खौफनाक प्राणी या कोरी अफवाह? ‘मुंहनोचवा’ की कहानी, जिसकी दहशत में रहे यूपी समेत कई राज्य

साल 2002-03 में उत्तर प्रदेश और बिहार में 'मुंहनोचवा' नामक एक रहस्यमय प्राणी की दहशत थी. लोग इस काल्पनिक जीव के डर से घरों में बंद रहने लगे, जिससे गांवों में सन्नाटा पसर गया. अखबारों ने भी इसे खूब सुर्खियां दीं, जिससे सामूहिक खौफ का माहौल बना. हालांकि, किसी ने भी इसे देखा या इसके हमले का अनुभव नहीं किया. यह एक बड़ी अफवाह थी जिसने पूरे क्षेत्र को लगभग 8 महीने तक अपनी गिरफ्त में रखा.

सांकेतिक तस्वीर

कुछ वर्षों पहले तक गांवों में बिजली बहुत कटती थी. ऐसे में लोग रात में अपने घरों की छतों पर या घर के बाहर चारपायी बिछा कर बड़े आराम से सो जाते थे. लेकिन एक दौर ऐसा भी आया, जब लोग छतों या घर के बाहर तो दूर, बंद कमरे में भी अकेले सोने से डरने लगे थे. लोगों के दिलों में खौफ इस कदर बैठ गया था कि शाम ढलने के साथ ही ग्रामीण इलाकों में सन्नाटा पसर जाता था. यह दौर साल 2002-03 में देखने को मिला था. उस समय ना केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि पड़ोसी राज्य बिहार में मुंह नोचवा नामक रहस्यमय प्राणी का खौफ सिर चढ़ कर बोल रहा था. आज इस प्रसंग में उसी मुंहनोचवा की कहानी बता रहे हैं.

साल 2002 की गर्मियों के दिन थे. संभवत: मार्च या अप्रैल का महीना रहा होगा. गर्मी बढ़ने की वजह से लोग रात में घरों के बाहर या छतों पर बिस्तर लगाने लगे थे. उन्हीं दिनों किसी अखबार में खबर आई कि किसी रहस्यमयी प्राणी ने किसी व्यक्ति का मुंह नोंच लिया. खबर तो अखबार में बहुत छोटी सी लगी थी, लेकिन कानों कान यह खबर इतनी फैली और इस तरह फैली की दहशत फैल गई. हर आदमी अपने तरीके से इस रहस्यमयी प्राणी का स्वरुप बताने लगा. कोई कहता कि लाल-लाल आंखे हैं तो कोई बताता कि बड़े-बड़े दांत हैं. किसी ने बताया कि यह हवा में उड़ता है. इस प्रकार गांव के गली मोहल्ले से लेकर शहर की पॉश कॉलोनियों तक यह खबर आम हो गई.

खौफ में डरावनी हो गई थी रातें

खौफ का आलम ऐसा था कि भीषण गर्मी के बावजूद भी लोग बंद कमरों में सोने को मजबूर हो गए. घरों के बाहर रातें डरावनी होने लगीं. हर आदमी के जबान पर केवल इसी रहस्यमयी प्राणी की चर्चा. लोगों ने नाम भी रख दिया, ‘मुंह नोचवा’. लोगों ने इस मुंह नोचवा से बचने का उपाय भी ढूंढ लिया था. लोग कहते थे कि उसके ऊपर पानी फेंको तो भाग जाएगा. फिर क्या था, लोग बाल्टी और लोटे में पानी लेकर सोने लगे. इस दौरान किसी से भी पूछो तो वह यही कहता कि उसने तो नहीं देखा, लेकिन उसके पड़ोसी ने बताया.

अखबारों में सुर्खियों में रहने लगी खबर

मुंह नोचवा की खबर रोजाना अखबरों की सुर्खियों में होती. अखबारों में खुफिया एजेंट, नरभक्षी का आतंक, एलियंस का हमला आदि विशेषण दिए जाने लगे. इससे पूरे उत्तर प्रदेश खासतौर पर पूर्वांचल के कई जिलों में लोग इस रहस्यमयी प्राणी को भगाने के लिए पूरी-पूरी रात ढोल-नगाड़े बजाने लगे. गांवों में पहरेदारी शुरू हो गई. इस दौरान यदि किसी गांव में कोई अनजान आदमी मिल जाता तो उसके साथ मारपीट की भी कई घटनाएं हुई.

बड़े चाव से लोग सुनाते थे कहानी

इस दौरान लोग बड़े चाव से मुंह नोचवा की कहानी सुनाते. कोई कहता कि यह 10-20 इंच लंबा और चौड़ा है तो कोई इसे चमगादड़ जैसे पंख वाला, सियार या भेड़िए जैसी आवाज निकालने वाला, मकड़ी जैसा, छह पैरों वाला और उड़ने वाला तक बताता. हालांकि आज तक ऐसा कोई नहीं मिला, जिसके ऊपर मुंह नोचवा ने हमला किया हो, या फिर कोई ऐसा भी नहीं मिला, जिसने मुंह नोचवा को देखा हो. खैर जो भी हो, समूचा उत्तर प्रदेश करीब 8 महीने तक इस दहस्यमयी दहशत की गिरफ्त में तो रहा है. जैसे ही अभी हाल ही में ड्रोन वाली दहशत शुरू हुई थी.