कानपुर IIT ने बनाया ऐसा ड्रोन, जो लाहौर-सियालकोट पर रख सकता है नजर, 8 घंटे तक उड़ता ही रहेगा
आईआईटी कानपुर ने भारतीय सेना की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अत्याधुनिक ड्रोन तकनीक विकसित की है. इनमें लाहौर और सियालकोट तक निगरानी करने में सक्षम ड्रोन शामिल हैं, जो 50 किलोमीटर तक की दूरी तक निगरानी कर सकते हैं. इसके अलावा, आईआईटी कानपुर टीथर ड्रोन पर भी काम कर रहा है जो 8 घंटे तक लगातार उड़ान भर सकता है.
आधुनिक समय में दो देशों के बीच युद्ध या सुरक्षा की स्थिति में ड्रोन सबसे ज्यादा मददगार साबित हो रहे हैं. युद्ध की स्थिति चाहे भारत-पाकिस्तान की हो या फिर हाल ही में हुए इजरायल और ईरान के बीच की, सभी जगह ड्रोन का इस्तेमाल ताबड़तोड़ तरीके से किया गया. ऐसे में ड्रोन की बढ़ती मांग को देखते हुए आईआईटी कानपुर ने सेना के लिए नई तकनीक से लैस ड्रोन विकसित किया है. अब एक बार फिर संस्थान ने एक ऐसा ड्रोन तैयार किया है जो पाकिस्तान के लाहौर और सियालकोट तक सर्विलांस कर सकता है.
इन ड्रोनों में सुसाइड ड्रोन से लेकर सामान ढोने वाले ड्रोन शामिल हैं, जो सेना की रणनीतिक जरूरतों को पूरा करने में सक्षम साबित हुए हैं. आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अभिषेक ने बताया कि सेना की मांग पर एक खास विबर्म ड्रोन बनाया जा रहा है. फिलहाल मौजूदा समय में ये पायलट प्रोजेक्ट के तहत है. इस प्रोजेक्ट के लिए कई ऑर्डर भी मिल चुके हैं.
विबर्म ड्रोन में ऐसा क्या है खास?
प्रो. अभिषेक के मुताबिक, विबर्म ड्रोन दूसरे ड्रोनों से पूरी तरह अलग है. यह ड्रोन 50 किलोमीटर तक दुश्मन के ठिकानों की निगरानी करने में सक्षम है. इसकी उड़ान क्षमता काफी शानदार है. ये हवा में लंबे समय तक टिकने की क्षमता रखती है. ड्रोन में 25 लाख रुपये कीमत का हाई-विजिबिलिटी कैमरा लगाया गया है. जिसके जरिए छोटी-बड़ी गतिविधि को साफ तौर पर से कैप्चर कर सकता है. प्रो. अभिषेक ने बताया कि ड्रोन की कीमत इसकी सुविधाओं पर निर्भर करती है और वर्तमान में इसकी अनुमानित लागत करीब 1 करोड़ रुपये है. ड्रोन में और ज्यादा उन्नत सुविधाएं जोड़ने का कार्य जारी है, जिससे इसकी क्षमता और प्रभावशीलता में वृद्धि होगी.
टीथर ड्रोन: नई ऊंचाइयां
आईआईटी कानपुर टीथर ड्रोन पर भी काम कर रहा है, जो लगभग तैयार हो चुका है. यह इलेक्ट्रॉनिक ड्रोन बैटरी से चलेगा और 100 मीटर की ऊंचाई पर 8 घंटे तक लगातार उड़ान भरने में सक्षम है. इसकी कीमत 2 करोड़ से 5 करोड़ रुपये के बीच है. इसकी विशेषताओं और तकनीकी उन्नति पर निर्भर करती है.
सेना को तकनीक से मजबूती
आईआईटी कानपुर की ये ड्रोन सेना को निगरानी, रसद आपूर्ति और रणनीतिक ऑपरेशनों में मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. प्रो. अभिषेक ने बताया कि इन ड्रोनों के विकास में निरंतर सुधार किया जा रहा है ताकि, भारतीय सेना की जरूरतों को और बेहतर तरीके से पूरा किया जा सके. यह प्रयास न केवल तकनीकी नवाचार को बढ़ावा दे रहा है बल्कि, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक बड़ा कदम है.