कानपुर की ऐसी कॉलोनी, जहां 3 हजार घरों में आज भी नहीं है टॉयलेट; हैरान कर देगी ये कहानी
कानपुर की संतलाल हाता कॉलोनी के 3000 से अधिक घरों में आज भी शौचालय नहीं हैं, जो 'स्वच्छ भारत' अभियान की जमीनी हकीकत पर सवाल उठाता है. जर्जर सामुदायिक शौचालय और सीवर लाइन की कमी से यहां के लोगों को भारी परेशानी हो रही है. नौबत यहां तक आ गई है कि लड़कों की शादियां तक नहीं हो पा रही. यह बस्ती शहरी विकास की अनदेखी का जीता-जागता उदाहरण है.
पीएम मोदी की वो मुहिम तो आपको याद ही होगी, जिसमें हर घर में शौचालय की बात कही गई थी. समूचे देश में इस मुहिम पर काफी काम हुआ, यहां तक कि शौचालय पर आधारित एक फिल्म भी बन गई. लेकिन उत्तर प्रदेश के औद्योगिक नगरी कानपुर में एक ऐसा मोहल्ला है, जहां किसी घर में शौचालय नहीं हैं. 3000 से अधिक आबादी वाले इस दलित मोहल्ला में लोगों के निपटान के लिए एक मात्र सामुदायिक शौचालय है. इसमें भी 6 पुरुषों के लिए और 4 महिलाओं के लिए महज 10 सीटें लगी हैं.
जानकारी के मुताबिक यह सामुदायिक शौचालय इस समय खस्ताहाल हो चुका है. इसके दरवाजे टूटे हैं और साफ सफाई के भी ठोस इंतजाम नहीं है. आलम यह है कि घरों में शौचालय ना होने की वजह से यहां के लड़कों की शादी तक नहीं हो पा रही है. यह कॉलोनी कानपुर शहर के पॉश इलाके हर्षनगर में है. इस मोहल्ले को मलिन बस्ती संतलाल हाता के रूप में जाना और पहचाना जाता है. बुनियादी सुविधाओं से महरूम इस मोहल्ले में शौचालय की समस्या विकराल रूप ले चुकी है.
अब यहां रिश्ते भी नहीं आते
स्थानीय लोगों के मुताबिक इस मोहल्ले में सीवर लाइन और शौचालय की कमी यहां रहने वालों के दांपत्य जीवन में भी बाधक बनने लगा है. दरअसल शौच के लिए महिलाओं को बाहर सामुदायिक शौचालय में जाना पड़ता है. यह असुरक्षित होने के साथ ही असुविधाजनक भी है. यही वजह से बाहर के लोग इस मोहल्ले में अपनी बेटी नहीं ब्याहना चाहते. कई बार बच्चों का शौचालय की लाइन में खड़े होने के चक्कर में स्कूल तक बंक करना पड़ जाता है.
अब तक नहीं डली सीवर लाइन
संतलाल हाता वार्ड 37 में है. यहां सैकड़ों परिवार रहते हैं. एक अनुमान के मुताबिक यहां 3000 से अधिक की आबादी है. पार्षद पवन गुप्ता ने बताया कि आजादी के बाद से अब तक इस बस्ती में सीवर लाइन नहीं डाली गई. नतीजतन, घरों में शौचालय बनवाना संभव नहीं हो पाता. महिलाएं और लड़कियां शौच के लिए बाहर जाने को मजबूर हैं. निवासियों का आरोप है कि कई बार शादी तय हो जाती है, लेकिन जब लड़की वालों को शौचालय की सुविधा न होने का पता चलता है, तो वे रिश्ता तोड़ लेते हैं. एक स्थानीय महिला ने कहा, “सरकार हर घर शौचालय का नारा देती है, लेकिन हमारे इलाके में तो बुनियादी सीवर तक नहीं है.
पॉश एरिया से सटे हुए है दलित बस्ती
यह बस्ती शहर के पॉश क्षेत्र हर्षनगर से सटी हुई है, जहां सिविल लाइंस, स्वरूप नगर और इंदिरा नगर जैसे इलाके बेहतर सुविधाओं से लैस हैं. वहां घरों में आधुनिक शौचालय और सीवर कनेक्शन आम हैं, लेकिन संतलाल हाता जैसे मलिन क्षेत्रों में विकास की किरण नहीं पहुंची है. बस्ती में एक सार्वजनिक शौचालय तो है, लेकिन उसकी हालत जर्जर है और वह पर्याप्त नहीं. स्थानीय लोगों का कहना है कि हमारे वोट तो मांगे जाते हैं, लेकिन मूल भूत सुविधा देने में भी सरकार को जोर पड़ता है.
