लखनऊ में हुई 43 क्षत्रिय विधायकों की बैठक, ‘कुटुंब परिवार’ के नाम पर बड़ी गोलबंदी तो नहीं?

यूपी विधानसभा के मानसून सत्र के पहले ही दिन लखनऊ के होटल क्लार्क अवध में 43 विधायकों की बैठक, सियासी गलियारों में अटकलों को हवा दे रही है. 'कुटुंब परिवार' के बैनर तले हुई इस बैठक में 49 ठाकुर विधायकों में से 43 विधायक शामिल हुए. इसमें बीजेपी के साथ-साथ सपा के बागी विधायक भी मौजूद रहे. वैसे तो कहा गया कि ये मीटिंग ठाकुर रामवीर सिंह की मुरादाबाद बाय इलेक्शन में रिकॉर्ड जीत की खुशी मनाने के नाम पर की गई लेकिन ठाकुर विधायकों का इतनी बड़ी तादाद में जमा होना और घंटों मीटिंग करना कुछ और ही इशारा कर रहा है. आखिर इसे लेकर क्या लग रहे हैं कयास और इनमें कितनी है सच्चाई आपको बताते हैं.

लखनऊ में हुई 43 क्षत्रिय विधायकों की बैठक

उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र से ठीक पहले लखनऊ के होटल क्लार्क अवध में हुई एक बैठक ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है. ‘कुटुंब परिवार’ के नाम पर हुई इस बैठक में प्रदेशभर के कुल 49 ठाकुर विधायकों में से 43 ठाकुर विधायक शामिल हुए. इसमें बीजेपी के साथ-साथ सपा के बागी विधायक भी नजर आए.

क्या ठाकुर विधायकों की गोलबंदी की शुरुआत हो गई है.

लग रहे ये कयास

बैठक को लेकर कहा गया कि मुरादाबाद के बाय- इलेक्शन में ठाकुर रामवीर सिंह की जीत का जश्न मनाने के लिए बिरादरी के करीब- करीब सभी विधायक इकट्ठा हुए थे. लेकिन इतनी बड़ी तादाद में विधायकों का घंटों तक मीटिंग करना कई सवाल खड़े करता है. ठाकुरों के अलावा कुछ गैर-ठाकुर विधायक भी इस बैठक में नजर आए. उनके बारे में ऐसा कहा जाता है कि वे बीजेपी सरकार में काफी ज्यादा दखल रखते हैं. इस मीटिंग में भगवान राम, महाराणा प्रताप की तस्वीर और त्रिशूल भेंट किए गए. अब इसे सामाजिक एकता के तौर पर देखा जा रहा है.

सियासी गलियारों में हलचल

कहा जा रहा है कि इस बैठक के बाद लखनऊ से लेकर दिल्ली तक के सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है. कहा ये भी जा रहा है कि बीजेपी संगठन और सरकार से इतर इतने बड़े समूह की बैठक पहले कभी नहीं हुई थी. माना जा रहा है कि ये मीटिंग यूपी की भविष्य की राजनीति में ठाकुर विधायकों की भूमिका को लेकर कोई बड़ा संकेत हो सकती है.

सूत्रों ये भी बताते हैं कि ठाकुर समाज में कुछ मुद्दों को लेकर नाराजगी है. जिनमें पूर्व मुख्य सचिव मनोज सिंह को सेवा विस्तार न मिलना और लोकसभा टिकट बंटवारे में भी ठाकुरों को बड़ी तादाद में टिकट न देना जैसे कई मुद्दे हैं. ठाकुर रामवीर सिंह इस आयोजन के चेहरे जरूर हैं, लेकिन बताया जा रहा है कि इसके पीछे दो मजबूत विधायकों की रणनीति थी.

क्या कहते हैं विश्लेषक

बैठक में सपा के निष्कासित विधायक राकेश प्रताप सिंह और अभय सिंह भी नजर आए. अब इस जमावड़े को लेकर अहम सवाल खड़े हो रहे हैं. हालांकि आयोजकों का कहना है कि ये एक निजी आयोजन था. लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह ठाकुर समाज की नई सियासी गोलबंदी की शुरुआत हो सकती है.

वहीं राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की सीएम योगी से मुलाकात ने भी इन अटकलों को और हवा दे दी है. फिलहाल ये तो वक्त ही बताएगा कि ये मीटिंग सच में ठाकुरों की राजनीतिक गोलबंदी है या ये केवल एक कयास.