लखनऊ से ब्रह्मोस मिसाइल का पहला बैच रवाना, CM योगी और राजनाथ सिंह ने दिखाई हरी झंडी; जानें खासियत

लखनऊ से ब्रह्मोस मिसाइलों की पहली खेप रवाना हुई, जिसे केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरी झंडी दिखाई. उन्होंने सुखोई-30 से वर्चुअल स्ट्राइक भी देखी. ब्रह्मोस अपनी गति और सटीकता के लिए जानी जाती है, जिसने 'ऑपरेशन सिंदूर' में भी अहम भूमिका निभाई.

लखनऊ से ब्रह्मोस मिसाइलों की पहली खेप रवाना हुई

उत्तर प्रदेश के लखनऊ स्थित ब्रह्मोस एयरोस्पेस यूनिट में शनिवार को फ्लैग ऑफ समारोह का आयोजन किया गया. केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ इकाई से निर्मित सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइलों के प्रथम बैच को हरी झंडी दिखाई. मुख्यमंत्री योगी आदित्यना ने कहा कि ब्रह्मोस केवल भारत की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में अपने मित्र देशों की रक्षा करने का सबसे सक्षम हथियार है.

लखनऊ के सरोजिनी नगर स्थित ब्रह्मोस एयरोस्पेस यूनिट में सुपरसोनिक मिसाइलों का उत्पादन, इंटीग्रेशन, टेस्टिंग और क्वालिटी चेकिंग किया जाता है. पहली ब्रह्मोस खेप रवाना होने के साथ ही लखनऊ एक ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बनी. राजनाथ सिंह ने कहा कि लखनऊ में बनी मिसाइल पूरे देशवासियों की सुरक्षा और समृद्धि की गारंटी है.

डीजी ब्रह्मोस ने 40 करोड़ का जीएसटी चेक सौंपा

केंद्रीय रक्षा मंत्री और सीएम योगी ने वायुसेना के सुखोई-30 विमान से ब्रह्मोस मिसाइल की वर्चुअल स्ट्राइक देखी. इस दौरान डीआरडीओ प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत और ब्रह्मोस के महानिदेशक जयतीर्थ आर. जोशी ने लखनऊ यूनिट में बनी मिसाइल का जीएसटी बिल रक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री को सौंपा.

सीएम योगी ने कहा कि आज डीजी ब्रह्मोस ने 40 करोड़ का जीएसटी चेक सौंपा है. हर वर्ष 100 ब्रह्मोस मिसाइल बनेंगी, जो बढ़कर 150 तक पहुंचेंगी, तो 150-200 करोड़ जीएसटी मिलेगा. यह ‘आम के आम और गुठली के दाम’ जैसा है. उन्होंने जरूरत पर DRDO को और लैंड उपलब्ध कराने का आश्वासन भी दिया.

ब्रह्मोस यूनिट का 11 मई 2025 को हुआ था उद्घाटन

राजनाथ सिंह ने कहा कि 11 मई 2025 को इस आधुनिक सुविधा का उद्घाटन हुआ था. केवल पांच महीनों में ब्रह्मोस मिसाइल की पहली खेप तैयार होकर डिलीवर हो रही है. मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि जिस गति और दक्षता से यह कार्य पूरा हुआ है, वह केवल रिकॉर्ड ही नहीं, बल्कि लखनऊ और उत्तर प्रदेश की विश्वसनीयता का भी प्रमाण है.

ब्रह्मोस मिसाइल, जिसे डीआरडीओ और रूस की कंपनी एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनीय ने मिलकर विकसित किया है, ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के कई सैन्य ठिकानों पर सटीक हमला करने में काम आई. ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय वायुसेना ने जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के ठिकानों को निशाना बनाया और ब्रह्मोस मिसाइल का प्रमुख रूप से इस्तेमाल किया.

ब्रह्मोस मिसाइल की खासियत

सुपरसोनिक मिसाइल: ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक मिसाइलों में से एक है. यह आवाज़ की तीव्र गति से तीन गुना (Mach 3) तक उड़ सकती है. मतलब, यह बहुत जल्दी अपने लक्ष्य तक पहुंचती है.

सटीक प्रहार (Precision Strike): इसका टारगेट हिट करने का स्तर बहुत उच्च है. यह मिसाइल सैकड़ों किलोमीटर दूर के दुश्मन ठिकानों को भी सटीक निशाना बना सकती है.

.ज़मीन, समुद्र और हवा से लॉन्च करने की क्षमता: ब्रह्मोस विभिन्न प्लेटफॉर्म से लॉन्च की जा सकती है जमीन से समुद्र (जहाज) से वायुसेना के लड़ाकू विमानों से (जैसे SU-30)

घातक वारहेड: इसमें 500 किलो तक का वारहेड रखा जा सकता है, जो दुश्मन ठिकानों और संरचनाओं को पूरी तरह तबाह कर सकता है.

जमीन और पानी दोनों में संचालन: यह मिसाइल समुद्र और जमीन के दोनों टारगेट पर हमला कर सकती है, इसलिए किसी भी परिस्थिति में इस्तेमाल के लिए तैयार है.

ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज

  • पहले इसकी सीमा लगभग 290 किलोमीटर थी.
  • नए संस्करणों में इसकी रेंज बढ़कर 400-500 किलोमीटर तक हो गई है. और इसके 800 किलोमीटर तक की रेंज पर भी काम किया जा रहा है.
  • यानी यह मिसाइल कई सौ किलोमीटर दूर दुश्मन के ठिकानों को मार सकती है, बिना दुश्मन को चेतावनी दिए.

कितनी खतरनाक है?

  • इसकी तीव्र गति और सटीकता इसे दुश्मन के लिए बहुत खतरनाक बनाती है.
  • इसे पकड़ना या रोकना बहुत मुश्किल है क्योंकि यह अचानक और तेज़ी से उड़ती है, और रडार पर पकड़ना कठिन होता है.
  • ऑपरेशन सिंदूर जैसे हालिया अभियानों में, यह मिसाइल पाकिस्तान के एयरबेस और सेना ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचाने में काम आई थी.