बरेली का चौबारी मेला क्यों खास? 100 साल हुए पूरे; रामगंगा तट पर बिखरी रौनक

बरेली का ऐतिहासिक रामगंगा चौबारी मेला शुरू हो गया है, जिसमें 5 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए लाखों श्रद्धालु जुटेंगे. मेले में पुष्कर से आए घोड़ों का नखासा खास आकर्षण है, जो 100 साल पूरे कर रहा है. मेले में सुरक्षा के लिए 500 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है.

चौबारी मेला बरेली: नखासा की रौनक Image Credit:

बरेली में ऐतिहासिक रामगंगा चौबारी मेला रविवार को शुरू हो गया. जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों ने विधिवत हवन-पूजन कर मेले का शुभारंभ किया. मेले में आने वाले लोगों से घाटों पर सुरक्षा मानकों का ध्यान रखने की अपील की गई है. मेले में 5 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं.

रामगंगा चौबारी मेले को इस बार 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं. इसको देखते हुए मिले को बड़ी भव्यता से सजाया गया है. घाटों पर भी लाइटिंग की व्यवस्था की गई है. वहीं, बरेली के डीएम अविनाश सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखा है. इसमें मेले को उत्तर प्रदेश का धरोहर घोषित करने की मांग की गई है.

रूट डायवर्जन, चप्पे-चप्पे की पुलिस की निगरानी

रामगंगा चौबारी मेला में इस बार खासा भीड़ जुटने वाली है. इसको देखते हुए सुरक्षा के लिए 500 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. एक थाना बनाया गया है और 8 पुलिस चौकिया को बनाया गया है. वायरलेस ऑपरेटर का भी एक ऑफिस है. साथ ही ड्रोन कैमरे से चप्पे-चप्पे की निगरानी की जा रही है.

मेला के चलते रूट डायवर्जन भी किया गया है. बदायूं से बरेली शहर में आने वाले भारी वाहनों को शहर में एंट्री नहीं दी जा रही है. जगह-जगह वारिगेट्स लगाए गए हैं. भारी वाहनों को दूसरे रास्तों से निकाला जा रहा है. रूट डायवर्जन 3 नवंबर से 5 नवंबर रात 8:00 बजे तक लागू रहेगा. हर पॉइंट पर ट्रैफिक पुलिस की तैनात है.

10 लाख तक के घोड़े, दूर-दराज से पहुंच रहे शौकीन

मेले में पुष्कर, बहराइच, लखीमपुर समेत अन्य जगह से नखासा आ गया है. पुष्कर से आए घोड़ों की तलाश नखासा में आने वाले लोगों को रहती है. आज से पूरा नखासा विधिवत सज जाएगा, साथ ही अगले तीन दिन तक बढ़ी संख्या में घोड़ों के खरीदार वहां पहुंचेंगे और अपने पसंदीदा नस्ल का घोड़ा खरीदेंगे.

TV9 से बात करते हुए घोड़े के शौकीन खरीदारों ने बताया कि बरसों से हम घोड़े खरीदने आ रहे हैं. इस मेले में एक लाख से लेकर 10 लाख तक का घोड़ा होता है. यहां सभी घोड़े की सजावट के भी सामान खरीदते हैं, लेकिन इस बार थोड़ा मेला हल्का दिखाई दे रहा है वहीं एक घोड़े की शौकीन ने बताया कि वो 5 दिन पहले ही मेले में आ गए हैं.

मुरादाबाद से सिल-बट्टा बेचने आए व्यापारी

मेला में मुरादाबाद से सिलबट्टा बेचने वाले महिला और पुरुष पहले से ही आ जाते हैं और वह अपना कारोबार करने के लिए अपनी परिवार के साथ आते हैं . वहीं एक व्यापारी ने बताया कि हमारे दादा परदादा इस मेले में सालों साल से आ रहे थे, उनकी हम परंपरा निभा रहे हैं. मेला 100 साल पूरे कर रहे हैं लेकिन कारोबार बहुत ही काम है.