UP पंचायत चुनाव 2026: कैसे हो रही है परिसीमन और वोटर लिस्ट को अपडेट करने की तैयारी?

उत्तर प्रदेश में 2026 के पंचायत चुनाव की तैयारियां शुरू की जा रही हैं. ऐसे में इसे सही तरीके से संपन्न कराने के लिए निर्वाचन आयोग की तरफ से कई अहम कदम उठाने शुरू कर दिए गए हैं. इसमें सबसे जरूरी वोटर लिस्ट का अपडेशन और ग्राम पंचायतों का परिसीमन शामिल है. अपडेशन की प्रक्रिया में वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने, गलतियों को ठीक करने और गलत नामों को हटाने की प्रक्रिया शामिल है.

उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव

उत्तर प्रदेश में 2026 में होने वाले ग्राम पंचायत चुनाव को लेकर राजनीतिक गलियारों में शोर है. यहां पंचायती राज्य निर्वाचन आयोग ने जुलाई महीने से पंचायत चुनावों के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं. इस प्रक्रिया का सबसे अहम हिस्सा वोटर लिस्ट को अपडेट किया जाना है. अपडेट करने की इस प्रक्रिया में मतदाताओं के नाम जोड़ने, गलतियों को सुधारने और बाहरी या अयोग्य लोगों के नाम हटाने का काम शामिल है. ऐसे में परिसीमन की प्रक्रिया को भी लेकर काफी चर्चा की जा रही है.

ऐसा इसलिए क्योंकि ये ग्राम पंचायतों की सीमाओं और वार्डों को निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाएगी. यूपी में पंचायत चुनाव की तैयारियां तेजी से की जा रही हैं. वोटर लिस्ट का अपडेशन इसकी रीढ़ है. ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रक्रियाओं के जरिए मतदाता अपने नाम जोड़ सकते हैं, गलतियों को सुधार सकते हैं, और गलत नाम को हटा सकते हैं. परिसीमन की प्रक्रिया जनसंख्या और भौगोलिक आधार पर पारदर्शी तरीके से हो रही है. यह प्रक्रिया न केवल लोकतंत्र को मजबूत करेगी, बल्कि गांव के इलाकों में जनप्रतिनिधियों के चयन में पारदर्शिता भी लाएगी. जानते हैं इसकी पूरी प्रक्रिया किस तरह से काम करेगी.

वोटर लिस्ट में नाम कैसे जोड़ा जाएगा?

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के लिए वोटर लिस्ट तैयार करने की जिम्मेदारी राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) और जिला निर्वाचन कार्यालयों की है. नाम जोड़ने की प्रक्रिया इस तरीके से की जाती है. मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए शख्स को ग्राम पंचायत क्षेत्र का स्थायी निवासी होना जरूरी है. 1 जनवरी 2026 को उसकी आयु 18 साल या उससे ज्यादा होनी चाहिए.

ऑनलाइन प्रक्रिया: वोटर अपना नाम जोड़ने के लिए Election Commission of India (ECI) के वोटर सर्विसेज पोर्टल (voters.eci.gov.in) या राष्ट्रीय मतदाता सेवा पोर्टल (nvsp.in) पर फॉर्म-6 भर सकते हैं. फॉर्म में आधार नंबर, मोबाइल नंबर, और निवास का प्रमाण (जैसे राशन कार्ड, बिजली बिल) अपलोड करना होगा. आवेदन जमा करने के बाद, संबंधित सहायक निर्वाचन रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (AERO) या निर्वाचन रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ERO) इसे सत्यापित करेंगे. सत्यापन के बाद मतदाता को उनके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर स्टेटस की जानकारी मिलेगी.

आयोजित किया जाता है शिविर

स्थानीय तहसील कार्यालय, जिला निर्वाचन कार्यालय, या ब्लॉक स्तर पर बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) के पास फॉर्म-6 जमा किया जा सकता है. BLO द्वारा सत्यापन के बाद नाम वोटर लिस्ट में शामिल किया जाएगा. राज्य निर्वाचन आयोग समय-समय पर गांवों में विशेष शिविर आयोजित करता है, जहां मतदाता अपने नाम जोड़ सकते हैं. इन शिविरों की जानकारी स्थानीय प्रशासन और पंचायत कार्यालयों के जरिए दी जाती है.

