‘तुम गंदी वीडियो देखते हो पैसे भेजो’… जिस डीसीपी का नाम लेकर करते थे साइबर ठगी, अब उन्हीं ने कर लिया गिरफ्तार

कानपुर पुलिस की साइबर क्राइम टीम ने गंदी वीडियो देखने के नाम पर क्राइम ब्रांच अधिकारी और डीसीपी बनकर लोगों से ठगी करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है. पुलिस ने इस गिरोह के 5 सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है. फिलहाल, एक सदस्य फरार है जिसकी तलाश में पुलिस की टीमें लगातार दबिश दे रही हैं.

कानपुर में साइबर ठग के एक गिरोह का पर्दाफाश Image Credit:

“मैं डीसीपी क्राइम अतुल श्रीवास्तव बोल रहा हूं. तुम गंदी वीडियो देखते हो यह अपराध है. तुरंत पैसे भेजो वरना जेल जाओगे”.यह कहकर साइबर ठगी करने वाले गैंग ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन वही डीसीपी क्राइम उनको गिरफ्तार करके जेल भेज देंगे. यह अनोखा मामला कानपुर में देखने को मिला जहां साइबर ठग खेत में बैठकर लोगों को गंदी फिल्में देखने का आरोपी बताकर ठग लेते थे. सबसे बड़ी बात वो अपने को डीसीपी क्राइम अतुल श्रीवास्तव बताते थे.

साइबर अपराध की बढ़ती घटनाओं के बीच कानपुर पुलिस की साइबर क्राइम टीम ने बड़ी सफलता हासिल की है. गंदी वीडियो देखने के नाम पर क्राइम ब्रांच अधिकारी और डीसीपी बनकर लोगों को डराकर ठगी करने वाले एक गिरोह के पांच सदस्यों को टीम ने बुधवार देर रात गजनेर क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया. आरोपी ग्रामीण इलाकों में पानी की टंकी, खेतों और ट्यूबवेल के किनारे बैठकर यह वारदातें अंजाम देते थे.उनके वाट्सएप नंबर पर पुलिस अधिकारियों की प्रोफाइल फोटो लगी होती थी, जिससे पीड़ित आसानी से ठगे जाते थे.

त्रावस्ती जिले के एक शख्स की शिकायत पर हुई कार्रवाई

यह कार्रवाई श्रावस्ती जिले के निवासी प्रमोद चौहान की शिकायत पर की गई. प्रमोद को एक अज्ञात नंबर से फोन आया था, जिसमें कॉलर ने खुद को क्राइम ब्रांच अधिकारी बताया और कहा, “मैं क्राइम ब्रांच से बोल रहा हूं. तुम गलत वीडियो देखते हो. तुम्हारा नंबर प्रतिबिंभ पोर्टल से मिला है. हमारे अधिकारी तुमसे बात करेंगे.” इसके बाद डीसीपी बता कर और जेल भेजने की धमकी देकर उनसे 42 हजार रुपये ठग लिए गए. शिकायत मिलते ही साइबर क्राइम टीम ने सर्विलांस की मदद से आरोपियों की लोकेशन ट्रेस की और गजनेर से दबिश देकर उन्हें पकड़ लिया.

सभी गिरफ्तार आरोपियों को पुलिस ने जेल भेजा

गिरफ्तार आरोपियों की पहचान कानपुर देहात के अकबरपुर थाना क्षेत्र के नारायणपुर दुर्गापुर गांव निवासी पंकज सिंह, गजनेर के मन्नहापुरवा निवासी सुरेश सिंह और उसके भाई दिनेश सिंह, बर्रा-2 निवासी अमन विश्वकर्मा तथा मूल रूप से बांदा जिले के निवासी और वर्तमान में बर्रा-2 यादव मार्केट में रहने वाले विनय सोनकर के रूप में हुई है. पुलिस ने सभी पांचों आरोपियों को जेल भेज दिया है. हालांकि, गिरोह का सरगना अकबरपुर के दुर्गापुर निवासी संदीप सिंह अभी फरार है, जिसकी तलाश जारी है.

लंबे वक्त से सक्रिय था ये गिरोह

पुलिस जांच में पता चला है कि यह गिरोह लंबे समय से सक्रिय था और ग्रामीण क्षेत्रों में एकांत जगहों का चुनाव इसलिए करता था ताकि कोई शक न करे. आरोपी रैंडम नंबरों पर कॉल करते थे और पीड़ित को गंदी साइट्स देखने का आरोप लगाकर डराते थे. प्रतिबंधित पोर्टल का नाम लेकर वे विश्वसनीयता बढ़ाते थे और फिर पैसे मंगवाते थे. साइबर क्राइम विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे स्कैम में ठग अक्सर पुलिस या सरकारी एजेंसी का डर दिखाते हैं, जिससे लोग घबरा कर पैसे ट्रांसफर कर देते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, कोई भी सरकारी एजेंसी फोन पर गिरफ्तारी या पैसे मांगने की धमकी नहीं देती. ऐसे कॉल आने पर तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत दर्ज करानी चाहिए.