पुलिस ने पीटा, यूनिवर्सिटी से था विरोध… लेकिन हर जगह राजभर का पूतला क्यों फूंक रहा है ABVP?
उत्तर प्रदेश में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता और कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर के विरोध में उनका आज पुतला फूंका गया. पुलिस और एबीवीपी के कार्यकर्ताओं को बीच धक्का-मुक्की भी हुई. मंत्री राजभर के बयान को लेकर कार्यकर्ताओं के बीच बेहत आक्रोश है.

उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर का आज कई जिलों में पुतला फूंका गया.उनका पुतला एबीवीपी यानी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के नेताओं ने फूंका. बलिया के रसड़ा में एबीवीपी यानी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के नेताओं ने उनका पुतला फूंका. वहीं मऊ में भी कार्यकर्ताओं का राजभर पर गुस्सा दिखाई दिया. यहां के डीजीएसके मोड पर कार्यकर्ताओं ने मंत्री का पुतला फूंका और उनके बयान के खिलाफ प्रदर्शन किया. यहां पर पुलिसकर्मियों और छात्रों के बीच नोक-झोंक भी सामने आई है. दरअसल, कार्यकर्ताओं और नेताओं का गुस्सा है रामस्वरूप यूनिवर्सिटी को लेकर, ये यूनिवर्सिटी बाराबंकी में स्थित है.
छात्रों का कहना है कि यहां के एलएलबी कोर्स को 2022 से मान्यता नहीं मिली है, फिर भी इस कोर्स को संचालित किया जा रहा है, जो कि छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है. ऐसे में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओम प्रकाश राजभर की ओर से की गई टिप्पणी की वजह से कार्यकर्ताओं में बेहद गुस्सा था और उन्होंने उनके घर पर देर रात प्रदर्शन किया. छात्रों का कहना है कि मंत्री जी पढ़े-लिखे होते तो वो इस तरह के बयान नहीं देते. अपने अधिकार के लिए आवाज उठाना कानून को हाथ में लेना नहीं है.
कहां-कहां पर फूंका पुतला?
एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने गोरखपुर, बलिया, मऊ, लखनऊ में उनका पुतला फूंका. इसी बीच कार्यकर्ताओं के बीच नोंक-झोंक हुई. फिर भी कार्यकर्ताओं ने राजभर के पुतले को धू-धूकर जलाया. उन्होंने सरकार के सामने उनके बयान और कार्यकर्ताओं को गुंडा बताए जाने का आक्रोश जाहिर किया. छात्रों का कहना है कि उनपर बेरहमी से लाठी चार्च किया गया है, जबकि वो अपने हक की लड़ाई की मांग कर रहे थे.
मंत्री ने क्या दिया था बयान?
कैबिनेट मंत्री ने एबीवीपी नेताओं पर बयान दिया कि देश में किसी को भी कानून को हाथ में लेने का अधिकार नहीं है. दरअसल, एबीवीपी कार्यकर्ताओं के विरोध करने की वजह से उन पर लाठीचार्ज किया गया था. इसी बात पर राजभर ने कहा कि अगर उन्हें समस्या थी तो मुख्यमंत्री और शिक्षामंत्री से मुलाकात कर सकते थे, उन्हें विरोध प्रदर्शन नहीं करना चाहिए था. अगर वो ऐसा करेंगे तो पुलिस उनपर कार्रवाई करेगी. एक सितंबर को रामस्वरूप यूनिवर्सिटी के सामने एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने विरोध जताया था, जिसके बाद पुलिस की तरफ से उनपर लाठी चार्च किया गया था.