सोनभद्र खनन हादसा: 52 घंटे से रेस्क्यू जारी, अब तक 7 मौतें; DM के हलफनामे पर उठे सवाल

सोनभद्र के ओबरा में हुए खनन हादसे में मरने वालों की संख्या 7 हो गई है. इस त्रासदी ने जिलाधिकारी के पुराने हलफनामे पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिसमें खनन को मानक अनुरूप बताया गया था. आरोप है कि खदान में नियम-विरुद्ध खनन चल रहा था, सफेदपोशों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए.

सोनभद्र खनन हादसे में मरने वालों की संख्या 7 हो गई है.

सोनभद्र खनन हादसे में दबे हुए मजदूरों को निकालने के लिए पिछले 52 घंटे से रेस्क्यू जारी है. हादसे में मौत का आंकड़ा अब बढ़कर 7 हो गया है. सोमवार देर शाम रेस्क्यू टीमों ने मलबे से एक और शव बरामद किया. अभी भी कई लोग 300 फीट नीचे मलबे में दबे हुए हैं. SDRF, NDRF, पुलिस और जिला प्रशासन की टीमें लगातार बचाव अभियान में जुटी हैं.

बरामद शवों में से छह की पहचान हो चुकी है, जबकि एक शव क्षत-विक्षत अवस्था में मिला है. घटनास्थल पर जिलाधिकारी सहित सभी वरिष्ठ अधिकारी मौजूद हैं. मिर्जापुर, वाराणसी और भदोही से अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है. इस बीच जिलाधिकारी बद्रीनाथ सिंह पर बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है. जिसने प्रशासनिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया है.

नियमों के खुले उल्लंघन के गंभीर आरोप

ओबरा क्षेत्र की कृष्णा माइनिंग खदान में हुए भीषण हादसे के बाद अधिवक्ता अभिषेक चौबे और विकास शाक्य ने प्रशासनिक लापरवाही और नियमों के खुले उल्लंघन के गंभीर आरोप लगाए हैं. अधिवक्ताओं ने डीएम बद्रीनाथ सिंह के कोर्ट में दिए हलफनामे पर भी सवाल उठाए हैं. जिसमें कहा गया था कि खनन मानक के अनुरूप हो रहा है.

अधिवक्ताओं के अनुसार, खदान में मानक के विपरीत खनन किया जा रहा था. नियमों के अनुसार खनन की एक निर्धारित सीमा और सुरक्षा प्रक्रिया होती है, लेकिन खदान में इन सभी मानकों को नजरअंदाज कर अत्यधिक गहराई तक खनन जारी था. उन्होंने कहा कि हादसा इसी लापरवाही का सीधा परिणाम है. कृष्णा माइनिंग को 30-5-2026 तक की स्वीकृति है.

हलफ़नामा वास्तविक स्थिति से मेल नहीं खाता

दोनों अधिवक्ताओं ने बड़ा सवाल उठाते हुए कहा कि जिस खदान में यह भयावह दुर्घटना हुई, उसी खदान के पक्ष में जिलाधिकारी द्वारा कोर्ट में हलफ़नामा दाखिल कर यह कहा गया था कि खनन मानक के अनुरूप हो रहा है. लेकिन यह हलफ़नामा जमीन पर मौजूद वास्तविक स्थिति से मेल नहीं खाता और हादसे ने इसे गलत साबित कर दिया है.

अधिवक्ताओं ने यह भी कहा कि यह मामला सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि वर्षों से जारी लापरवाही और प्रभावशाली लोगों के संरक्षण में चलते आ रहे नियम-विरुद्ध खनन का नतीजा है. खान संचालकों के साथ-साथ उन सफेदपोश लोगों पर भी कठोर कार्रवाई की जाए, जो अवैध खनन को बढ़ावा देते रहे हैं.

दोषी के खिलाफ कार्रवाई होगी- कैबिनेट मंत्री

वहीं, इस मुद्दे पर जब कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर से सवाल पूछा गया, तो उन्होंने जांच का आश्वासन दिया है. मंत्री अनिल राजभर स्पष्ट कहा, ‘जिलाधिकारी के हलफ़नामे सहित इस पूरे प्रकरण की जांच कराई जाएगी. जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी.’ बहरहाल, इस घटना में कई सवाल हैं और रेस्क्यू लगातार जारी है.