रोपवे-मेट्रो-इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम… पूर्वांचल के 6 जिलों का इकोनॉमी कैपिटल बनेगा काशी!
प्रधानमंत्री मोदी के 2014 के चुनाव के बाद से वाराणसी में तेज़ी से विकास हुआ है. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, रोपवे, मेट्रो, और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स से पूर्वांचल का आर्थिक विकास को गति मिलने की उम्मीद है. इससे क्षेत्र के रोजगार और पर्यटन को बढ़ावा मिला है. हालांकि, अभी भी वाराणसी में औद्योगिक विकास की आवश्यकता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब साल 2014 में चुनाव लड़ने बनारस आए, उस समय उनके दिमाग में काशी के विकास को लेकर ठोस प्लान था. लक्ष्य तय किया था कि काशी को पूर्वांचल का इकोनॉमिक कैपिटल बनाना है. उनका मानना था कि काशी को धुरी मानकर पूर्वांचल में विकास को गति देने और आधारभूत संरचना में क्रांतिकारी बदलाव करने से ही वास्तविक विकास हो सकेगा. इसी सोच के आधार पर उन्होंने काम भी शुरू किया था. अब 11 साल बाद उनके प्रयासों का परिणाम धीरे धीरे सामने आने लगा है. वाराणसी में चीज़ें बहुत तेजी से बदल रही हैं. इसी के साथ एक क्लियर पिक्चर धीरे-धीरे सामने आने लगी है.
बीते 11 सालों में सड़कों का जाल, कार्गो सिस्टम और बंदरगाह जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स वाराणसी को मिले. श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, रोप वे, मेट्रो और इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम के भी प्रोजेक्ट चालू हैं. इनके बनने से वाराणसी की इकोनॉमी तो बूम करेगी ही. आसपास के आधे दर्जन जिलों की अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी. इस प्रकार लखनऊ के एससीआर (स्टेट कैपिटल रीजन ) की तर्ज पर वाराणसी और आसपास के छह जिलों को मिलाकर पीसीआर (पूर्वांचल कैपिटल रीजन) सेंटर के रूप में तेजी से उभरेगा.
ऐसे पूरा होगा लक्ष्य
पीएम मोदी की सोच के मुताबिक सरकार के पास पूरी योजना पहले से तैयार है और काम शुरू कर दिया गया है. इसमें वाराणसी – प्रयागराज हाईवे पर रोहनिया के गंजारी में वर्ल्ड क्लास क्रिकेट स्टेडियम का काम पिछले दो साल से चल रहा है. ये 450 करोड़ की लागत से बन रहा क्रिकेट स्टेडियम आधुनिक मानकों और सुविधाओं से युक्त काशी की पहचान रखने वाली परम्परागत डिजाईन में तैयार हो रहा है. उम्मीद है कि दिसंबर तक काम पूरा हो जाएगा. गंजारी में ही वाराणसी विकास प्राधिकरण 400 एकड़ में टाउनशिप बसाने जा रहा है. इसके लिए वीडीए की राजस्व टीम स्टेडियम के पास डीह गंजारी, हरपुर, परमपुर आदि गांवों के जमीन चिह्नित करने का काम शुरू कर दिया है.
आकर्षण का केंद्र बनेगी वाराणसी
इस टाउनशिप के साथ साथ स्पोर्ट्स और स्पोर्ट्स बेस्ड और कई अन्य प्रोजेक्ट्स भी हैं. अर्थशास्त्री प्रोफेसर अनूप मिश्र इसे पूल इम्पैक्ट के तौर पर देखते हैं. वह कहते हैं कि अर्थशास्त्र में इसे क्रिएटिव इकॉनमी के रूप में देखा जाता है. गंजारी स्टेडियम से पहले सिगरा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन भी इसी का हिस्सा है. अब पूर्वांचल के कई शहरों से खेल में रूचि रखने वाले और खेल में अपना भविष्य तलाशने वाले वाराणसी आएंगे. प्रोफेसर मिश्र के मुताबिक वाराणसी को भले ही राजधानी के तौर पर मान्यता नही मिली, लेकिन यहां चल रहे डेवलपमेंटल प्रोजेक्ट्स इसे आकर्षण का केंद्र जरूर बना देंगे.
