खाली डिब्बे, बक्सों की टूटी कड़ियां, क्या माखनचोर के घर में हो गई चोरी? तहखाने में मिले सांप के जोड़े
वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर का तहखाना खोला गया, जहां बेशुमार खजाने की उम्मीद थी. सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित हाई पॉवर कमेटी को अंदर सांपों के जोड़े और खाली बक्से मिले, कोई दौलत नहीं. वन विभाग की टीम ने सांपों को काबू किया. यह तहखाना 1926 और 1936 में चोरी का शिकार हो चुका है, जिससे खजाने के गायब होने का रहस्य गहरा गया है. गोस्वामी समाज ने फिर चोरी का अंदेशा जताया है.
काफी गहमागहमी के बाद वृंदावन स्थित श्री ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के तहखाने को खोलने और देखने के बाद इसे वापस सील कर दिया गया है. दावा किया जा रहा था कि बांके बिहारी के इस तहखाने में बेशुमार दौलत होगी. सोने-चांदी के जेवर, हथियार नगदी और पुराने सिक्के होंगे. इस लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित हाई पॉवर मैनेजमेंट कमेटी की मौजूदगी में तहखाने के ताले काटे गए. विधि विधान से दरवाजा खोला गया, लेकिन अंदर का दृष्य चौंकाने वाला था. इस तहखाने में कोई खजाना तो मिला नहीं, दो सांप के जोड़ों को देख सबकी सांसे फूल गईं.
स्थिति देखकर आनन फानन में वन विभाग की टीम बुलाई गई. इस टीम ने दोनों सांपों को काबू किया. इसके बाद तहखाने में रखे बक्सों को देखा गया. इस दौरान सभी बक्से खाली पाए गए. वहीं तहखाने में कुछ मिट्टी और धातु के बर्तन पड़े थे. इस दौरान तहखाने में घुसी टीम को ना तो कोई जेवर मिला और ना ही कोई अन्य दौलत. ऐसे में जांच पड़ताल के बाद वापस तहखाने को सील कर दिया गया. इस बीच गोस्वामी समाज का हंगामा भी बदस्तूर जारी रहा. गोस्वामी समाज के लोग शुरू से ही तहखाना खालने का विरोध कर रहे थे.
तोषखाने में क्या कर रहे सांप के जोड़े?
उनका कहना था कि ठाकुर जी के तहखाने में बेशुमार दौलत हो सकती है, लेकिन इस दौलत की सुरक्षा खुद शेषनाग कर रहे हैं. ऐसे में जैसे ही तहखाने में सांप के जोड़ों के मिलने की खबर आई, गोस्वामी समाज ने हंगामा और तेज कर दिया. वहीं जब यह कहा गया कि तहखाने में कोई दौलत नहीं मिली है तो गोस्वामी समाज के लोगों ने कई तरह के सवाल उठाए. कहा कि कहीं एक बार फिर बांके बिहारी मंदिर के तहखाने में चोरी तो नहीं हो गई. कहा कि इस तहखाने में पहले भी दो बार चोरी हो चुकी है.
पहले भी दो बार हो चुकी है चोरी
बांके बिहारी मंदिर के इस तहखाने में पहली बार चोरी साल 1926 में हुई थी. उस समय काफी हंगामा भी हुआ था. मंदिर के सेवायत सदस्य दिनेश गोस्वामी के मुताबिक दूसरी चोरी 1936 में चोरी हुई. उन्होंने बताया कि आज से 54 साल पहले सन 1971 में बांके बिहारी के इस खजाने का गेट खोल गया था. अंदर रखे सामान की जांच की गई और कोर्ट के आदेश पर इसे सील कर दिया गया था.उसके बाद अब ताला काटकर दरवाजा खोला गया है. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इससे पहले ही यहां से सारा माल निकाल लिया गया? उन्होंने सभी संबंधित बातों के रहस्य से पर्दा उठाने की मांग की.
तहखाने में क्या मिला?
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित हाई पॉवर कमेटी के सदस्य सेवायत दिनेश गोस्वामी के मुताबिक कमेटी के सभी सदस्यों की मौजूदगी में तोषखाने के द्वार पर दीप जलाकर पूजन किया गया. इसके बाद तोषखाने पर लगे ताले को खोलने की कोशिश हुई, लेकिन जंग लगे होने की वजह से ताला नहीं खुला तो इसे कटर से काटा गया. इसके बाद जैसे ही दरवाजा खुला, अंदर से जहरीली गैस निकली. इसलिए कमेटी को बाहर खड़े होकर गैस पूरी तरह से निकल जाने का इंतजार करना पड़ा. फिर अंदर देखा गया तो ढेर सारा मलबा पड़ा था. इसकी सफाई कराने के बाद टीम अंदर पहुंची और तोषखाने को चेक किया.
सांप के जोड़े देखकर मची भगदड़
तोषखाने में पहुंची टीम का सामना अचानक से सांप के जोड़ों से हुआ. उसे देखकर भगदड़ मच गई. टीम के सदस्य भागकर बाहर आ गए. इसके बाद वन विभाग की टीम बुलाई गई. इस टीम ने सांपों को काबू किया. इसके बाद फिर दोबारा से तलाशी शुरू हुई. इस दौरान कुछ पीतल के बर्तन, संदूक, लकड़ी का चौखटनुमा मंदिर और आभूषणों के खाली बॉक्स मिले हैं. कमेटी में शामिल एडीएम प्रशासन पंकज कुमार ने बताया कि खजाने में कोई कीमती वस्तु नहीं मिली है. उन्होंने बताया कि अभी तोषखाने में और जांच की जरूरत है. इसके लिए कोर्ट के आदेश से जल्द ही इसे दोबारा खोला जा सकता है.