रोड इंजीनियरिंग की खामी या रफ्तार का कहर…. क्यों रक्त का प्यासा यमुना एक्सप्रेसवे? एक साल में 113 मौतें

यमुना एक्सप्रेसवे वर साल दर साल हादसे बढ़ते जा रहे हैं. इन हादसों में मौत की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि यात्रा को आसान बनाने के लिए निर्मित यह एक्सप्रसेवे आखिर क्यों इतनी बड़ी संख्या में लोगों की मौत की वजह बन रहा है. इसी सवाल का जवाब हमने ढ़ूंढने की कोशिश की है.

यमुना एक्सप्रेसवे

यमुना एक्सप्रेसवे से लोगों की यात्रा आसान हो गई. लेकिन यही एक्सप्रेसवे वाहन चालकों का काल भी बन गया. बीते एक साल में ही इस एक्सप्रेसवे पर 113 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि सैकड़ों लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं. वहीं इस एक्सप्रेसवे पर होने वाली दुर्घटनाओं में हल्की फुल्की चोटें कितने लोगों को लगीं, इसकी कोई गणना ही नहीं है. ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि इस एक्सप्रेसवे पर इतनी दुर्घटनाएं क्यों हो रही हैं? यात्रा आसान बनाने वाला यह एक्सप्रेसवे इंसानी खून का प्यासा क्यों हो गया?

इस सवालों के जवाब ढूंढने के लिए इस एक्सप्रेसवे पर हुई दुर्घटना के कारणों की पड़ताल की गई. इसमें पता चला कि ज्यादातर दुर्घटनाएं रोड इंजीनियरिंग की खामी और रफ्तार की वजह से हुई है. इन दुर्घटनाओं में वाहन चालकों ने दो वाहनों के बीच निर्धारित सेफ डिस्टेंस का पालन नहीं किया. इसकी वजह से ज्यादतार दुर्घटनाएं जानलेवा साबित हुई. रिपोर्ट के मुताबिक तेज रफ्तार, कोहरा और लापरवाही से लेन चेंज करने के कारण भी यह एक्सप्रेसवे हादसों का हॉटस्पॉट बना.

जान पर भारी नियमों की अनदेखी

इस साल के आंकड़े बताते हैं कि अब तक यमुना एक्सप्रेसवे पर 1198 सड़क हादसे हुए हैं. इन हादसों में 113 लोगों की मौत हुई है. वहीं 562 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं. इस समय उत्तर प्रदेश में कोहरे के कहर को देखते हुए यमुना एक्सप्रेसवे पर वाहनों की अधिकतम स्पीड 75 किलोमीटर प्रति घंटा निर्धारित है. इसी प्रकार दो वाहनों के बीच 70 मीटर की दूरी रखना अनिवार्य है. बावजूद इसके अधिकांश वाहन चालक इन नियमों की अनदेखी कर रहे हैं. इसका खामियाजा उन्हें जान देकर चुकाना पड़ रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक सर्दियों में कोहरे की वजह से एक्सप्रेसवे पर दृश्यता शून्य हो जाती है. ऐसे में वाहनों में टकराव और गाड़ियां पलटने की घटनाएं बढ़ जाती हैं.

साल दर साल बढ़े हादसे

आंकड़ों के अनुसार यमुना एक्सप्रेसवे पर वर्ष 2017 में कुल 763 हादसे हुए थे. इन हादसों में कुल 146 मौतें हुई. वहीं, 2018 में 659 हादसों में 111 मौतें, 2019 में 560 हादसों में 195 मौतें, 2020 में 509 हादसों में 122 मौतें, 2021 में 424 हादसों में 136 मौतें, 2022 में 303 हादसों में 106 मौतें, 2023 में 411 हादसों में 95 मौतें और 2024 में 528 हादसों में 112 मौतें दर्ज की गईं. इस एक्सप्रेसवे पर हादसे और मौत के आंकड़े सोचने को मजबूर कर रहे हैं. यमुना एक्सप्रेसवे से रोजाना करीब 30 हजार वाहन गुजरते हैं. इनमें भारी वाहनों और तेज रफ्तार कारों की संख्या अधिक होती है.

रफ्तार के साथ रोड हिप्नोटिज्म भी बड़ी वजह

यमुना एक्सप्रेसवे पर हादसों की बड़ी वजह रोड हिप्नोटिज्म भी है. सड़क सुरक्षा के जानकारों के मुताबिक यमुना एक्सप्रेसवे पर चढ़ते ही वाहनों की स्पीड अपने आप बढ़ जाती है. वहीं जैसे ही गाड़ी 80 की स्पीड को पार करती है, थोड़ी ही देर में वाहन चालक पर रोड हिप्नोटिज्म हावी होने लगता है. ऐसी स्थिति में अक्सर कंट्रोल से बाहर चली जाती है. इन हालातों में यमुना एक्सप्रेसवे पर टोल वसूल करने वाली कंपनी ने रात के समय भारी वाहन चालकों को मुफ्त में चाय पिलाना शुरू किया है. वहीं वाहन चालकों को सुरक्षित सफर के लिए पर्चे बांटे जा रहे हैं.