रोपवे से एक लाख लोगों को होगा फायदा
बीते दस सालों में वाराणसी स्पोर्ट्स, बैंकिंग, एन्श्योरेंस, एकेडमिक जैसे सेक्टर में तेजी से उभरा है. नॉलेज पार्क जैसा कांसेप्ट अब वाराणसी में भी दिख रहा है. इसी प्रकार देश का पहला अर्बन रोपवे ट्रांसपोर्ट सिस्टम वाराणसी में शुरू होने जा रहा है. 800 करोड़ का ये प्रोजेक्ट वाराणसी ट्रांसपोर्ट सिस्टम में क्रांति लाने वाला है. देव दीपावली पर इसके शुरू होने के साथ ही पूर्वांचल की अर्थव्यवस्था में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. 800 करोड़ की इस रोपवे परियोजना का फायदा प्रतिदिन एक लाख से अधिक लोगों को मिलेगा. वाराणसी कैंट से गोदौलिया तक की दूरी सिर्फ 16 मिनट में तय होगी. अभी यह दूरी भारी ट्रैफिक और जाम की वजह से 40-45 मिनट में पूरी होती है.
रोपवे से बढ़ेगा पर्यटन-तीर्थाटन
टाउन प्लानर आरसी जैन कहते हैं कि यह रोपवे कुछ सालों तक यूपी का सेंटर ऑफ़ अट्रैक्शन रह सकता है. इसमें आप रोपवे का आनंद लेने के साथ ही मंदिर, घाट, खरीदारी और सांस्कृतिक दर्शन आदि का आनंद भी ले सकेंगे. इससे पर्यटन तो बढ़ेगा ही, तीर्थाटन का भी बेहतर विकल्प मिलेगा. टाउन प्लानिंग या रीजनल डेवलपमेंट के लिहाज से ये एक बेहतरीन मॉडल है. वाराणसी उद्योग व्यापार मंडल के प्रमुख अजीत सिंह बग्गा कहते हैं कि गोदौलिया से चौक और गोदौलिया से सोनारपुरा तक आवागमन बेहतर होने से साड़ी-कपड़ा,फर्नीचर और थोक से जुड़े बाकी आइटम के कारोबार में तेजी आएगी. रही सही कसर यहां मेट्रो आने से पूरी हो जाएगी. इसके लिए सैद्धांतिक मंजूरी पहले ही मिल चुकी है. अब बाकी औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं.
कैंट बनेगा मल्टी मॉडल टर्मिनल
जिलाधिकारी के मुताबिक कैंट स्टेशन को ट्रैफिक का मल्टी मॉडल टर्मिनल बनाया जाएगा. यहां से रोपवे विभिन्न रूटों पर संचालित होगी. कैंट स्टेशन पर मेट्रो, ट्रेन तो आएगी ही, शहर के अंदर एसी बसों को भी कनेक्ट किया जाएगा. फिर इन सभी का इंटीग्रेटेड कॉरिडोर बनेगा. टाउन प्लानर आरसी जैन के मुताबिक वाराणसी में सरकार लाइट मेट्रो लाने की तैयारी में है. इससे पहले मेट्रो की योजना पर फिर से काम शुरू होने की उम्मीद है. इस योजना में भेल से बीएचयू (करीब 19.5 किमी) और सारनाथ से बेनिया (करीब दस किमी ) दो रूट तय किए गए थे. इसमें 5.8 किमी भूमिगत रूट शामिल है. वाराणसी उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष अजीत सिंह बग्गा के मुताबििक छह जिलों और करीब पचास क़स्बों का व्यापार बनारस पर निर्भर है. यहां मेट्रो चलने से कारोबार को एक नई गति मिलेगी.
अब मैन्युफैक्चरिंग हब की जरूरत
बनारस के टाउन प्लानर, अर्थशास्त्री और व्यापारी लगातार बनारस को मैन्युफैक्चरिंग या इंडस्ट्रियल हब बनाने की मांग करते रहे हैं. इन तीनों ही श्रेणी के लोगों का मानना है कि बनारस में सबकुछ अच्छा होने के बावजूद इस बात की कमी खलती है. इकोनॉमिस्ट अनूप मिश्र कहते हैं कि वाराणसी में एक इंडस्ट्रियल कॉरिडोर तो होना ही चाहिए. इसके बिना पूर्वांचल की इकोनॉमी बेहतर हो ही नहीं सकती. एक साथ हज़ारों लोगों को रोज़गार देने की ताकत इंडस्ट्री में है. टाउन प्लानर आरसी जैन कहते हैं कि पिछले 11 साल में वाराणसी में बेहतरीन काम हुआ है. चालीस सालों से जो विकास का पहिया थमा हुआ था उसको गति मिली. लेकिन पीएम के संसदीय क्षेत्र को बीएलडब्ल्यू जैसे एक और बड़े कारखाने की जरूरत है.