कहानी तिरंगी की… जब अंग्रेजों ने तिरंगे पर लगाया था प्रतिबंध तो ये मिठाई बनी

वैसे तो आजादी को लेकर ढ़ेर सारे किस्से मौजूद हैं लेकिन जब 1942 में अंग्रेजी सरकार ने भारत छोड़ो आदोंलन के दौरान तिरंगा फहराने पर पाबंदी लगाई तो काशी के कुछ हलवाइयों ने देशभक्ति की भावना का एक ऐसा नायाब तरीका ढ़ूढ निकाला, जिसका तोड़ अंग्रेजों के पास था ही नहीं. तो आखिर बनारस में बनने वाली तिरंगी मिठाई ने आजादी की लड़ाई में कैसे अहम भूमिका अदा किया. आपको बताते हैं.

तिरंगी मिठाई

सन 1942 में जब गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की रूपरेखा तैयार की तो देश भर में विरोध प्रदर्शन और जुलूसों की झड़ी लग गई. बनारस के लोग भी आजादी की इस लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर साथ देते दिखाई दिए. पूरी काशी में लगातार क्रांतिकारियों का जुलूस निकल रहा था. इसी बीच यहां की कचहरी पर भी तिरंगा झंडा फहराया गया. अगस्त के महीने में बनारस में चार जगहों पर क्रांतिकारियों पर गोलियां चलाई गईं. इन घटनाओं में 15 क्रांतिकारी शहीद हो गए.

2024 में तिरंगी मिठाई को मिला GI टैग

ऐसे हुई शुरुआत

वाराणसी में बढ़ती हिंसा को देखते हुए अंग्रेजी सरकार ने तिरंगा लेकर चलने और फहराने पर पूरी तरीके से प्रतिबंध लगा दिया. अंग्रेजी हुकूमत के इस फैसले के चलते बनारस के बुद्धिजीवी सोच में पड़ गएं कि आखिर अब देश के प्रति समर्पण की भावना और देशभक्ति की भावना को पदर्शित करने का जरिया क्या हो. इसके बाद सामने आएं काशी के हलवाइयों ने देशप्रेम को प्रदर्शित करने का अनोखा तरीका इजाद किया. उन्होंने एक ऐसी मिठाई बनाई जिसमें तिरंगे झंडे के तीनों रूप मौजूद थे.

काशी की खास तिरंगी मिठाई

मिठाईवालों ने ये बताया


आजादी की लड़ाई में इस मिठाई को खासतौर से बनाने वाले मदन गोपाल गुप्ता के प्रपौत्र अरुण गुप्ता ने बताया कि उनके दादा बादाम, पिस्ता और केसर से तिरंगे के रंग वाली बर्फी तैयार करते थे. इसका नाम तिरंगी बर्फी था. कहा जाता है कि इस मिठाई ने आजादी की लड़ाई में देशप्रेम की भावना को फैलाने में अहम भूमिका अदा की.

BHU के प्रोफेसर ने बताया तिरंगी का इतिहास

BHU में इतिहास विभाग के प्रोफेसर ताबिर कलाम बताते हैं कि तिरंगी बर्फी ने लोगों में देशप्रेम की भावना पैदा की. तिरंगे पर लगे प्रतिबंध के चलते तिरंगी बर्फी की उस दौर में डिमांड सबसे ज्यादा थी और इसे तिरंगे के भाव से ही देखा जाता था. ये मिठाई काशी में आज भी खूब बिकती है खासतौर से राष्ट्रीय त्योहारों के मौके पर. 2024 में तिरंगी बर्फी को भारत सरकार की तरफ से GI टैग भी मिल चुका है.