अंडरग्राउंड पाइप लाइन, पॉप-अप स्प्रिंकलर… लखनऊ में उर्मिला वन विकसित करेगा एलडीए

उत्तर प्रदेश में लखनऊ प्राधिकरण की तरफ से कुकरैल नदी के किनाई के 24 एकड़ क्षेत्र को प्रकृति की सुंदरता को ध्यान में रखकर विकसित किया जाएगा, जहां पर शहरवासी साफ-सुथरी हवा में सांस ले सकेंगे. यहां बहुत से पौधारोपण भी किए जाएंगे, जिसमें खास तरह के पौधों को शामिल किया गया है, जो कि पानी में लेड की मात्रा को कम करने में मदद करेंगे.

लखनऊ विकास प्राधिकरण की अध्यक्ष का निरीक्षण Image Credit: ट्विटर

उत्तर प्रदेश में लखनऊ विकास प्राधिकरण कुकरैल नदी के किनारे लगभग 24 एकड़ क्षेत्रफल में ‘उर्मिला वन’ विकसित करेगा. इस वन को पूरी तरह प्राकृतिक रूप में विकसित किया जाएगा और सुरक्षा के लिए फेन्सिंग आदि कार्यों को छोड़कर सिविल के कार्य नहीं कराये जाएंगे. लखनऊ विकास प्राधिकरण की अध्यक्ष/मण्डलायुक्त डॉ. रोशन जैकब ने बुधवार को स्थल निरीक्षण करके जरूरी दिशा-निर्देश दिये. इस मौके पर एलडीए उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार, सचिव विवेक श्रीवास्तव, अपर सचिव ज्ञानेन्द्र वर्मा एवं सीपी. त्रिपाठी, मुख्य नगर नियोजक केके गौतम, मुख्य अभियंता नवनीत शर्मा एवं अधीक्षण अभियंता संजीव कुमार गुप्ता समेत दूसरे अधिकारी मौके पर मौजूद रहे.

24 एकड़ जमीन में उर्मिला वन

एलडीए उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने बताया कि पेपरमिल कालोनी, भीखमपुर के पास कुकरैल नदी से सटी लगभग 24 एकड़ भूमि को कब्जा मुक्त कराया गया था. अब उस स्थान पर उर्मिला वन विकसित किया जाएगा. यह वन शहर वासियों को ताजी सांस तो देगा ही, साथ ही पर्यावरण संरक्षण को लेकर प्रदेश भर में चलाये जा रहे महाअभियान में एक अलग कीर्तिमान भी स्थापित करेगा.

इसके लिए यहां मियावॉकी पद्धति से पौधरोपण किया जाएगा, जिससे सघन वन विकसित होगा. यहां रोपित किये जाने वाले पेड़-पौधों का चयन भी पर्यावरण को ध्यान में रखकर किया जाएगा. इससे एक तरफ तो वायु शुद्धि, छाया एवं शीतलता, मिट्टी सुधार, कटाव नियंत्रण व जैव-विविधता को समर्थन मिलेगा. वहीं, दूसरी तरफ कुकरैल नदी के किनारे का बफर वनीकरण जल गुणवत्ता में सुधार, बाढ़ शमन, पर्यावास और जैव विविधता एवं जलवायु शुद्धिकरण में उपयोगी होंगे।

प्राकृतिक रूप में विकसित होगा वन

एलडीए उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने बताया कि उर्मिला वन को पूरी तरह प्राकृतिक रूप में विकसित किया जाएगा. इसके लिए वन क्षेत्र में किसी भी तरह का सिविल वर्क नहीं कराया जाएगा और वॉकिंग ट्रेल भी कच्चे बनाये जाएंगे. सिर्फ वन क्षेत्र को सुरक्षित रखने के लिए चारों तरफ बाह्य क्षेत्र में चेन लिंक फेन्सिंग का कार्य कराया जाएगा.

सिंचाई के लिए अंडरग्राउंड पाइप लाइन

वन में रोपित किये जाने वाले पेड़-पौधों की सिंचाई के लिए स्थायी व्यवस्था की जाएगी. इसके तहत पूरे वन क्षेत्र में अंडरग्राउंड पाइप लाइन बिछाने का काम किया जाएगा. इसमें निर्धारित दूरी पर पॉप-अप स्प्रिंकलर लगाये जाएंगे, जिससे पौधों को नियमित रूप से पानी दिया जा सकेगा.

विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाये जाएंगे

सहायक उद्यान अधिकारी कर्ण सिंह ने बताया कि उर्मिला वन में बरगद, पीपल, पारस पीपल, पाकड़, पिलखन, आम, अमरूद, नीम, सैलिक्स, कैलामस, थ्रीविया नोडिफीलिया व गूलर आदि के पेड़ लगाये जाएंगे. इसके अलावा अर्जुना, जामुन, बांस और नदी के किनारे कैना, लोटस, वॉटर लिली, कोलकेसिया, वॉटर ल्यूटस, सालविनिया व विटिवर आदि प्रजातियों के पौधे लगाये जाएंगे, जोकि पानी में लेड की मात्रा को नियंत्रित रखेंगे.