नोएडा के थाने में महिला वकील के साथ 14 घंटे तक बदसलूकी, SC ने UP सरकार को भेजा नोटिस
नोएडा के एक थाने में महिला वकील को अवैध तरीके से हिरासत में रखा गया. आरोप है कि इस दौरान वकील के साथ बदसलूकी की गई. पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर नोएडा पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर लिया है. साथ ही यूपी सरकार को नोटिस भेजा है.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक रिट याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है. यह नोटिस एक महिला वकील के नोएडा के एक पुलिस स्टेशन में हुई बदसलूकी को लेकर जारी हुआ है. महिला वकील ने आरोप लगाया है कि उन्हें रात भर 14 घंटे तक अवैध रूप से हिरासत में रखा गया. इस दौरान उनके साथ वर्दीधारी पुलिस कर्मियों ने अभद्रता की.
पीड़िता का आरोप है कि पुलिस अधिकारियों द्वारा उनके पेशेवर कर्तव्यों का निर्वहन करते समय उनके साथ यौन उत्पीड़न, यातना और जबरदस्ती की गई. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और एनवी अंजारी की पीठ ने याचिका को स्वीकार कर लिया और यूपी सरकार और नोएडा पुलिस को नोटिस जारी किया है.
क्या है पूरा मामला?
पीड़ित महिला वकील का आरोप है कि उन्हें पुलिस स्टेशन में 14 घंटे की अवैध हिरासत, हिरासत में यौन उत्पीड़न, यातना और जबरदस्ती का शिकार बनाया गया. नोएडा सेक्टर 126, उत्तर प्रदेश में 3 दिसंबर 2025 की देर रात को एक यौन उत्पीड़न की घटना घटी, जब वह अपने मुवक्किल के प्रति अपने पेशेवर कर्तव्य का निर्वहन कर रही थीं.
एडवोकेट अनिलेंद्र पांडे के माध्यम से याचिका दायर की गई. याचिका में आरोप है कि यह घटना तब घटी, जब वह अपने मुवक्किल की सहायता के लिए पेशेवर पोशाक में पुलिस स्टेशन पहुंची थी, जिन्हें सिर में गंभीर चोटें आई थीं और वह एफआईआर दर्ज करवाना चाहते थे. इसमें मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनावाई के दौरान क्या कहा?
याचिकाकर्ता दिल्ली के शाहदरा बार एसोसिएशन में पंजीकृत एक प्रैक्टिसिंग एडवोकेट हैं. वहीं, अदालत ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि आमतौर पर इस तरह की याचिकाएं सीधे स्वीकार नहीं होती हैं, लेकिन सीसीटीवी कैमरों के बंद होने का मुद्दा भी कोर्ट के ध्यान में है, ऐसे में आरोपों की गंभीरता को देखते हुए इस केस को स्वीकार किया जा रहा है.
अदालत ने नोएडा पुलिस को आदेश दिया है कि CCTV फुटेज को सीलबंद करके उन्हें सुरक्षित रखा जाए और 7 जनवरी को कोर्ट के सामने पेश किया जाए. याचिका पर 7 जनवरी, 2026 को सुनवाई तय की गई है. अब देखना है कि अगले सुनवाई में नोएडा पुलिस की ओर से अपने बचाव में क्या तथ्य सामने रखे जाते हैं और किस तरह की दलील पेश की जाती है.
