अंग्रेजों के सिर काटकर देवी को चढ़ाता था ये क्रांतिकारी… मिली थी 7 बार फांसी
यूपी के गोरखपुर में स्थित एक ऐसा सिद्ध पीठ है, जिसकी कहानी आजादी के आंदोलन से जुड़ती है. मां तरकुलहा देवी के मंदिर में क्रांतिकारी बाबू बंधू सिंह अंग्रेजों के सिर काटकर देवी को चढ़ाया करते थे. जब अंग्रेजों को इस बात का पता चला तो उन्होंने इस क्रांतिकारी का बहुत बुरा हस्र किया. आखिर क्या है इसके पीछे की पूरी कहानी आपको सिलसिलेवार तरीके से बताते हैं.

यूपी के गोरखपुर मुख्यालय से करीब 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक ऐसा सिद्ध पीठ जहां एक क्रांतिकारी अंग्रेजों के सिर काटकर देवी को बलि दिया करता था. यहां देवरिया रोड पर स्थित सिद्ध पीठ तरकुलहा देवी का प्रसिद्ध मंदिर है जो कि एक सिद्ध पीठ के तौर पे जाना जाता है. यही मां तरकुलहा देवी से बाबू बंधू सिंह की भी कहानी जुड़ी हुई है. आजादी के उस दौर में वे अंग्रेजों का सिर काट कर माता को चढ़ाया करते थे. कहा जाता है इसे लेकर ब्रिटिशर्स में खौफ इस कदर था कि कुछ समय के लिए वे वहां से आने- जाने से परहेज करने लगे थे.
जब इसकी खबर अंग्रेजों को लगी तो उन्होंने बंधु सिंह को पकड़ने के लिए जाल बिछाया. बाद में अंग्रजी सरकार ने उन्हें अलग- अलग मामलों में 7 बार फांसी की सजा सुनाई. आज भी तरकुलहा देवी के दर्शन करने के लिए उत्तर प्रदेश से ही नहीं देशभर से श्रद्धालु यहां आते हैं. नवरात्र में यहां काफी भीड़ देखने को मिलती है.
अंग्रेजों खाते थे खौफ
आजादी की लड़ाई के वक्त बंधू सिंह ने अंग्रेजों के नाक में दम करके रखा था. मां तरकुलहा देवी पीठ से जुड़ी उनकी ये कहानी आजादी के अमृत महोत्सव में भी की बार दोहराई गई. शहीद बंधू सिंह डुमरी रियासत के राजकुमार थे. इस पूरे इलाके में उनका नाम बहुत सम्मान से लिया जाता है.
कहा जाता है कि अंग्रेज उनके नाम से थर- थर कांपते थे. उनके पास ये विकल्प मौजूद था कि वो अपना राजपाठ संभालते लेकिन वे आजादी की लड़ाई में कूद पड़े और अपने राज्य की कोई परवाह नहीं की. कहा जाता है कि वे पास के ही घने जंगलों में ही रहते थे और यहीं रहकर अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह करते थे.
धोखे से किया गिरफ्तार
वे गुरिल्ला युद्ध प्रणाली में भी बहुत माहिर थे. इसी वजह से उन्होंने अंग्रेजों की नाक में दम करके रखा था. लगातार हो रही अंग्रेजी अफसरों की हत्या के चलते अंग्रेजी सरकार काफी भयभीत थी. उन्हें गिरफ्तार करने के लिए हर कोशिश की गई लेकिन वे काफी वक्त तक उनके हाथ नहीं लगे. काफी कोशिशों के बाद उन्हें धोखे से गिरफ्तार कर लिया गया. जिसके बाद अंग्रेजी सरकार ने बंधु सिंह को फांसी की सजा सुनाई थी .बताया जाता है कि जब अंग्रेज बंधू सिंह को फांसी दे रहें तो बार-बार फंदा टूट जाता था.
7 बार दी गई फांसी
7 बार उन्हं फांसी देने की कोशिश की गई. लेकिन हर बार अंग्रेज असफल रहे. आखिर में मां तरकुलहा माता से उन्हें अपने चरणों में लेने की प्रर्थना की गई. कहते हैं कि उसके बाद जब कोतवाली थाना क्षेत्र के अलीनगर (आर्य नगर)में फांसी दी गई तो वो हंसते-हंसते उस पर झूल गए.



