काशी सब पर भारी… सभी टूरिस्ट डेस्टिनेशन को छोड़ा पीछे; नए साल पर अभी से श्रद्धालुओं का हुजूम
नए साल के लिए वाराणसी देश का सबसे हॉट डेस्टिनेशन बन गया है. 25 दिसंबर से काशी में पर्यटकों की संख्या में भारी उछाल आया है. प्रतिदिन चार लाख से अधिक तीर्थ यात्री श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन कर रहे हैं. भारी भीड़ को देखते हुए सभी तरह के वीआईपी, प्रोटोकॉल और स्पर्श दर्शन पर रोक है.
सुमित्रा देवी अपने पूरे परिवार के साथ असम के शिवसागर से आई हैं. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन के बाद अस्सी घाट पर आरती देखने के लिए पहुंची हैं. उन्होंने टीवी 9 को बताया कि ये पहला मौका है जब वो काशी आई हैं और वो चाहती हैं कि नए साल का स्वागत बाबा विश्वनाथ के दर्शन पूजन और पुण्य भूमि काशी भ्रमण के साथ हो.
ये परिवार अकेला ऐसा नहीं सोच रहा बल्कि हज़ारों काशी आ रहे हैं कि परिवार के कल्याण और सुख समृद्धि के लिए बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद लेकर संगम में स्नान कर अयोध्या में रामलला के दर्शन कर नए साल में प्रवेश करें. पर्यटन के एक्सपर्ट इसे सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और आध्यात्मिक त्रिकोण (काशी-अयोध्या-प्रयागराज) का अविर्भाव मान रहे हैं, जिसने पारंपरिक पर्यटन को पीछे छोड़ दिया है.
गोल्डन ट्रायंगल को आध्यात्मिक त्रिकोण ने किया रिप्लेस
ऑल इंडिया टूरिस्ट फेडरेशन के कोऑर्डिनेटर अशोक कुमार सिंह कहते हैं कि देश के पर्यटन में सबसे बड़ा हिस्सा पहले गोल्डन ट्रायंगल का हुआ करता था. गोल्डन ट्रायंगल का मतलब है जयपुर-दिल्ली-आगरा. लेकिन इस गोल्डन ट्रायंगल को स्परिचुअल ट्रायंगल ने रिप्लेस कर दिया है. स्परिचुअल ट्रायंगल यानी कि काशी-अयोध्या और प्रयागराज. इस स्परिचुअल ट्रायंगल का लाभ तीनों शहरों और उत्तर प्रदेश को भरपूर मिला है.
महाकुम्भ का लाभ प्रयागराज के साथ-साथ काशी और अयोध्या को मिला है तो देव दीपावली का लाभ काशी के साथ साथ प्रयागराज और अयोध्या को भी मिला. प्राण प्रतिष्ठा के बाद से भव्य राम मंदिर का दर्शन करने जो टूरिस्ट आ रहे हैं वो इस तरीके से अपना टूर प्लान करते हैं कि तीनों जगह वो देख कर आएं. इस स्परिचुअल टूरिज़्म ने विशेष रूप से ईयर एन्ड पर काशी में पर्यटकों की भीड़ बढ़ा दी है.
रोज 4-5 लाख श्रद्धालु कर रहे हैं बाबा विश्वनाथ के दर्शन
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भारी भीड़ को देखते हुए सभी तरह के वीआईपी, प्रोटोकॉल और स्पर्श दर्शन पर रोक लगा दी है. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के सीईओ विश्वभूषण मिश्रा ने बयान जारी कर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते इसपर रोक लगा दिया है. वहीं, 25 दिसंबर से रोज़ चार से पांच लाख श्रद्धालु मंदिर में दर्शन कर रहे हैं. नए साल में ये संख्या सात लाख के आसपास हो सकती है.
नव वर्ष को देखते हुए नमो घाट पर भीड़ बढ़ने पर डायवर्जन लागू किया जाएगा. पड़ाव से राजघाट की तरफ किसी प्रकार का कोई गतिविधि बंद नहीं किया जाएगा. यदि नमो घाट की तरफ आवश्यकता से अधिक दबाव होता है तो इस दशा में अंतिम विकल्प के रूप में डायवर्जन का प्रयोग किया जा सकता है. 31 दिसंबर और एक जनवरी के लिए डायवर्जन प्लान तैयार किया है.
प्रशासन का डायवर्जन इस प्रकार है, कई रास्ते डायवर्ट
31 दिसंबर से भीड़ बढ़ने पर अमर उजाला जगतगंज तिराहे, लहुराबीर, मैदागिन, विशेश्वरगंज और गोलगड्डा तक किसी भी प्रकार के चार पहिया बड़े वाहन (आर्मेनिया, टेंपो ट्रेवलर) आदि का संचालन नहीं होगा.वाहनों को लकड़मंडी, तेलियाबाग की तरफ डायवर्ट किया जाएगा. रविंद्रपुरी स्थित बाबा कीनाराम मठ, ब्रॉडवे तिराहा, अग्रवाल तिराहा, सोनारपुरा और गोदौलिया की तरफ चार पहिया वाहन बैन रहेगा.
गोलगड्डा से वाहनों को विशेश्वरगंज की तरफ नहीं जाने दिया जाएगा. इन वाहनों को राजघाट की तरफ डायवर्ट किया जाएगा. भेलूपुर से सोनारपुरा की तरफ किसी भी वाहन को नहीं जाने दिया जाएगा. इन वाहनों को ब्राडवे की तरफ डायवर्ट किया जाएगा. अस्सी की तरफ किसी भी प्रकार के चार पहिया वाहन नहीं जाने दिया जाएगा.
इन वाहनों को रविदास गेट की तरफ डायवर्ट किया जाएगा. नगवा चौराहा से किसी भी प्रकार के वाहन को रविदास घाट, अस्सी घाट की तरफ नहीं जाने दिया जाएगा. इन वाहनों को ट्रॉमा सेंटर की तरफ डायवर्ट किया जाएगा.पद्मश्री चौराहे से किसी भी प्रकार के वाहन को अस्सी की तरफ नहीं जाने दिया जाएगा. इन वाहनों को रविन्द्रपुरी की तरफ डायवर्ट किया जाएगा.
बेहतर कानून व्यवस्था, बिजली सप्लाई भी बड़ा कारण
शैलेश त्रिपाठी पर्यटन के क्षेत्र में पिछले 40 सालों से सक्रिय हैं. इनका मानना है कि बेहतर कानून व्यवस्था और बिजली की निर्बाध आपूर्ति ने भी काशी में पर्यटन बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई है. आप अस्सी घाट पर रात के दो ढाई बजे चले जाइए. आपको युवकों और युवतियों की भारी भीड़ मिलेगी. आधी रात को बिना किसी भय के घूमने की आजादी शहर के प्रति विश्वास को बढ़ाता है.
कानून व्यवस्था में सुधार से श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या निःसंदेह बढ़ी है. एक समय वो भी था कि गोदौलिया से दशास्वमेध घाट के बीच डीजल से चलने वाले जेनसेट की वजह से ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण के कारण श्रद्धालुओं और पर्यटकों का बुरा हाल रहता था. क्यूंकि अक्सर शाम को बिजली नहीं रहती थी और व्यापारी जेनसेट के ही सहारे थे.