सहमति है तो झगड़ा क्यों? CM योगी के हस्तक्षेप से निपटा 42 साल पुराना हनुमान मंदिर-गुरुद्वारा विवाद, जानें क्या है मामला
वाराणसी के जगतगंज में 42 साल पुराना हनुमान मंदिर और गुरुद्वारे का भूमि विवाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की वजह से सुलझ गया है. दोनों पक्षों की सहमति से सालों पुराने इस विवाद का कुछ घंटों में समाधान हो गया. अब दोनों धार्मिक समुदाय के लोग मिलजुलकर यहां अपनी-अपनी आस्था का पालन करेंगे.

उत्तर प्रदेश के वाराणसी के जगतगंज में 42 साल पुराना मामला सीएम योगी की एक बाद से निपट गया और सालों साल झेल रहे लोगों को भी इस विवाद से छुटकारा मिल गया. दरअसल, यहां पर हनुमान मंदिर और गुरूद्वारे को लेकर विवाद बना हुआ था. करीब 3200 वर्गफीट जमीन पर बने मंदिर और गुरूद्वारे का मामला कोर्ट में लंबित था जो अब खत्म हो गया है.
सीएम योगी ने कहा कि ‘जब दोनों पक्ष सहमत हैं तो फिर विवाद कैसा, दोनों पक्ष को बुलाकर ताला खुलवाइए. जब राज्या के मुखिया ने ये निर्देश दिया तो 42 साल पुराना विवाद सुलझ गया. अब उस जगह पर हनुमान चालीसा और गुरू ग्रंथ साहिब का पाठ एक साथ किया जाएगा.
कब्जा करने का लगाया आरोप
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष सरदार करन सिंह सभरवाल ने कहा कि यहां पर बनाया गया गुरुद्वारा करीब दो सौ साल पुराना है. 42 साल पहले कई लोगों ने इस पर कब्जा करने की कोशिश की. जिसके बाद ये क्षेत्र विवादित हो गया. बड़े हनुमान मंदिर प्रबंध समिति, जगतगंज के व्यवस्थापक श्याम नारायण पांडेय ने कहा कि अब दोनों पक्षों में आपसी सहमति बनी है और ये विवाद पूरी तरह से खत्म हो गया है. अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंकने वाले बाबू जगत सिंह ने गुरुद्वारा बनाने के लिए सिख समुदाय को ये जमीन दी थी. उन्हीं के वंशज प्रदीप नारायण सिंह ने इस मामले में मध्यस्थता की.
सिखों के लिए ये क्यों है अहम?
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष सरदार करन सिंह सभरवाल ने बताया कि सिख धर्म के नवें गुरू तेग बहादुर काशी आए थे और जगतगंज में अपने अनुयाईयों से मिलने आते थे. उन्हीं की याद में यहां चरणस्पर्श भूमि है जिसकी सिख समुदाय में बड़ी श्रद्धा है. प्रदीप नारायण सिंह ने कहा कि एक ही प्रांगण में हिन्दू समाज के लोग हनुमान जी की और सिख भाई चरणस्पर्श भूमि पर अपने गुरू की याद में सबद और गुरू ग्रंथ साहिब का पाठ सालों से करते चले आ रहे थे. लेकिन, कुछ आपसी मतभेद हो जाने से मामला कोर्ट में चला गया. कोर्ट में प्रक्रिया चलने की वजह से प्रशासन ने यहां ताला लगा दिया था.
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरफ से करन सभरवाल और परमजीत सिंह जबकि, बड़े हनुमान मंदिर प्रबंध समिति के व्यवस्थापक श्याम नारायण पाण्डेय आए. वो सभी इस विवाद का हल चाहते थे. पहले में भी सीएम योगी तक ये बात पहुंची थी. सबके सहमत होने पर सीएम योगी ने भी निर्देश दिया कि जब दोनों पक्ष समझौता चाहते हैं तो विवाद खत्म करो और प्रशासन ने ताला खुलवा दिया.



