ऑपरेशन के बाद डॉक्टर ने पेट में ही छोड़ दिया कपड़ा, 1.5 साल तक दर्द झेलती रही महिला; ऐसे हुआ खुलासा

ग्रेटर नोएडा में डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां सिजेरियन डिलीवरी के दौरान महिला के पेट में आधा मीटर कपड़ा छोड़ दिया गया. डेढ़ साल तक महिला असहनीय दर्द झेलती रही, फिर दोबारा ऑपरेशन से खुलासा हुआ. अब कोर्ट के आदेश पर अस्पताल के डॉक्टरों समेत छह लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है. यह मामला चिकित्सा लापरवाही और मरीज सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाता है.

बैकसन अस्पताल ग्रेटर नोएडा Image Credit:

राष्ट्रीय राजधानी से सटे ग्रेटर नोएडा में डॉक्टरों की एक ऐसी लापरवाही का मामला सामने आया है, जिसकी वजह से महिला ना केवल डेढ़ साल तक असहनीय दर्द से जूझती रही, बल्कि जब उसकी जान पर बन आई तो दोबारा से ऑपरेशन भी करना पड़ा. दरअसल ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क क्षेत्र स्थित बैक्सन अस्पताल में डिलीवरी के लिए ऑपरेशन के वक्त डॉक्टरों ने उसके पेट में ही आधा मीटर कपड़ा छोड़ दिया था.

पीड़िता के परिजनों ने बताया कि डिलीवरी के बाद वह अस्पताल से घर आ गई, लेकिन पेट में दर्द लगातार बना रहा. ऐसे में अलग अलग डॉक्टरों को दिखाया, तरह तरह की दवाइयां खिलाईं, लेकिन दर्द कम होने के बजाय और बढ़ता चला गया. जब कोई उपाय नहीं दिखा तो पेट का दोबारा से अल्टासाउंड कराया. इसमें खुलासा होने के बाद दोबारा ऑपरेशन कर वह कपड़ा उसके पेट से निकाला गया है. पीड़ित परिवार से इस संबंध में पहले अस्पताल में शिकायत दी, कोई एक्शन नहीं हुआ तो पुलिस में भी शिकायत दी.

कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुआ मुकदमा

आखिर में पीड़िता ने कोर्ट में इस्थगासा दाखिल किया और अब कोर्ट के ही आदेश पर पुलिस ने अस्पताल की डॉ. अंजना अग्रवाल, डॉ. मनीष गोयल, सीएमओ डॉ. नरेंद्र मोहन और स्वास्थ्य विभाग के दो जांच अधिकारियों समेत छह लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. कोतवाली प्रभारी सर्वेश चंद्र ने बताया कि मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है. पीड़िता का आरोप है कि ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर अंजना अग्रवाल और उनके पति डॉ. मनीष गोयल मौजूद थे.

मामले को दबाने की कोशिश

पीड़िता का आरोप है कि दोबारा ऑपरेशन के बाद कपड़ा निकलते ही मामले को दबाने की कोशिश शुरू कर दी गई. उसने अगले ही दिन सीएमओ गौतम बुद्ध नगर को लिखित शिकायत दी थी. उन्होंने जांच अधिकारी भी नियुक्त किए थे, लेकिन मामले को जानबूझकर लटका दिया गया. यहां तक कि कपड़े की एफएसएल जांच तक नहीं कराई गई. पीड़िता का कहना है कि उसे और उसके पति को धमकी दी गई. राजनीतिक पहुंच का हवाला देकर उसे चुप रहने को कहा गया था.

ये है मामला

डेल्टा 1 निवासी पीड़िता अंशुल वर्मा ने बताया कि 14 नवंबर 2023 को बैक्सन अस्पताल तुगलपुर में डिलीवरी के लिए भर्ती कराया गया था. 16 नवंबर 2023 को सिजेरियन डिलीवरी डॉ. अंजना अग्रवाल ने किया और इस दौरान लापरवाही बरतते हुए महिला के पेट में कपड़ा छोड़ दिया. डिस्चार्ज के बाद पीड़िता की तबीयत लगातार बिगड़ती गई. बाद में महिला मायके मुजफ्फरनगर चली गई. वहां उसने डॉक्टरों की सलाह पर अल्ट्रासाउंड कराया. इसमें पता चला कि ऑपरेशन वाली जगह पर गांठ जैसी संरचना बन रही है. इसके बाद दोबारा ऑपरेशन कराया गया.