बैकफुट पर योगी सरकार! स्कूलों के मर्जर का फैसला बदला, 1KM से ज्यादा दूरी के विद्यालय नहीं होंगे मर्ज
उत्तर प्रदेश में स्कूलों के मर्जर को लेकर यूपी सरकार की ओर से अहम फैसला लिया गया है. अब ऐसे स्कूलों को मर्जर की श्रेणी में नहीं शामिल किया जाएगा, जो एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं. इसको लेकर यूपी के बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने मीडिया को जानकारी दी है.

उत्तर प्रदेश में प्राइमरी स्कूलों के मर्जर पर सरकार ने बड़ा फैसला किया है. सरकार ने फैसले में साफ किया एक किमी से ज्यादा दूरी पर किसी भी स्कूल को मर्ज नहीं किया जाएगा. इतना ही नहीं, अगर किसी स्कूल में 50 से ज्यादा स्टूडेंट हैं तो उसे भी मर्ज नहीं किया जाएगा. लखनऊ में लोक भवन में गुरुवार को मीडिया से बातचीत के दौरान बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने प्रदेश में विद्यालयों की पेयरिंग की प्रक्रिया पर खुलकर अपनी बात रखी. उन्होंने बताया कि पेयरिंग की प्रक्रिया छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के उद्देश्य से की जा रही है.
उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पेयरिंग का मतलब किसी भी विद्यालय को बंद करना नहीं है. न ही कोई पद कम अथवा समाप्त किया जा रहा है. कुछ जिलों में इस प्रक्रिया को लेकर आई शिकायतों को गंभीरता से लिया गया है और जहां आवश्यक था, वहां विद्यालयों में पूर्ववत संचालन के आदेश दिए गए हैं. पेयर होने वाले किसी भी प्राथमिक विद्यालय की दूरी एक किलोमीटर से ज्यादा नहीं होगी.
पियर लर्निंग पर दिया जाएगा जोर
बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा कि हमने किसी भी विद्यालय को स्थायी रूप से पेयर नहीं किया है. अगर कहीं बैठने की असुविधा होगी या बच्चों की संख्या बढ़ेगी तो पुराने भवन में फिर से संचालन की व्यवस्था की जाएगी. UDISE कोड यथावत रहेगा. हमारा यह भी प्रयास है कि 15 अगस्त तक कोई भी विद्यालय खाली न रहे. सभी विद्यालयों में प्री प्राइमरी और बाल वाटिका संचालित हो जाएं.
मंत्री ने यह भी कहा कि पेयरिंग, बच्चों को बेहतर अधिगम वातावरण और संसाधनों से जोड़ने की दिशा में एक ठोस पहल है. अत्यल्प नामांकन वाले विद्यालयों में बच्चों को शिक्षा का वास्तविक अनुभव नहीं मिल पाता. कक्षा में संवाद, पियर लर्निंग, समूह कार्य, खेलकूद, प्रोजेक्ट गतिविधियां जैसे जरूरी पहलू प्रभावित होते हैं. जब इन बच्चों को समेकित रूप से पर्याप्त नामांकन वाले विद्यालयों से जोड़ा जाता है, तो उन्हें शिक्षा का पूर्ण वातावरण मिल पाता है.
पेयरिंग की प्रक्रिया के माध्यम से प्रत्येक कक्षा के लिए शिक्षक की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकेगी. शिक्षक-छात्र अनुपात बेहतर होगा और शिक्षकों को नवीनतम शिक्षण तकनीकों का उपयोग करने का अवसर मिलेगा. इससे शिक्षण गुणवत्ता बढ़ेगी और बच्चों में आत्मविश्वास व भागीदारी की भावना भी विकसित होगी.
शैक्षिक अनुभवों को तकनीक से जोड़ने की तैयारी
पेयरिंग से होने वाले लाभों पर भी उन्होंने बेबाकी से अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि अधिक नामांकन वाले विद्यालयों को स्मार्ट क्लास, ICT लैब, अतिरिक्त कक्ष, कम्पोजिट ग्रांट, टीएलएम और खेल सामग्री जैसी सुविधाएं प्राथमिकता के आधार पर मिलेंगी. इससे बच्चों के शैक्षिक अनुभव को तकनीक और संसाधनों से समृद्ध किया जा सकेगा.
रिक्त हुए भवनों का भी रचनात्मक उपयोग किया जाएगा. इन भवनों में बालवाटिकाएं और आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किए जाएंगे. पूर्व-प्राथमिक शिक्षा को मजबूत करने की दिशा में यह एक सार्थक पहल होगी, जिसमें बच्चों को मानसिक रूप से कक्षा-1 के लिए तैयार किया जाएगा. बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण संबंधी गतिविधियों का संचालन समन्वित विभागीय सहयोग से किया जाएगा.
