मकबरा या ठाकुरद्वारा? सबके अपने-अपने दावे, फतेहपुर की वो मजार जिसको लेकर भड़का बवाल; जानें विवाद की पूरी कहानी

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में एक मकबरे को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्षों के बीच विवाद गहरा गया है. हिंदू पक्ष इसे ठाकुरद्वारा बता रहा है तो मुस्लिम पक्ष इसे मुगल कालीन मकबरा होने का दावा कर रहा. इस मकबरे की जमीन को लेकर एक व्यक्ति ने तो भूमिधरी का दावा कर दिया है. कहा कि इसका मुकदमा सिविल कोर्ट में लंबित है. इस प्रसंग में इसी विवाद को खंगालने की कोशिश कर रहे हैं.

फतेहपुर का मकबरा, जहां हो रहा बवाल

उत्तर प्रदेश में धार्मिक स्थलों का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा. नया विवाद फतेहपुर में मकबरे को लेकर सामने आया है. सोमवार को हिंदू संगठन से जुड़े लोगों ने इस मकबरे में खूब तोड़फोड़ की और बवाला काटा. इस संबंध में फतेहपुर पुलिस ने 10 नामजद समेत करीब डेढ़ सौ लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज किया है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जिस इमारत और स्थान को मकबरा बताया जा रहा है, उसकी हकीकत क्या है? मुस्लिम पक्ष के अपने दावे हैं तो हिंदू पक्ष ने भी जोरदार तर्क दिए हैं. वहीं कानपुर के रहने वाले एक व्यक्ति ने तो इसे भमिधरी की जमीन बता दी है.

आइए, इस प्रसंग में इन्हीं सवालों का जवाब ढूंढने की कोशिश करते हैं. खुद को इस मकबरे का मुतवली बताने वाले मोहम्मद नफीस के मुताबिक मकबरे का निर्माण करीब 500 साल पहले मुगल शासक अकबर के प्रपौत्र ने कराया. दावा किया कि इसमें फतेहपुर के नवाब अबू मोहम्मद और अबू समद की मजारें हैं. मोहम्मद नफीस के मुताबिक इस मकबरे का परिसर करीब 12 बीघे जमीन पर पसरा है और इस जमीन पर भूमाफिया की नजर है. इसलिए बिना वजह के बवाल खड़ा करने की कोशिश की जा रही है.

हिंदू पक्ष के ये हैं दावे

हिंदू पक्ष का दावा है कि वास्तव में यह ठाकुर जी का मंदिर है और इसपर जबरन कब्जाकर इमारत की बनावट में छेड़छाड़ की गई है. कहा कि मकबरे में आज भी शिवलिंग मौजूद है और हालतक यहां बरामदे में नंदी विराजमान थे. यही नहीं, अपने दावे में हिंदू पक्ष ने मकबरे की दीवारों और गुंबद पर कमल का फूल, त्रिशूल आदि आकृतियां होने का भी दावा किया है. कहा कि इस मंदिर पर कब्जा करने के बाद मुस्लिम पक्ष के लोगों ने दीवारों पर कुरान की आयतें लिखवा दी हैं. इसी क्रम में फतेहपुर के रहने वाले एक सख्श ने दावा किया कि साल 2007 की दिवाली के दिन उसने इस स्थान पर पूजा भी किया था.

डीएम को सौंपा था ज्ञापन

इस मकबरे का विवाद सोमवार को अचानक नहीं उठा. कुछ दिन पहले इस मकबरे को लेकर मठ मंदिर संघर्ष समिति ने डीएम फतेहपुर से मुलाकात की थी. उन्हें इसे देवस्थान बताते हुए तमाम तर्क दिए और ज्ञापन सौंपते हुए इस स्थान पर पूजा की अनुमति देने की मांग की थी. बताया था कि इस कथित मकबरे में पहले घंटी लगी थी, लेकिन दूसरे पक्ष ने घंटी तो तोड़ दी, लेकिन आज भी यहां जंजीर लटकी हुई है. इसी प्रकार सीढ़ियों पर बनी आकृतियां हिंदू देवी-देवताओं से मिलती जुलती हैं. इसी क्रम में समिति के सदस्य सोमवार को इस स्थान पर पूजा करने पहुंचे थे. उधर, राष्ट्रीय ओलेमा कौंसिल ने भी डीएम को पत्र लिखकर दावा किया था कि यह फतेहपुर के नवाब अबू समद का मकबरा है और इसका खसरा संख्या 753 है. सरकारी रिकार्ड में यह राष्ट्रीय संपत्ति के रूप में दर्ज है.

क्या है भूमिधरी का विवाद?

इस मकबरे को लेकर कानपुर में रहने वाले विजय प्रताप सिंह उर्फ बब्लू सिंह का अलग ही दावा है. उन्होंने कहा कि यह जमीन उनके पुरखों की भमिधरी है. यह जमीन उनके पिता रामनरेश सिंह ने 1970 में खरीदी थी. उससे पहले इस जमीन का मालिकाना हक शकुंतला मान सिंह के नाम था. विजय प्रताप सिंह के मुताबिक यह पूरी जमीन साढ़े 10 बीघे हैं और इसके दस्तावेज उनके पास हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम पक्ष के अनीश नामक व्यक्ति ने साल 2007 में फर्जीवाड़ा कर इस जमीन को मकबरा में दर्ज करा लिया. इसको लेकर सिविल कोर्ट में मुकदमा भी चल रहा है.