हाई कोर्ट से मिल चुकी है राहत, फिर भी उमाकांत यादव जेल में क्यों हैं बंद?
उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में पूर्व बीएसपी सांसद उमाकांत यादव अभी भी जेल में बंद हैं. उन्हें हाई कोर्ट से जमानत मिल चुकी है. मगर वो अभी भी कुछ और मामलों में दोषी हैं. जानते हैं ये मामले कौन से हैं, आखिर क्या है उनके जेल जाने के पीछे की वजह?
उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में पूर्वांचल के बाहुबली पूर्व BSP सांसद उमाकांत यादव को हाई कोर्ट से राहत मिलने के बाद अभी भी वह जौनपुर की जिला जेल में बंद हैं. दरअसल, अभी उन्हें दो अन्य मामलों में जमानत मिलनी बाकी है. बता दें कि 30 साल पहले शाहगंज जंक्शन पर हुए जीआरपी सिपाही हत्याकांड में दोषी पाते हुए उन्हें जौनपुर की एमपी एमएलए कोर्ट से उम्रकैद की सजा सुनाई थी. जिसे हाईकोर्ट ने सस्पेंड करते हुए उमाकांत को बड़ी राहत दी.
पहला मामला क्या है?
पूर्वांचल के बाहुबली BSP के पूर्व सांसद उमाकांत यादव पर आरोप लगे थे कि उन्होंने फूलपुर थाना क्षेत्र के अंबारी में स्थित खादी ग्रामोद्योग संस्थान की जमीन को अपने नाम पट्टा करा लिया था. दरअसल, यह जमीन खादी ग्रामोद्योग को वर्ष 1993 में पट्टा की गई थी. आरोप लगे थे कि उमाकांत यादव ने इसी जमीन को वर्ष 1991 में अपने नाम पट्टा करा लिया था. फूलपुर थाना क्षेत्र के पूराहादी अम्बारी गांव के रहने वाले श्री गांधी आश्रम सरायमीर के इंचार्ज लालचंद्र यादव ने शिकायत की थी.
मामला कोर्ट में जाने के बाद बोर्ड ऑफ रेवेन्यू इलाहाबाद से वर्ष 2017 के उमाकांत का पट्टा निरस्त कर दिया गया था. इसके बाद आरोप लगे थे कि उमाकांत यादव और उनके बेटों ने 27 सितंबर की शाम को सरकारी संपत्ति श्रीगांधी आश्रम का ताला तोड़कर उसके रखा सामान उठवा लिया. इतना ही नहीं गांधी आश्रम के बोर्ड को गुलाबी रंग से पेंट करके उमाकांत यादव का मकान लिखकर कब्जा कर लिया गया था. लालचंद्र की शिकायत पर पुलिस ने 4 अक्टूबर को उमाकांत यादव समेत चार लोगों पर केस दर्ज किया था.
दूसरा मामला क्या है?
वर्ष 1998 में बाहुबली उमाकांत यादव और उनके भाई रमाकांत समेत कई अन्य लोगों के खिलाफ फूलपुर थाने में केस दर्ज हुआ था. दरअसल, 17 फरवरी 1998 को लोकसभा प्रत्याशी अकबर अहमद डंपी फूलपुर तिराहे पर जनसंपर्क के दौरान उमाकांत रमाकांत के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिए थे.इसके बाद रमाकांत, उमाकांत के साथ फूलपुर तिराहे पर ही लोकसभा प्रत्याशी अकबर अहमद डंपी से भिंड़त हो गई थी. दोनों तरफ से जमकर गोलीबारी गई थी. हालांकि, इस मामले में फूलपुर के तत्कालीन थाना प्रभारी वेद प्रकाश सिंह ने उमाकांत, रमाकांत, अकबर अहमद डंपी समेत कई अन्य लोगों केस दर्ज कराया गया था.
उम्रकैद को हाईकोर्ट ने किया सस्पेंड
करीब 30 साल पहले शाहगंज जंक्शन पर हुए GRP सिपाही हत्याकांड के मामले में दोषी पाते हुए जौनपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने वर्ष 2022 में पूर्व सांसद उमाकांत यादव समेत 7 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
उमाकांत यादव खादी ग्रामोद्योग की जमीन कब्ज़ा करके के मामले में कोर्ट में सरेंडर किया था जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें जेल भेज दिया था. कुछ दिनों बाद आजमगढ़ से उन्हें नैनी जेल ट्रांसफर कर दिया गया. फिर, उनके स्वास्थ्य का हवाला देकर उन्हें नैनी जेल से जौनपुर जेल ट्रांसफर कराया गया था. जौनपुर जिला जेल में रहने के दौरान ही उन्हें जीआरपी हत्याकांड मामले में उम्रकैद की सजा मिली थी. तब से उमाकांत जौनपुर जेल में ही हैं.
फिलहाल, हाईकोर्ट से उम्रकैद की सजा सस्पेंड किए जाने के बाद उमाकांत को बड़ी राहत मिली है. ऐसे में उमाकांत अब चुनाव भी लड़ सकेंगे. हालांकि आजमगढ़ के इन दो मुकदमों में जमानत मिलते ही उमाकांत यादव जौनपुर की जिला जेल से बाहर आ सकेंगे.