सपा को खाली करनी होगी मुलायम सिंह को मिली कोठी, 31 साल बाद आवंटन रद्द, 250 रुपये था किराया
समाजवादी पार्टी की लगभग 31 साल पुरानी कोठी का आवंटन प्रशासन ने रद्द कर दिया है. यह कोठी 1994 में तत्कालीन मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को आवंटित हुई थी और उसका किराया मात्र 250 रुपये था. प्रशासन ने सपा को एक महीने में कोठी खाली करने का नोटिस दिया है.

मुरादाबाद के सिविल लाइन थाना क्षेत्र में स्थित समाजवादी पार्टी की लगभग 31 साल पुरानी कोठी का आवंटन जिला प्रशासन ने रद्द कर दिया है. वर्तमान में यह भवन समाजवादी पार्टी के जिला कार्यालय के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. यह कोठी 13 जुलाई 1994 को तत्कालीन मुख्यमंत्री और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को आवंटित की गई थी. प्रशासन ने सपा को एक महीने में कोठी खाली करने का नोटिस दिया है.
सिविल लाइंस इलाके में स्थित इस कोठी का क्षेत्रफल लगभग 1000 वर्ग मीटर है. इसका मासिक किराया मात्र 250 रुपये तय किया गया था. लेकिन अब जिलाधिकारी अनुज सिंह के आदेश पर यह आवंटन समाप्त कर दिया गया है. सूत्रों के अनुसार, मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद पार्टी की ओर से कोठी के नामांतरण के लिए कोई औपचारिक प्रक्रिया नहीं अपनाई गई थी.
सपा के जिला अध्यक्ष को भेजा गया नोटिस
जिला प्रशासन ने समाजवादी पार्टी को एक महीने के भीतर कोठी को खाली करने के निर्देश दिए हैं. एडीएम (वित्त) की ओर से सपा जिलाध्यक्ष को नोटिस भेजा गया है और भवन का नियंत्रण प्रशासन को सौंपे जाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. प्रशासन के इस निर्णय से कोठी की करोड़ों की जमीन सरकारी योजनाओं के लिए उपलब्ध होगी. बताया जा रहा है कि इस कोठी की मौजूदा बाजार कीमत करोड़ों रुपये में है.
पुराने समय के हिसाब से चल रहा किराया
जबकि इसका किराया अभी भी पुराने समय के 250 रुपये प्रति माह के हिसाब से चल रहा है. इस फैसले के बाद अब यह जमीन सरकारी योजनाओं और जरूरतों के लिए उपयोग में लाई जा सकेगी. समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष जयवीर सिंह यादव ने बताया कि अभी तक उन्हें प्रशासन की ओर से लेटर प्राप्त नहीं हुआ है, लेकिन जिला प्रशासन के द्वारा पत्रावली पूरी कर दी गई है.
कोठी खाली नहीं की हुआ तो लगेगा जुर्माना
जिलाधिकारी अनुज कुमार सिंह ने कहा कि कोठी का आवंटन रद्द करने के पीछे कई कारण हैं. जेसै सपा ने संपत्ति के नामांतरण के लिए कोई आवेदन नहीं किया. सरकारी योजनाओं और अधिकारियों के आवास के लिए भूमि की आवश्यकता और सरकारी संपत्ति का बेहतर उपयोग शामिल है. अगर समय सीमा में कोठी खाली नहीं की गई, तो प्रतिदिन 1000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.