मंत्री ने कहा कि पेयरिंग करते समय विद्यालय तक बच्चों की पहुंच सरल, सुगम और सुरक्षित हो, इसका पूरा ध्यान रखा गया है. जिन विद्यालयों की भौगोलिक स्थिति, जैसे नदियां, रेलवे क्रॉसिंग या हाईवे आदि से बाधित हो सकती थी, उन्हें इस प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया है. किसी भी प्रकार की विसंगति की स्थिति में तत्काल समाधान सुनिश्चित किया जा रहा है.
शिक्षकों और रसोइयों की भूमिका इस प्रक्रिया में यथावत रहेगी. किसी भी पद को समाप्त नहीं किया जा रहा है. बल्कि, इस योजना के अंतर्गत यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि जहां 50 तक छात्र नामांकित हैं, वहां तीन शिक्षकों की अनिवार्य तैनाती की जाएगी. 50 से ज्यादा नामांकन वाले विद्यालयों में निर्धारित मानकों के अनुरूप शिक्षकों की व्यवस्था की जा रही है.
स्कूल बिल्डिंग्स को किया जा रहा है ऑडिट
शिक्षा की सुरक्षा और गुणवत्ता के दृष्टिकोण से सभी विद्यालय भवनों का सेफ्टी ऑडिट कराया जा रहा है. जर्जर भवनों की पहचान कर उन्हें ध्वस्त करने की कार्रवाई भी शुरू हो गई है. इसके साथ ही विद्यालयों में बाल-मैत्रिक फर्नीचर, खेल सामग्री, लर्निंग कॉर्नर, वॉल सज्जा, वंडर बॉक्स और अन्य शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है.
मंत्री ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को स्ट्रेचर पर ला दिया था. लेकिन. हमारी सरकार ने बीते वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में बुनियादी सुधार किए हैं. अब तक 1.26 लाख से ज्यादा शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है. ऑपरेशन कायाकल्प के अंतर्गत 96% परिषदीय विद्यालयों को मूलभूत सुविधाओं से लैस किया गया है. इन सुधारों को नीति आयोग ने भी एक अनुकरणीय मॉडल के रूप में स्वीकार किया है.
प्रदेश के सभी जनपदों में मुख्यमंत्री मॉडल कम्पोजिट विद्यालय विकसित किए जा रहे हैं, जो आधुनिकतम सुविधाओं से युक्त होंगे और जहां प्री-प्राइमरी से लेकर कक्षा 12 तक की शिक्षा एकीकृत रूप से दी जाएगी. इसी क्रम में चयनित विद्यालयों को स्मार्ट क्लास, ICT लैब, डिजिटल लाइब्रेरी, साइंस-मैथ लैब और खेल सामग्री जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं.
प्रदेश के कक्षा 1 से 8 तक के सभी छात्रों को यूनिफॉर्म, बैग, स्वेटर, जूते-मोजे और स्टेशनरी के लिए ₹1200 की राशि DBT के माध्यम से उनके बैंक खातों में भेजी जा रही है. इस साल अब तक ₹1200 करोड़ से ज्यादा की राशि स्थानांतरित की जा चुकी है.
परिषदीय शिक्षकों के लिए 2.6 लाख टैबलेट्स, 31 हजार से अधिक स्मार्ट क्लास और 14 हजार से अधिक विद्यालयों में ICT लैब की व्यवस्था की गई है। साथ ही, 746 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों को पूरी तरह तकनीकी और बुनियादी सुविधाओं से युक्त कर दिया गया है. इनमें 82 हजार से अधिक बालिकाएं नामांकित हैं और उन्हें आवासीय सुविधाएं भी प्रदान की जा रही हैं.
उन्होंने बताया कि शिक्षा सरकार की प्राथमिकता में है. शिक्षा पर कुल बजट का लगभग 13% हिस्सा खर्च किया जा रहा है. वर्ष 2024-25 में 48 हजार से ज्यादा विद्यालय ‘निपुण विद्यालय’ के रूप में सफल घोषित किए गए हैं. बेसिक शिक्षा के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश की उपलब्धियों को देशभर में सराहा जा रहा है. स्वतंत्र एजेंसी द्वारा प्रकाशित ‘असर रिपोर्ट’ में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में बच्चों के स्कूल आने और सीखने की इच्छा में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है. इसके अलावा हाल ही में हुए ‘परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024’ में उत्तर प्रदेश के कक्षा 3 के छात्रों का प्रदर्शन देश के औसत से बेहतर रहा है. भाषा और गणित जैसे विषयों में छात्रों ने राष्ट्रीय औसत से ज्यादा अंक प्राप्त किए हैं, जो प्रदेश की शिक्षा प्रणाली की मजबूती को दर्शाता है.



