गजब का ‘टोपीबाज’ हर्षवर्धन जैन… 24 साल से दलाली, 19 साल से हवाला; इतने के बाद भी सरकारी तंत्र को क्यों नहीं थी खबर?
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में पकड़े गए फर्जी एंबेसडर हर्षवर्धन जैन 24 साल से दलाली और 19 साल से हवाला कारोबार कर रहा है. उसके पास कई देशों के फर्जी दस्तावेज, पासपोर्ट और मुहरें मिली हैं. वह विदेशी कंपनियों में नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों को ठगता था. इस कहानी में हम हर्षवर्धन जैन की उन कहानियों को बता रहे हैं, जिन्हें उसने कभी जाहिर नहीं होने दिया था.

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में पकड़े गए फर्जी एंबेसडर हर्षवर्धन जैन गजब का टोपीबाज था. उसका मुख्य धंधा ही लोगों को झांसे में लेकर विदेशी कंपनियों में नौकरी के नाम पर दलाली खाना था. सूत्रों के मुताबिक हवाला कारोबार में भी हर्षवर्धन का नाम देश के टॉप 10 की लिस्ट में शामिल था. आश्चर्य की बात है कि इतने के बाद भी सरकारी एजेंसियों को इसकी कोई खबर नहीं थी. इससे भी अधिक आश्चर्य इस बात पर हो सकता है कि गाजियाबाद पुलिस उसके घर के बाहर डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट लगी चार-पांच गाड़ियां, घर के बाहर दूतावास का बोर्ड, कई देशों के रंग-विरंगे फ्लैग देखती थी. बावजूद इसके, कभी भी इनके बारे में जानने की कोशिश नहीं की.
आज की कहानी में इन्हीं मुद्दों को केंद्र में रखते हुए हर्षवर्धन की पूरी कुंडली खंगालने की कोशिश करेंगे. इसमें यह जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर हर्षवर्धन सरकारी तंत्र को कैसे टोपी पहनाकर अपना साम्राज्य चला रहा था. सूत्रों के मुताबिक हर्षवर्धन जैन गजब का टोपीबाज था. उसमें लोगों से बात करने और बातों ही बात में लोगों को भ्रमित करने की कला थी. केवल हिंदी और अंग्रेजी ही नहीं, वह कई अन्य भाषाओं में फ्रीक्वेंटली बात कर सकता था. एसटीएफ के अधिकारियों के मुताबिक लोगों को विदेशी कंपनियों में नौकरी दिलाने, विदेशी कंपनियों को भारत में कारोबार करने की छूट दिलाने के नाम पर दलाली खाता था. इसके एवज में मोटी मोटी डील करता था.
24 साल से कर रहा था दलाली
एसटीएफ के अधिकारियों के मुताबिक हर्षवर्धन जैन ने दलाली का काम तो साल 2001 में ही शुरू कर दिया था. हालांकि साल 2001 से दिसंबर 2011 तक इस दलाली का काम लंदन, दुबई समेत कई अन्य देशों में रहते हुए किया था. दिसंबर 2011 में यह वापस आया और गाजियाबाद के कविनगर में एक कोठी किराए पर लेकर स्थाई तौर पर यहीं से अपना धंधा शुरू कर दिया. इसी प्रकार हर्षवर्धन ने आर्म्स डीलर अदनान खरगोशी के जरिए साल 2006 में दुबई के उमालकुईन में हैदराबाद निवासी शफीक और दुबई के रहने वाले इब्राहिम अली बिन शारमा के साथ मिलकर हवाला कारोबार शुरू किया.
घर बैठे देता था विदेशी कंपनियों में नौकरी
हर्षवर्धन जैन अपने गाजियाबाद स्थित घर में ही बैठकर विदेशी कंपनियों में नौकरी देता था. वह अपने शिकार को समझाता था कि वह नौकरी के लिए सिफारिश नहीं करता, बल्कि खुद नौकरी दे देता था. इसके लिए उसने 20 से अधिक कंपनियों और सरकारी अथॉरिटीज की मुहरें बनवा रखीं थी. दो दर्जन से अधिक कंपनियों या एजेंसियों के लेटरपैड भी उसके पास से मिले हैं. इन मुहरों और लेटरपैड से वह विदेशी कंपनियों की भी आंखों में धूल झोंकने का काम करता था. उसने साफ्टवेयर की मदद से देश के टॉप लीडर्स की तस्वीरें एडिट कराई थी और उनके साथ अपनी तस्वीरें इस तरह से लगाई थीं, मानों उन नेताओं से इसकी गहरी यारी हो. इन तस्वीरों को दिखाकर भी वह अपने शिकार को जाल में फंसाता था.
हवाला के बड़े कारोबारियों में शामिल था हर्षवर्धन
एसटीएफ के अधिकारियों के मुताबिक हर्षवर्धन जैन हवाला के बड़े कारोबारियों में शामिल था. हवाला के जिस नेटवर्क में यह शामिल था, उसके तार ना केवल गल्फ कंट्रीज, बल्कि अफ्रीका और यूरोपियन देशों तक फैले हैं. वह खुद समय समय पर इन देशों की यात्रा भी करता रहता था. उसकी हर देश में अलग अलग पहचान थी और वह उसी पहचान के साथ वहां जाता था. एसटीएफ ने उसके ठिकाने पर दबिश के दौरान 12 पासपोर्ट बरामद किए हैं. इसमें कुछ पासपार्ट भारत में बनाए गए हैं, वहीं कुछ अन्य देशों में बनवाए गए हैं. इसके अलावा आरोपी के दो पैन कार्ड भी एसटीएफ ने जब्त किए हैं. एक अनुमान के मुताबिक हर्षवर्धन का टर्नओवर 500 करोड़ रुपये से भी अधिक का था. बताया जा रहा है कि उसकी हर साल की सेविंग 100 करोड़ रुपये के आसपास थी, जबकि हर साल का खर्च 55 करोड़ रुपये से अधिक का था.
आधा दर्जन देशों का था फर्जी एंबेसडर
एसटीएफ के अधिकारियों के मुताबिक गाजियाबाद के प्रतिष्ठित कारोबारी जेडी जैन के बेटे हर्षवर्धन जैन को दो स्वयंभू देशों ने तो अपना अवैतनिक एंबेसडर घोषित कर रखा था, लेकिन इसने इसी तरह के चार-पांच अन्य देशों का फर्जी एडवाइजर कम एंबेसडर खुद बन बैठा था. एसटीएफ की दबिश के दौरान इसके घर, जिसे इसने दूतावास का रूप दे रखा था, से वेस्ट आर्कटिक, सबोरगा, ओलिविया, और लोडोनिया समेत इन सभी काल्पनिक देशों के प्रतीक, झंडे और करेंसी आदि बरामद हुई हैं. एसटीएफ के एसएसपी सुशील सुले के मुताबिक यह खुद को भारत में माइक्रोनेशन देशों का काउंसुल और राजदूत बताता था और इस प्रकार अपने दलाली के धंधे को अंजाम देता था.



