क्या वोटर लिस्ट से कटेगा नाम? बरेली में 7 लाख से ज्यादा अपात्र मतदाता मिले, अब दोबारा होगा सत्यापन

बरेली जनपद में अब तक 78.55 प्रतिशत गणना प्रपत्र डिजिटाइज किए जा चुके हैं. जबकि SIR अभियान के तहत कुल 7.27 लाख मतदाता अपात्र मिले हैं.  इनमें बरेली कैंट और शहर विधानसभा सीटों पर सर्वाधिक मतदाता जांच के दायरे में आए हैं. ऐसे में अब दोबारा जांच और सत्यापन जरूरी पाया गया है.

बरेली में 7 लाख से ज्यादा मतदाता अपात्र मिले Image Credit:

बरेली में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के तहत मतदाता सूची की जांच तेज है. इस दौरान बड़ी संख्या में अपात्र मतदाता मिले हैं. जिले की नौ विधानसभा सीटों पर कुल 34 लाख 5 हजार 820 मतदाता दर्ज हैं, जिनमें से करीब 7 लाख 27 हजार मतदाताओं के नाम ऐसे हैं जिनकी दोबारा जांच और सत्यापन जरूरी पाया गया है.

उप जिला निर्वाचन अधिकारी संतोष कुमार सिंह के अनुसार, बरेली में अब तक 78.55 प्रतिशत गणना प्रपत्र डिजिटाइज किए जा चुके हैं. जबकि 7.27 लाख (लगभग 21%) नाम पुनः सत्यापन के लिए चिह्नित किए गए हैं. ऐसे में अब इन नामों का दोबारा से जांच किया जाएगा. जिसके बाद वोटर लिस्ट से नाम काटने का सिलसिला शुरू होगा.

बरेली कैंट विधानसभा में 1.38 लाख नाम मिले अपात्र

एसआईआर अभियान में सबसे ज्यादा पुन सत्यापन बरेली कैंट और बरेली शहर विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिला है. इन दोनों शहरी सीटों पर किरायेदारों, शिफ्टेड लोगों और डुप्लीकेट नामों की संख्या काफी अधिक पाई गई है. बरेली कैंट विधानसभा क्षेत्र में कुल 3.83 लाख मतदाता दर्ज हैं. इनमें से 1.38 लाख मतदाताओं का पुन सत्यापन किया जाना है.

यह संख्या करीब 36 प्रतिशत बैठती है, जो जिले में सबसे अधिक है. सर्वे में सामने आया कि लगभग 17 हजार मतदाता मृतक बताए गए हैं. वहीं 62 हजार मतदाता ऐसे हैं जो सर्वे के समय अपने पते पर नहीं मिले. करीब 44 हजार मतदाता दूसरी जगह शिफ्ट हो चुके हैं और 8,488 मतदाता ऐसे पाए गए जिनके नाम दो अलग-अलग बूथों पर दर्ज हैं.

बरेली शहर में 35.89 प्रतिशत वोटर का दोबार सत्यापन

बरेली शहर विधानसभा क्षेत्र में कुल 4.78 लाख मतदाता हैं. इनमें से 1.68 लाख मतदाताओं का पुनः सत्यापन जरूरी पाया गया है, जो कुल का लगभग 35.89 प्रतिशत है. यहां भी बड़ी संख्या में मृतक, शिफ्टेड और अनुपस्थित मतदाता मिले हैं. कई इलाकों में नई कॉलोनियां बसने और लोगों के पुराने पते पर वोट बने रहने से यह स्थिति बनी है.

प्रशासन के अनुसार, बरेली में मतदाता सूची गड़बड़ होने के पीछे कई कारण हैं. बड़ी संख्या में लोग किराये पर रहते हैं, लेकिन उनका वोट गांव या पुराने पते पर ही दर्ज रहता है. कुछ लोग दूसरे शहरों में चले गए. वहीं कई ग्रामीण क्षेत्रों के संपन्न लोग शहर में मकान बनाकर रहने लगे, पर उन्होंने पंचायत चुनावों को ध्यान में रखते हुए वोट गांव में ही रखा.

एसआईआर पूरा, अब री-वेरिफिकेशन की प्रक्रिया

इसके अलावा साल 2003 की पुरानी मतदाता सूची से नई कॉलोनियों की सही मैपिंग नहीं हो पाई. रेलवे कॉलोनी, लेबर कॉलोनी और औद्योगिक क्षेत्रों में फैक्ट्रियां बंद होने के बाद वहां से कर्मचारी पलायन कर गए. सीबीगंज, पीर बहोड़ा, कुर्मांचल नगर, सनसिटी विस्तार और डिफेंस कॉलोनी जैसे इलाकों में अनुपस्थित मतदाताओं की संख्या अधिक पाई गई है.

डीएम अविनाश सिंह ने बताया कि जिले में एसआईआर का कार्य निर्धारित समय में पूरा कर लिया गया है. प्रक्रिया की अंतिम तिथि अब 26 दिसंबर कर दिया गया है. इस अवधि में पुनः सत्यापन वाले मतदाताओं से दावा और आपत्ति ली जाएगी. यदि कोई मतदाता सही पाया जाता है और उसके दस्तावेज पूरे हैं, तो उसका नाम दोबारा मतदाता सूची में जोड़ दिया जाएगा.