बच्चों में भी साइलेंट अटैक का खतरा, बाराबंकी में 3 मामलों से हड़कंप… डॉक्टर ने बताई ये वजह
यूपी के बाराबंकी में पिछले कुछ दिनों में एक ही स्कूल में 3 बच्चों की अचानक तबीयत बिगड़ने से सनसनी फैल गई है. इसमें एक की मौत भी हो चुकी है. इसे लेकर डॉक्टरों का कहना है कि ये मामले कार्डियक अरेस्ट या साइलेंट हार्ट अटैक के भी हो सकते हैं. इसे लेकर विशेषज्ञों ने अभिभावकों को सतर्क रहने और बच्चों की स्वास्थ्य संबंधी शिकायतों को गंभीरता से लेने की सलाह दी है.

बाराबंकी में एक स्कूल में एक के बाद एक बच्चों की अचानक तबीयत बिगड़ने और एक बच्ची की मौत के बाद खौफ का माहौल है. इन घटनाओं के बाद अभिभावक अपने बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर कहीं न कहीं परेशान नजर आ रहे हैं. ताजा मामला बुधवार का है, जहां लखपेड़ाबाग के सरस्वती विद्या मंदिर इंटर में हाईस्कूल के छात्र आदित्य और कक्षा 9 की छात्रा आंशिका की क्लास में अचानक तबियत बिगड़ी और वो बेहोश हो गए.
दोनों को सीने में दर्द और चक्कर आने की बात सामने आई. आनन- फानन में उन्हें जिला अस्पताल से लखनऊ रेफर किया गया. अब डॉक्टरों ने इस मामले में कार्डियक अरेस्ट की आशंका जाहिर की है.
इस घटना से ठीक 4 दिन पहले इसी स्कूल में 11 वीं क्लॉस में पढ़ने वाली छात्रा नंदिनी वर्मा की भी अचानक तबीयत बिगड़ी थी. उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. मृतका जिला टॉपर रह चुकी थी. अब इन मामलों में डॉक्टरों नें कार्डियक अरेस्ट की आशंका जताई है.
कई घटनाओं में दिखा सेम ट्रेंड
1 जुलाई को भी जिले के सेंट एंथोनी स्कूल में 7वीं कक्षा के छात्र अखिल प्रताप सिंह की स्कूल गेट पर ही मौत हो गई थी. पैरेन्ट्स की मानें तो वो बिल्कुल स्वस्थ था और घर से हंसते खेलते हुए निकला था, लेकिन स्कूल के गेट पर पहुंचते ही वो अचानक गिर पड़ा. डॉक्टरों ने इसे साइलेंट हार्ट अटैक बताया.
डॉक्टर ने बताई वजह
इन घटनाओं ने पैरेन्टस के कान खड़े कर दिए हैं. जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. वीरेंद्र मौर्य का कहना है कि बच्चों की अचानक मृत्यु की असली वजह जानने के लिए पोस्टमार्टम जरूरी है. साथ ही उन्होंने अभिभावकों को सलाह दी कि वे बच्चों को खाली पेट स्कूल न भेजें और यदि बच्चा असहज महसूस करता है तो उसे आराम करने दें.
उसे थोड़े दिन बाद ही स्कूल भेजें. उनका कहना है कि हर अभिभावक को ये समझना होगा कि बच्चों में भी गंभीर हृदय संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. स्वास्थ्य को प्राथमिकता देकर ही हम ऐसी घटनाओं को रोक सकते हैं.



