यहां गिरे थे माता सती के केश, गोपियों ने अपने हाथ से बनाई थी मूरत, जानें पूरी कहानी

नवरात्र के मौके 51 शक्तिपीठों में एक वृंदावन के कात्यायनी देवी मंदिर भक्तों की खूब भीड़ उमड़ रही है. माना जाता है कि जो भी कुवांरी कन्या मां कात्यायनी की पूजा पूरे मनोयोग से करती हैं उनके विवाह में आ रही बाधाएं अपने आप दूर हो जाती है.

मां कात्यायनी का मंदिर Image Credit:

शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है. इस दौरान देशभर के देवी मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है. नवरात्र के दिनों में माता की आराधना बहुत ही भक्ति भाव से और आस्था से की जाती है. श्री कृष्ण की नगरी मथुरा के मंदिरों में इस वक्त भक्तों का सैलाब आया हुआ. देवी के दर्शन के लिए लोग सुबह से लाइन में लगकर घंटों इंतजार कर रहे हैं.

मथुरा के वृंदावन में स्थित मां कात्यायनी मंदिर में भी भक्तों का खूब सैलाब उमड़ता है. नवरात्र में तो यहां पांव रखने तक की स्थिति नहीं होती है. 51 शक्ति पीठों में से एक है. मान्यता है कि माता सती के केश यहीं गिरे थे और तबसे मां कात्यायनी यहां विराजमान हैं और लोगों की मनोकामनाओं को पूरा कर रही हैं.

मंदिर को श्रीकृष्ण से जुड़ी क्या है मान्यता

इस मंदिर को लेकर श्रीकृष्ण से जुड़ी भी एक मान्यता प्रचलित है. द्वापर युग में जब गोपियां भगवान कृष्ण को अपने पति के रूप में पाना चाहती थीं, तब उन्हें मां कात्यायनी की पूजा करने के बारे में बताया गया. फिर गोपियों ने यमुना के किनारे स्थित मां कात्यायनी की मूर्ति बनाकर उनकी आराधना की. मां कात्यायनी खुश होकर ने उन गोपियों को वरदान दिया कि वे भगवान कृष्ण को अपने पति के रूप में प्राप्त करेंगी.

कुंवारी लड़कियों की मनोकामना होती है पूरी

कहते हैं जो कुंवारी लड़कियां इस मंदिर में आती हैं. माता की पूजा करती है. उन्हें जो मंत्र मिलता है उसका जाप करती हैं तो उन लड़कियों के विवाह में आ रही सारी अड़चनें दूर हो जाती है. श्रीमद्भागवतम् के 10वें स्कंध के 22वें अध्याय में भी ब्रज की गोपियों का कात्यायनी देवी की पूजा का वर्णन है, जहां उन्होंने भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए यमुना नदी में स्नान करके देवी माता से प्राथना की थी.

संगमरमर से बना है पूरा मंदिर

इस मंदिर को संगमरमर से बनाया गया है. इसमें माता की एक अष्टधातु की मूर्ति रखी हुई है. अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित मात की मूर्ति को लाल रंग की चुन्नी ओढ़ाई गई है. मंदिर के गुंबद पर दो त्रिशूल के साथ माता का झंडा फहराया गया है. साथ ही मुख्य द्वार पर दो शेर भी स्थापित किए गए हैं.

यहां पहुंचना है बेहद आसान

वृंदावन के मां कात्यायनी के मंदिर पहुंचना बेहद आसान. देश के अलग-अलग हिस्सों से मथुरा पहुंचने की कनेक्टिविटी है. यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा आगरा में है. ऐसे में आप हवाई जहाज के जरिए आगरा पहुंचकर वहां से सार्वजनिक साधन के जरिए आप मथुरा पहुंच सकते हैं. . दिल्ली से वृंदावन धाम के लिए आसानी से बसें और ट्रेन उपलब्ध है. मंदिर से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन मथुरा जंक्शन है. यह वृंदावन धाम से सिर्फ 13 किलोमीटर की दूरी पर है.