बांके बिहारी मंदिर मामले में SC का ऐतिहासिक आदेश, प्रबंधन के लिए बनाई कमेटी, ये होंगे शामिल

सुप्रीम कोर्ट ने वृन्दावन के बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश पर रोक लगा दी है. साथ ही पक्षकारों को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही अंतिम निर्णय आने तक एक अंतरिम मंदिर प्रबंधन कमेटी का गठन किया है. इसमें दोनों गोस्वामी पक्षों से दो-दो प्रतिनिधि शामिल होंगे.

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने वृन्दावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी जी मंदिर मामले में कई महत्त्वपूर्ण आदेश दिए हैं. अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से जारी अध्यादेश पर रोक लगाते हुए कई निर्णायक दिशा-निर्देश जारी किए हैं. अध्यादेश की धारा 3 एवं 5 (ट्रस्ट का गठन एवं संरचना) को स्थगित रखा है. शीर्ष अदालत ने पक्षकारों को सीधे हाईकोर्ट मूव करने के निर्देश दिए हैं, साथ ही अंतिम निर्णय आ जाने तक उच्चस्तरीय प्रबंधन समिति गठित की है.

सुप्रीम कोर्ट ने अध्यादेश की संवैधानिकता पर कोई अंतिम राय व्यक्त नहीं की है. कोर्ट ने कहा हम इन याचिकाओं को अनुच्छेद 32 के तहत स्वीकार नहीं करते हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट से अनुरोध है कि इसे डिवीजन बेंच के समक्ष सूचीबद्ध करें और अधिकतम एक साल के भीतर निपटारा करें.

मंदिर के अंतरिम प्रबंधन को लेकर बनी कमेटी

सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 32 के तहत श्री बांके बिहारी जी महाराज मंदिर, वृन्दावन ट्रस्ट अध्यादेश, 2025 को चुनौती दी गई थी. अदालत ने कहा, ‘इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस विषय पर पहले भी विचार किया है और वहां पहले से लंबित कार्यवाहियां हैं. यदि कोई अप्रत्याशित कठिनाई उत्पन्न होती है, तो पक्षकार यहां आ सकते हैं. जहां तक इस अध्यादेश की धारा 3 एवं 5 का प्रश्न है, जो ट्रस्ट के गठन और संरचना से संबंधित हैं, इन्हें हाईकोर्ट के अंतिम निर्णय तक स्थगित रखा जाता है.’

कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार इस अध्यादेश को विधानसभा में पारित कराने के लिए स्वतंत्र है. साथ ही निर्णय आने तक मंदिर के अंतरिम प्रबंधन को लेकर एक कमेटी बनाई है. कमेटी की अध्यक्षता रिटार्यड हाईकोर्ट जज अशोक कुमार को दिया गया है. इसमें न्यायिक, प्रशासनिक, वास्तु एवं पुरातत्व विशेषज्ञों के साथ-साथ दोनों गोस्वामी पक्षों से दो-दो प्रतिनिधि होंगे.

इस समिति में निम्न सदस्य होंगे

  • रिटार्यड हाईकोर्ट जज मुकेश मिश्रा
  • जिला एवं सत्र न्यायाधीश, मथुरा
  • सिविल जज, मथुरा
  • जिलाधिकारी, मथुरा
  • वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, मथुरा
  • नगर आयुक्त, मथुरा
  • मथुरा-वृन्दावन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष
  • एक वास्तु विशेषज्ञ
  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का प्रतिनिधि
  • दोनों गोस्वामी पक्षों से दो-दो व्यक्ति

समिति के अध्यक्ष को 2 लाख, रिटायर्ड जज मुकेश मिश्रा को 1 लाख प्रतिमाह का मानदेय मिलेगा, जो मंदिर के फंड से वहन किया जाएगा. साथ कोर्ट का निर्देश है कि जिला प्रशासन समिति अध्यक्ष के सभी निर्देशों का पालन करेंगे. इस दौरान समिति निजी बातचीत के माध्यम से आवश्यक भूमि खरीद सकती है. साथ ही मंदिर निधि का उपयोग जमीन खरीदने में करने पर रोक लगा दी गई है.

यह संविधानिक मर्यादा का भी संरक्षण

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता नरेन्द्र कुमार गोस्वामी ने इसे मंदिर के हक में एक निर्णायक विजय करार दिया है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से साफ किया है कि मंदिर की धनराशि को भूमि खरीद जैसे विवादास्पद कार्यों में नहीं लगाया जा सकता है. ट्रस्ट गठन जैसे संवेदनशील मामलों पर हाईकोर्ट फैसला अंतिम होगा. उन्होंने कहा, ‘यह आदेश न केवल भक्तों की आस्था की रक्षा करता है, बल्कि संविधानिक मर्यादा का भी संरक्षण करता है.’