पब्लिसिटी स्टंट या जनसंपर्क! गमछे पर आदेश लिखकर दिला रहे न्याय; जौनपुर DM का नया तरीका

जौनपुर के DM डॉ. दिनेश चंद्र सिंह अपने अलग-अलग अंदाज को लेकर चर्चा में बने रहते हैं. इस बार उन्होंने पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए नया तरीका अपनाया है. डीएम गमछे पर आदेश लिखकर मामले का निपटारा कर रहे हैं. हालांकि, इसे कई लोग हाइलाइट होने के लिए पब्लिसिटी स्टंट मान रहे हैं.

जौनपुर DM का गमछे पर लिखकर आदेश देने का एक नया तरीका Image Credit:

जौनपुर के जिलाधिकारी डॉ दिनेश चंद्र सिंह अपने अंदाज को लेकर सुर्खियां में रहते हैं. हाल में उन्होंने सूट बूट टोपी और ब्लैक चश्में में खेत में जाकर नेपियर घास की कटाई की थी. डीएम दिनेश चंद्र सिंह ने इस बार गमछे पर न्याय दिलाने का एक नया तरीका अपनाया है. वे न्याय के लिए भटक रहे पीड़ितों को गमछे पर आदेश लिखकर शिकायत का निस्तारण करने का काम कर रहे हैं.

जौनपुर डीएम डॉ दिनेश चंद्र आए दिन चर्चा में रहते हैं. कभी अपने बेतुके बयान को लेकर, तो कभी भ्रष्टाचार की नई परिभाषा बताकर सरकार और जिले की छवि न खराब करने की सलाह दे देते हैं. अब वह गमछे पर आदेश लिखकर लोगों को न्याय दिला रहे हैं. हालांकि, इससे DM की छवि भी धूमिल हो रही है. इसे कई लोग हाइलाइट होने के पब्लिसिटी स्टंट मान रहे हैं.

‘गमछे’ पर न्याय देने का तरीका

पहली तस्वीर में डीएम एक बुजुर्ग को गमछे पर आदेश लिखकर देते दिख रहे हैं. यह जमैथा गांव स्थित परमहंस आश्रम की तस्वीर है. डीएम ने 92 साल के नन्हकू सिंह की शिकायत सुनने के बाद गमछा मंगाया और उसपर उपजिलाधिकारी को जांच कर कार्रवाई का निर्देश दिया. जबकि दूसरी तस्वीर जौनपुर के जिलाधिकारी कार्यालय की है. जिसमें गमछे पर ऑर्डर लिखकर एसडीएम के पास जाने को कहते हैं.

गमछे पर न्याय के फार्मूले से जनता में आक्रोश

जौनपुर के जिलाधिकारी डॉ दिनेश चंद्र सिंह के इस नए तरीके को लोग पब्लिसिटी स्टंट बता रहे हैं. पीड़ितों का कहना है कि लिखित शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं होती, जबकि DM मौखिक शिकायतों पर गमछे पर आदेश जारी कर देते हैं. अगर वह शिकायतों के निस्तारण के प्रति इतने ही गंभीर हैं तो कार्यालय में पहुंचकर लिखित शिकायत देने वाले फरियादियों के मामले उन्हें मामूली क्यों लगते है?

पीड़ितों का कहना है कि उन्हें लिखित शिकायतों पर न्याय क्यों नहीं मिल रहा है. वह थक हारकर हाईकोर्ट में न्याय के लिए अपील करने के लिए क्यों मजबूर हैं? इन सब सवालों के जवाब जिलाधिकारी के पास नहीं हैं. गमछे पर न्याय के फार्मूले से जनता में आक्रोश भी है. वहीं, कुछ पीड़ितों का कहना है कि यह जनसंपर्क है. डीएम उनकी समस्याओं को इस माध्यम से तुरंत निपटा देते हैं.

जौनपुर की स्थिति बहुत खराब है- वकील

हाईकोर्ट के अधिवक्ता अजय उपाध्याय ने बताया कि जौनपुर के डीएम से कई बार शिकायत करके कोई सुनवाई न होने पर पीड़ित हाईकोर्ट आ रहे हैं. कोर्ट द्वारा डीएम को कई मामलों में तलब किया जा चुका है. प्रतिदिन चार से छह मामले हाईकोर्ट आ रहे हैं. जौनपुर की स्थिति बहुत खराब है. शेखपुर मोहल्ले के एक पीड़ित संजय प्रजापति ने कहा कि यह फर्जी है, डीएम साहब केवल हाइलाइट होने के लिए ऐसा कर रहे हैं.