भ्रष्टाचारियों पर सीएम योगी का बड़ा एक्शन, 4 अफसर बर्खास्त, तीन रिटायर्ड अधिकारियों की पेंशन में कटौती का आदेश

योगी आदित्यनाथ सरकार भ्रष्टाचार के मामलों पर सख्त हैं. अब सरकार ने समाज कल्याण विभाग में भ्रष्टाचार के मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए 4 अधिकारियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया है. साथ ही इनसे गबन किए गए रकम की वसूली के भी आदेश दे दिए हैं. इसके अलावा 3 रिटायर्ड अधिकारियों पर भी एक्शन लेते हुए उनसे वसूली और पेंशन की राशि में कटौती करने का निर्देश दिया गया है.

सीएम योगी आदित्यनाथ

योगी आदित्यनाथ सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को एक बार फिर सख्ती से लागू किया है. समाज कल्याण विभाग में गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में चार जिला समाज कल्याण अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया गया है. इसके अलावा, तीन सेवानिवृत्त अधिकारियों की पेंशन में स्थायी कटौती के आदेश जारी किए गए हैं.

ये कार्रवाइयां दशकों पुराने दबे मामलों को भी उजागर करती हैं, जहां करोड़ों रुपये का गबन किया गया था. उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने इन सभी बर्खास्तगियों को मंजूरी दे दी है. विभाग ने इन मामलों में एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश भी जारी किए हैं. समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने बताया कि सीएम योगी के नेतृत्व में भ्रष्टाचार पर लगातार प्रहार जारी रहेगा. दबी हुई फाइलों से भी न्याय सुनिश्चित किया जा रहा है. जल्द ही सभी मामलों में एफआईआर दर्ज होगी.

जांच में पाया गया कि इन अधिकारियों ने छात्रवृत्ति, शुल्क प्रतिपूर्ति, पेंशन योजनाओं और गरीब कल्याण स्कीमों में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया. कुल मिलाकर 27 करोड़ रुपये से अधिक की अनियमितताएं सामने आई हैं, जिनकी वसूली के आदेश दिए गए हैं.

इन अधिकारियों को किया गया बर्खास्त

  • मीना श्रीवास्तव, तत्कालीन श्रावस्ती जिला समाज कल्याण अधिकारी, वर्तमान में भदोही में तैनात हैं. साल 2008-2012 के दौरान उनपर मुख्यमंत्री महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना, शादी-बीमारी योजना और छात्रवृत्ति में फर्जी आवेदन स्वीकृत कराने और खाता संख्याओं में हेरफेर कर धनराशि हड़पने का मामला सामने आया था. अब इनको बर्खास्त करने के साथ-साथ इनसे भ्रष्टाचार के रकम की वसूली करने का आदेश दिया गया है.
  • करुणेश त्रिपाठी (तत्कालीन मथुरा जिला समाज कल्याण अधिकारी, निलंबित) पर निजी आईटीआई संस्थानों को अनियमित छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति का भुगतान आरोप लगा था. इस दौरान 11 मान्यताविहीन संस्थानों को 2.53 करोड़ देने, जिसमें 2 से 51 साल के ‘छात्रों’ को फर्जी प्रवेश दिलाए गए. आरोप साबित होने के बाद अब करुणेश त्रिपाठी से 19.25 करोड़ की वसूली होगी.
  • संजय कुमार ब्यास (तत्कालीन हापुड़ जिला समाज कल्याण अधिकारी, निलंबित) पर 2012-13 में 2.74 करोड़ की छात्रवृत्ति सीधे छात्रों को भेजने की बजाय संस्थाओं के खातों में भेजने का आरोप लगा था. आरोप साबित होने के बाद संजय कुमार ब्यास से 3.23 करोड़ की वसूली आदेश दिया गया.
  • राजेश कुमार (तत्कालीन शाहजहांपुर जिला समाज कल्याण अधिकारी, निलंबित) पर 2022-23 में राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना में अपात्रों को लाभ देकर 2.52 करोड़ का गबन. सरकार राजेश कुमार से गबन राशि की वसूली करने का आदेश दिया है.

रिटायर्ड अधिकारियों के खिलाफ भी सख्ती

  • श्रीभगवान (तत्कालीन औरेया जिला समाज कल्याण अधिकारी, 2018-2020) पर वृद्धावस्था पेंशन में 251 लाभार्थियों के खाते बदलकर 33.47 लाख अन्य व्यक्तियों के अकाउंट में भेजने का आरोप लगा था. अब आरोप में साबित होने के बाद उनसे 20 लाख की वसूली की जाएगी और पेंशन से 10% स्थायी कटौती भी की जाएगी.
  • विनोद शंकर तिवारी (तत्कालीन मथुरा जिला समाज कल्याण अधिकारी, 2015-2020) पर 11 मान्यताविहीन आईटीआई को 2.53 करोड़ का भुगतान करने का आरोप लगा था. इसके अलावा 5133 छात्रों को बिना परीक्षा छात्रवृत्ति देने का भी मामला सामने आया था. अब जांच में आरोप साबित होने के बाद उनसे 1.96 करोड़ की वसूली और पेंशन में 50% कटौती की जाएगी.
  • उमा शंकर शर्मा (तत्कालीन मथुरा जिला समाज कल्याण अधिकारी, 2015-2020) पर 11 मान्यताविहीन संस्थानों को 2.53 करोड़ देने का आरोप साबित हुए हैं. इसके अलावा वह 5526 अतिरिक्त छात्रों को फर्जी भुगतान के मामले में दोषी पाए गए हैं. अब इनसे 88.94 लाख की वसूली होगी और पेंशन में 50% कटौती.

अन्य दबे हुए मामलों पर भी होगी कार्रवाई

भ्रष्टाचार का काला चेहराये मामले समाज कल्याण विभाग की उन योजनाओं को निशाना बनाते हैं, जो गरीबों, वृद्धों और छात्रों के लिए बनाई गई हैं. फर्जी दस्तावेज, खाता हेरफेर और संस्थागत साठगांठ से करोड़ों का नुकसान हुआ. विशेषज्ञों का कहना है कि डेढ़ दशक पुरानी फाइलों का साफ होना विभागीय पारदर्शिता की दिशा में सकारात्मक कदम है.मंत्री अरुण ने कहा, “ऐसे और मामले जो दबे पड़े हैं, उनमें भी शीघ्र कार्रवाई होगी. भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में कोई ढील नहीं बरती जाएगी.