हाय रे व्यवस्था! अस्पताल के गेट पर दर्द से तड़पती महिला की डिलीवरी, पत्थर दिल डॉक्टरों ने नहीं सुनी चीख

बदायूं जिले के जिला अस्प्ताल में एक मानवीय घटना हुई है. यहां प्रसव पीड़ा से तड़पती महिला को अस्पताल स्टाफ ने प्रवेश नहीं दिया, जिसके कारण उसने गेट पर ही बच्चे को जन्म दिया. वायरल वीडियो ने यूपी की स्वास्थ्य व्यवस्था और डॉक्टरों की संवेदनहीनता पर गंभीर सवाल उठाए हैं. डिप्टी सीएम के दावों के बावजूद ऐसी घटना शर्मनाक है, जिसकी जांच चल रही है.

बदायूं का जिला महिला अस्पताल

उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रिजेश पाठक एक तरफ अस्पतालों में व्यवस्था सुधारने का दावा करते हैं, वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के ही बदायूं जिले के अस्पताल से मानवता को शर्मसार करने वाला वीडियो सामने आया है. वायरल वीडियो में प्रसव पीड़ा से तड़पती एक महिला की अस्पताल के गेट पर ही डिलीवरी हो जाती है, लेकिन सरकारी नौकरी के मद में चूर डॉक्टरों और अस्पताल स्टॉफ को उसकी चीख तक नहीं सुनाई दी. अब वीडियो वायरल होने के बाद अस्पताल की सीएमएस ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं.

मामला बदायूं के जिला महिला अस्पताल का है. यहां एक महिला को प्रसव पीड़ा होने पर आशा कार्यकत्री उसे डिलीवरी के लिए लेकर आई थी. अस्पताल के गेट तक पहुंचते पहुंचते महिला की पीड़ा काफी बढ़ गई. उसे तत्काल अस्पताल में भर्ती कर मेडिकल मदद की जरूरत थी, लेकिन औपचारिकता पूरा किए बिना अस्पताल के स्टॉफ ने उसे अंदर नहीं जाने दिया. इसके चलते समय से महिला को इलाज नहीं मिला.

देखने भी नहीं आया अस्पताल का स्टॉफ

इधर, दर्द के मारे उसकी चीखे सुनकर अस्पताल में मौजूद लोग भी गेट पर आ गए. बावजूद इसके, डॉक्टर समेत अस्पताल के किसी स्टॉफ ने इस महिला को संभालने की कोशिश तक नहीं की. बल्कि परिजनों को कह दिया गया कि पहले औपचारिकता पूरा करो. इतने में दर्द से बेहाल महिला की वहीं गेट पर ही डिलीवरी हो गई. गनीमत रही कि महिला के साथ आई आशा ने अपने स्तर पर उसे संभालने की पूरी कोशिश की.

जांच के लिए कमेटी गठित

वीडियो वायरल होने के बाद अस्पताल की सीएमएस शोभा अग्रवाल ने जांच कमेटी गठित की है. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट आने पर कार्रवाई होगी. हालांकि इस दौरान वह अपने स्टॉफ का सपोर्ट भी करती नजर आईं. कहा कि डिलीवरी समय पूरा हो चुका था. उसे अस्पताल लाने में ही देरी हुई है. उन्होंने कहा कि जब महिला अस्पताल पहुंची, पूरा स्टॉफ मौजूद था. इसलिए लापरवाही होने की कोई गुंजाइस ही नहीं है. फिर भी मामले की जांच कराई जा रही है.