Ex-GF का बदला लेने वाला खेल, युवक पर कर दिया था झूठा रेप और SC-ST एक्ट का केस, अब खुद काटेगी 3.5 साल की जेल

लखनऊ की SC-ST एक्ट विशेष अदालत ने रिंकी नाम की युवती को अपने एक्स बॉयफ्रेंड को झुठे रेप और SC-ST केस में फंसाने का दोषी पाया है. अब अदालत ने उसे साढ़े तीन साल की कैद और 30 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है.

गर्लफ्रेंड ने बॉयफ्रेंड पर किया था केस अब खुद जाएगी जेल ( फोटो क्रेडिट- एआई) Image Credit:

प्रेमी की शादी कहीं और तय हो गई. इससे गुस्से में आकर गर्लफ्रेंड ने अपने प्रेमी पर झुठे दुष्कर्म और SC-ST एक्ट का केस ठोंक दिया. दरअसल, मामला कई साल पुराना था, लिव-इन जैसा रिश्ता था, सहमति से सब कुछ हुआ था, लेकिन जब बात नहीं बनी तो पुलिस और कोर्ट का सहारा लिया गया.

अब कोर्ट इस मसले पर सख्ती दिखाई है. लखनऊ की SC-ST एक्ट विशेष अदालत के न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने आरोपी युवती रिंकी को दोषी ठहराते हुए साढ़े तीन साल की कैद और 30 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई. साथ ही युवती को फटकारा भी है.

कोर्ट ने कहा तेजी से बढ़ रहे हैं ऐसे मामले

कोर्ट ने कहा कि भारतीय समाज में विवाहेत्तर संबंध, लिव-इन रिलेशनशिप और अनैतिक व्यभिचार के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. कई साल तक ऐसे संबंध रखने के बाद अचानक महिला पुलिस-कोर्ट पहुंच जाती है और दुष्कर्म का आरोप लगा देती है. इसका मकसद सिर्फ पुरुष को जेल भेजना और बदला लेना होता है. कानून का इस तरह दुरुपयोग बेहद गंभीर अपराध है.

कोर्ट ने सरकार को भी लगाई फटकार

अदालत ने सबसे बड़ी टिप्पणी झूठे केस में तुरंत मिलने वाली सरकारी राहत राशि पर की. कोर्ट ने कहा कि मामला दर्ज होते ही पीड़िता को राहत राशि दे दी जाती है, जबकि चार्जशीट तक नहीं हुई होती. इससे झूठे मुकदमे दर्ज कराने की प्रवृत्ति बढ़ रही है. कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर और जिलाधिकारी को आदेश दिया कि अगर युवती को कोई सरकारी मुआवजा या राहत राशि मिली है, तो उसे तुरंत वापस वसूल किया जाए।

झूठे साबित हुए युवती के आरोप

युवती और युवक (जो SC समुदाय से था) का कई साल तक प्रेम-संबंध रहा. दोनों सहमति से शारीरिक संबंध बनाते रहे. जब लड़के की शादी कहीं और तय हुई तो युवती ने बदले की भावना से थाने में SC-ST एक्ट और दुष्कर्म की FIR दर्ज करा दी. जांच में सारे आरोप झूठे साबित हुए. उल्टा युवती पर ही मुकदमा चला और अब सजा हो गई.

क्या झूठे केस दर्ज कराने वालों में आएगा डर

यह मामला कानून के दुरुपयोग को रोकने की दिशा में एक मिसाल बन गया है. कोर्ट ने साफ कहा सहमति से बने संबंध बाद में दुष्कर्म नहीं कहला सकते और न ही SC-ST एक्ट को बदले का हथियार बनाया जा सकता है. अब देखना यह है कि इस ऐतिहासिक फैसले के बाद झूठे केस करने वालों में कितना डर पैदा होता है.