गाजीपुर में BJP कार्यकर्ता की मौत: कलराज मिश्र के डेलिगेशन को पुलिस ने रोका, तीन घंटे तक थाने में बैठाया
गाजीपुर पुलिस की लाठीचार्ज में बीजेपी कार्यकर्ता सियाराम उपाध्याय की मौत से बवाल मचा है. इस बीच कलराज मिश्र के प्रतिनिधिमंडल पीड़ित परिवार से मिलने जा रहे थे. लेकिन पुलिस ने डेलिगेशन को रोक दिया. तीन घंटे तक थाने में बैठा कर वापस भेज दिया. पुलिस पर तानाशाही के आरोप लगे हैं.

गाजीपुर में पुलिस लाठीचार्ज में बीजेपी कार्यकर्ता सियाराम उपाध्याय की मौत हो गई थी. इसके बाद स्थानीय लोगों ने जमकर प्रदर्शन किया था. मामला अभी तक शांत नहीं हुआ है. इस बीच पूर्व राज्यपाल कलराज मिश्र के प्रतिनिधिमंडल पीड़ित परिवार से मिलने जा रहा था, इसमें कई बीजेपी नेता भी शामिल थे, जिसे गाजीपुर पुलिस रोक दिया.
गाजीपुर पुलिस ने प्रतिनिधिमंडल को पीड़ित परिवार से मिलने नहीं दिया. पुलिस ने डेढ़ से तीन घंटे तक प्रतिनिधिमंडल को कोतवाली और थाने में रोके रखा. इस घटना के बाद पुलिस पर तानाशाही का आरोप लगा है. प्रतिनिधिमंडल ने आर्थिक सहायता भी लेकर गई थी, जिसे देने से भी रोका गया. यह घटना पुलिस के रवैया पर सवाल खड़े कर रहा है.
ऊपर से आदेश है किसी को मिलने न दें
अब इसे पुलिस का तानाशाही कहें या फिर कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करना. पूर्व राज्यपाल कलराज मिश्र के द्वारा आर्थिक मदद के लिए भेजे गए डेलिगेशन को पुलिस ने पहले कोतवाली में करीब डेढ़ से 2 घंटे तक बैठाया और फिर नोनहरा थाने पर भी कई घंटे तक बैठाने के बाद सभी को बैरंग वापस कर दिया गया.
डेलिगेशन मृतक परिवार के लिए ₹100000 की सहायता राशि भी भेजी गई थी. बताया गया कि ऊपर से आदेश है कि पीड़ित परिवार से कोई नहीं मिलेगा. डेलिगेशन में प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य राम तेज पांडे, कलराज मिश्रा के भतीजे ओमकार मिश्रा, BJP नेता दिनेश वर्मा समेत कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे, जिन्हें पुलिस ने वापस भेज दिया.
लाइट बंद कर पुलिस ने किया था लाठीचार्ज
गाजीपुर के चक रुकींद्दीनपुर गांव में 9 सितंबर को गांव की बिजली के खंबे की समस्या को लेकर कुछ ग्रामीण नोनहरा थाने में धरने पर बैठे थे. उसी रात पुलिस के द्वारा लाइट को बूझाकर धरने पर बैठे लोगों पर लाठीचार्ज कर दिया गया. जिसमें कई बुरी तरह घायल हुए, इसमें बीजेपी कार्यकर्ता सियाराम उपाध्याय भी थे, जिनकी इलाज के दौरान मौत हो गई.
मौत की जानकारी के बाद बीजेपी कार्यकर्ता और स्थानिय ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा और लोग जमकर हंगामा करने लगे. जानकारी पर बीजेपी जिला अध्यक्ष ओमप्रकाश राय मौके पर पहुंचे. इस दौरान उनके ‘धरना का बीजेपी से कोई संबंध नहीं’ वाले बयान पर लोगों का गुस्सा और बढ़ गया, इसके बाद जिला अध्यक्ष का जमकर विरोध हुआ था.
मामला दबाने के लिए पुलिस ने दिए 10 लाख?
मामले बढ़ने पर पुलिस अधीक्षक ने चोट से मौत की बात कही. और देर शाम होते-होते थाना अध्यक्ष समेत 6 पुलिसकर्मी को सस्पेंड और 6 को लाइन हाजिर कर दिया गया था. जानकारी यह भी कि मृतक के भाई शशिकांत उपाध्याय को प्रशासन ने 10 लाख रुपए दिए थे, और पोस्टमार्टम में मौत को हार्ट अटैक बताया गया, लेकिन बाद में दबाव में शशिकांत अपने बयान से पलट गए.