नाम में गलती सुधारने की प्रक्रिया

वोटर लिस्ट में नाम, पता, या दूसरे डीटेल्स में गलती होने पर सुधार के लिए फॉर्म-8 का उपयोग कर गलत नाम, आयु, पता, या दूसरे डीटेल्स को सुधारने के लिए मतदाता को फॉर्म-8 भरना होगा. यह फॉर्म ऑनलाइन (voters.eci.gov.in) या ऑफलाइन BLO के पास जमा किया जा सकता है.

इसके लिए जरूरी डॉक्यूमेंट जैसे आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, या निवास प्रमाण अटैच करना जरूरी होगा.
आवेदन के बाद, BLO या AERO द्वारा स्थल सत्यापन किया जाएगा. सत्यापन के बाद, संशोधित वोटर लिस्ट में सुधार दिखाई देगा और मतदाता को SMS के माध्यम से सूचना दी जाएगी.

वोटर लिस्ट के ड्राफ्ट प्रकाशन के बाद, आपत्तियों और संशोधन के लिए आमतौर पर 15-30 दिनों की समयसीमा दी जाती है. इस दौरान मतदाता अपने विवरण की जांच कर सकते हैं.

बाहरी या अयोग्य लोगों के नाम हटाने की प्रक्रिया

वोटर लिस्ट से अयोग्य, मृत, या बाहरी लोगों (जो अब उस ग्राम पंचायत में नहीं रहते) के नाम हटाने के लिए अलग-अलग तरीके से अपनाई जाती है. कोई भी मतदाता या स्थानीय निवासी फॉर्म-7 भरकर आपत्ति दर्ज कर सकता है, जिसमें मृत, स्थानांतरित, या डुप्लिकेट मतदाताओं के नाम हटाने की मांग की जाती है. यह फॉर्म ऑनलाइन (voters.eci.gov.in) या BLO के पास जमा किया जा सकता है. मृत्यु प्रमाण पत्र, स्थानांतरण प्रमाण, या दूसरे डॉक्यूमेंट अटैच करने पड़ सकते हैं.

आपत्ति दर्ज होने पर BLO और ERO की तरफ से जांच की जाती है. इसमें स्थानीय स्तर पर सत्यापन शामिल होता है. अगर आपत्ति सही पाई जाती है, तो संबंधित नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया जाता है.

परिसीमन का आधार

पंचायत चुनाव से पहले ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों, और जिला पंचायतों के वार्डों का परिसीमन किया जाता है.
परिसीमन का मुख्य आधार जनसंख्या है. प्रत्येक वार्ड में लगभग समान जनसंख्या होनी चाहिए ताकि, प्रतिनिधित्व में समानता रहे. 2011 की जनगणना या नवीनतम जनसंख्या डेटा का उपयोग किया जाता है.

ग्राम पंचायतों में प्रति वार्ड औसतन 100-150 मतदाता रखे जाते हैं, जो क्षेत्र के आकार और जनसंख्या घनत्व पर निर्भर करता है. गांवों की भौगोलिक सीमाओं, प्राकृतिक बाधाओं (जैसे नदियां, पहाड़), और पहुंच को ध्यान में रखा जाता है. एक वार्ड में केवल एक गांव या उसके हिस्से को शामिल किया जाता है, ताकि प्रशासनिक सुविधा बनी रही.

एक ही परिवार के लोगों में बंटवारा नहीं

परिसीमन में सामाजिक समरसता को ध्यान में रखा जाता है. एक ही परिवार के लोगों को अनावश्यक रूप से अलग-अलग वार्डों में नहीं बांटा जाता. आरक्षित सीटों (SC/ST/OBC/महिला) का निर्धारण भी जनसंख्या अनुपात और पिछले चुनावों के आधार पर किया जाता है.

मतदान केंद्रों की उपलब्धता, मतदाताओं की सुविधा और प्रशासनिक प्रबंधन को ध्यान में रखकर वार्डों का गठन किया जाता है. परिसीमन की प्रक्रिया जिला मजिस्ट्रेट और पंचायती राज्य निर्वाचन आयोग की देखरेख में पूरी होती परिसीमन का ड्राफ्ट प्रकाशित होने के बाद स्थानीय लोग आपत्तियां दर्ज कर सकते हैं. इन आपत्तियों की सुनवाई के बाद अंतिम परिसीमन सूची जारी की जाती है.

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव आमतौर पर हर पांच साल में होते हैं. पिछला चुनाव अप्रैल 2021 में हुआ था और अगला चुनाव 2026 की शुरुआत में होने की संभावना है. इस बार सरकार और आयोग का जोर वोटर लिस्ट को पूरी तरह पारदर्शी और त्रुटि-मुक्त बनाने पर है.