‘अनाथ बच्चों का स्कूलों में एडमिशन कराए सरकार…’ सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकारों को एक आदेश दिया है, जो अनाथ बच्चों की शिक्षा को लेकर बेहद अहम माना जा रहा है. कोर्ट ने RTE 2009 का हवाला देते हुए आदेश दिया कि अनाथ बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार को उठानी होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने अनाथ बच्चों की शिक्षा को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. लखनऊ की रहने वाली पौलोमी पाविनी शुक्ला सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता हैं. उनकी जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की बेंच ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया.
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) 2009 के तहत अनाथ बच्चों को भी पढ़ाई- लिखाई का पूरा अधिकार है और ये राज्य सरकारों की अहम जिम्मेदारी है कि अनाथ बच्चों का नजदीकी स्कूलों में दाखिला कराया जाए. इस आदेश को लागू करने के लिए राज्यों को 4 सप्ताह का समय दिया गया है.
अनाथ बच्चों की जिम्मेदारी राज्य की
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि अगर किसी बच्चे के माता-पिता नहीं हैं तो राज्य की ही भूमिका पालक पिता के तौर पर होती है. ऐसे में संविधान के अनुच्छेद 51 का हवाला देते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अनाथ बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैयै करना राज्य का काम है. कोर्ट ने राज्यों को ये भी निर्देश दिया कि वे सर्वेक्षण करें और स्कूल- ड्राप कर रहे अनाथ बच्चों की पहचान कर उनकी शिक्षा की उचित व्यवस्था करें.
पौलोमी ने दायर की थी PIL
जनहित याचिका (PIL) दायर करने वाली पौलोमी पाविनी शुक्ला अनाथ बच्चों के अधिकारों के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रही हैं. उन्होंने इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह फैसला भारत के लाखों अनाथ बच्चों को समाज की मुख्यधारा में लाने और उन्हें शिक्षा का समान अवसर प्रदान करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा.
पौलोमी ने अनाथ बच्चों की स्थिति पर काफी शोध कार्य किया है. उनकी पुस्तक “Weakest on Earth – Orphans of India” में भी इस मुद्दे को उजागर किया गया है. उनके प्रयासों को “Forbes 30 Under 30” सूची में शामिल कर सम्मानित भी किया जा चुका है.
2 करोड़ से भी ज्यादा है अनाथ बच्चे
यूनिसेफ के एक अनुमान के मुताबिक भारत में अनाथ बच्चों की तादाद 2 करोड़ से भी ज्यादा है. लेकिन इनकी पढ़ाई- लिखाई की कोई तय व्यवस्था नहीं है. याचिका में पौलोमी ने मांग की थी कि देश की जनगणना में अनाथ बच्चों को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए. इस पर भारत सरकार की ओर से महान्यायवादी ने सकारात्मक जवाब देते हुए कहा कि वे इस संबंध में आवश्यक कदम उठाए जाएंगे.
सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश सुनिश्चित करेगा कि अनाथ बच्चे भी स्कूलों में पढ़ाई कर सकें. जो कि RTE के तहत उनका अधिकार है. जानकारों का कहना है कि इस कदम के चलते न केवल शिक्षा के क्षेत्र में समानता देखने को मिलेगी बल्कि असहाय बच्चों की जिंदगी में अहम बदलाव लाने वाला भी शाबित होगा.