अपने पहले आदेश में लिखा था कि जिले की 57691 ग्राम पंचायतों में यादव और मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अवैध तरीके से सार्वजनिक जमीनों पर कब्जा किया है. इस तरह की जमीनें पोखर, खाद गड्ढे, खलिहान, खेल मैदान, श्मशान भूमि और पंचायत भवन के लिए छोड़ी गईं थीं. उन्होंने अधीनस्थ अधिकारियों को जारी आदेश में इन सभी जमीनों को चिन्हित कर मुक्त कराने को कहा था.

पत्र वायरल होते ही किया खंडन

हालांकि यह आदेश पत्र वायरल होने के दो दिन बाद ही डीपीआरओ ने अपने आदेश का खंडन कर दिया. कहा कि गलती से इस तरह का आदेश जारी हो गया था. हालांकि तब तक काफी देर हो चुकी थी. समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी ने इस आदेश पत्र को मुद्दा बनाते हुए सरकार को घेरने की कोशिश तेज कर दी है. आरोप लगाया है कि यह सरकार सीधे सीधे जाति विशेष (यादव) और धर्म विशेष (मुस्लिम) समुदाय के लोगों को टारगेट कर रही है. सपा ने कहा कि हर जाति और समाज के लोगों ने सरकारी जमीन पर कब्जा किया है, लेकिन टारगेट केवल यादव और मुसलमान ही क्यों बन रहे हैं.

डीएम ने दी सफाई

इस पत्र को लेकर विवाद शुरू होने पर डीएम मंगला प्रसाद सिंह ने सफाई दी. कहा कि रूटीन में यह पत्र सीडीओ और डीपीआरओ को गया था. उन्होंने ध्यान नहीं दिया और यह पत्र जारी हो गया. बाद में इसे निरस्त भी कर दिया गया है. इसमें कोई खास बात नहीं है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में कोई मैसेज नहीं है और ना ही किसी अधिकारी की ऐसी कोई मंशा रही है. इस लिए इस मुद्दे को तूल देना ठीक नहीं है.