गोरखपुर-पानीपत एक्सेप्रेसवे ने बदली गांवों की तकदीर! शाहजहांपुर-मुरादाबाद में आसमान छू रहे जमीन के भाव
गोरखपुर-पानीपत एक्सप्रेसवे (भारतमाला प्रोजेक्ट) की वजह से शाहजहांपुर-मुरादाबाद के 200 से अधिक गांवों की किस्मत बदल गई है. एक्सप्रेसवे बनने से पहले ही इन क्षेत्रों में जमीनों के दाम आसमान छू रहे हैं. यह परियोजना उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास, रियल एस्टेट और रोजगार को बढ़ावा देगी, साथ ही बेहतर कनेक्टिविटी से व्यापार व किसानों को भी लाभ मिलेगा. इसका डीपीआर 2026 तक फाइनल होने की उम्मीद है.
भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत प्रस्तावित गोरखपुर-पानीपत एक्सप्रेसवे ने बनने से पहले शाहजहांपुर-मुरादाबाद के 200 से अधिक गांवों की तकदीर बदल दी है. इन सभी गांवों में जमीनों के भाव अभी से आसमान छूने लगे हैं. जबकि अभी इस एक्सप्रेसवे के लिए जमीन की मार्किंग हुई है. अभी यह एक्सप्रेसवे और इसके साथ ही आर्थिक गलियारा बनना बाकी है. माना जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट से यूपी में मिनी पंजाब कहे जाने वाले शाहजहांपुर की पुवायां तहसील क्षेत्र के विकास में चार चांद लग जाएंगे.
भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत यह सड़क वैसे तो जम्मू-कश्मीर से शुरू होकर पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी तक बननी है, लेकिन इसमें हरियाणा के पानीपत से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर तक एक्सेस कंट्रोल्ड एक्सप्रेसवे बनाया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट के तहत जम्मू से पानीपत तक 6 लेन हाइवे बनकर तैयार है. वहीं पानीपत से शामली के रास्ते शाहजहांपुर तक और शाहजहांपुर से मुरादाबाद, बरेली के रास्ते गोरखपुर तक इस एक्सप्रेसवे का निर्माण दो चरणों में कराया जाना है.
इस स्टेज पर है एक्सप्रेसवे का काम
इस एक्सप्रेसवे के लिए पानीपत से शाहजहांपुर तक जमीन का अलाइनमेंट पहले ही हो चुका है और अब जमीन के अधिग्रहण के साथ ही मार्किंग की कवायद तेज हो गई है. उधर, शाहजहांपुर से गोरखपुर तक के हिस्से के लिए अंतिम अलाइनमेंट को मंजूरी मिल गई है. जल्द ही इस हिस्से के लिए भी अधिग्रहण और मार्किंग की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. शाहजहांपुर में यह एक्सप्रेसवे पीलीभीत के तिल्छी गांव से शाहजहांपुर के पुवायां तहसील क्षेत्र के गांव डिमरी/डिमरिया में प्रवेश करेगा. फिर करीब तीन दर्जन गांवों से होते हुए गोरखपुर की ओर बढ़ जाएगा.
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शाहजहांपुर के इन गांवों से गुजरेगा एक्सप्रेसवे
गोरखपुर पानीपत एक्सप्रेसवे शाहजहांपुर में पुवायां तहसील क्षेत्र के डिमरी/डिमरिया, भगौतीपुर सुहेला, सुहेला, कैथ बहेरा, खिरिया, गुरसंडा रायपुर, बेलावाली, गुलौली, खुशालपुर, बालेमऊ, मरेना, दुबिया, नसुलिया, नहिलोरा बुजुर्ग, विक्रमपुर, खजुरिया, तितुरा, कुंवरपुर जप्ती, जुझारपुर, जारमानो, टकेली, बितौनी ज. करनापुर, लखोहा, बसखेडा बुजुर्ग, पिपरी, बसही, जेवां, पुरेना, कटका, बनियानी और बेला आदि गांवों से होकर गुजरेगा. इन सभी गांवों में जमीन के भाव आसमान छूने लगे हैं.
मुरादाबाद मंडल के 148 गांवों से गुजरेगा यह महामार्ग
यह एक्सप्रेसवे मुरादाबाद में मिलक पहाड़ मऊ, डुडेला, मुख्तियारपुर नवादा, मोहम्मदपुर भगवानदास समेत कुल 60 गांवों से गुजरेगा. इसी प्रकार रामपुर जिले में मुंडिया रसूलपुर, नगालिया, और अजीमनगर जैसे 67 गांव इस मार्ग का हिस्सा बनेंगे. अमरोहा के सिहाली नारायण और उमरी सादात सहित 21 गांवों में भी इस एक्सप्रेसवे के लिए भूमि चिन्हित की गई है. एनएचएआई के अधिकारियों के मुताबिक इस एक्सप्रेसवे के लिए कुल 148 गांवों में 1232 हेक्टेयर भूमि चिन्हित हुई है. इसके अधिग्रहण की कवायद शुरू कर दी गई है.कोशिश है कि मार्च 2026 तक भूमि अधिग्रहण पूरा करते हुए काम शुरू करा दिया जाए.
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मार्च में फाइनल होगी डीपीआर
एनएचएआई के अधिकारियों के मुताबिक इस प्रोजेक्ट के लिए फिलहाल ‘डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट’ (DPR) पर काम चल रहा है. इसे हाल हाल में मार्च 2026 तक फाइनल कर लिया जाएगा. इसके बाद किसानों को उनकी भूमि का उचित मुआवजा देकर जमीन अधिग्रहण की अंतिम कार्रवाई होगी. अधिकारियों के मुताबिक यह एक्सप्रेसवे केवल एक सड़क ही नहीं होगा, बल्कि उत्तर प्रदेश की तकदीर भी लिखेगा. इस सड़क के साथ बनने वाले आर्थिक गलियारे से प्रदेश में औद्योगिक विकास और रियल एस्टेट को नई गति मिलेगी.
ये एक्सप्रेसवे भी होंगे कनेक्ट
इस एक्सप्रेसवे से सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे और इस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे भी कनेक्ट होंगे. इससे पूरब से पश्चिम तक पूरा उत्तर प्रदेश एक सड़क नेटवर्क से जुड़ जाएगा. उत्तर प्रदेश से यह सड़क ना केवल हरियाणा, दिल्ली-एनसीआर और पंजाब के बीच संपर्क को बेहतर बनाएगा, बल्कि यात्रा के समय को भी कम कर इन राज्यों में व्यापार वाणिज्य के नए द्वार खोलेगा. इस सड़क से ट्रांसपोर्टेशन बेहतर होने की वजह से यूपी में जगह जगह औद्योगिक और लॉजिस्टिक्स केंद्र बनेंगे और रोजगार में इजाफा होगा. वहीं बाजार तक कृषि उत्पादों की सीधी पहुंच होने से किसानों को उनके अनाज का सही भाव मिल सकेगा.