लाखों रुपए खर्च कर ली डिग्री, फिर भी न लगी सरकारी नौकरी… UP में योग प्रशिक्षकों का बुरा हाल!
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर, योग में डिग्रीधारी हज़ारों छात्र बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे हैं. सरकारी स्कूलों में योग प्रशिक्षकों की भारी कमी के बावजूद, कोई भर्ती नहीं हो रही है. छात्रों ने सरकार से योग शिक्षकों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने की मांग की है.

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस कल शनिवार (21 जून) को पूरे देश और दुनिया में मनाया जाएगा. इस साल की थीम ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग’ रखा गया है. इस साल योग दिवस अपनी 11वीं वर्षगांठ मना रहा है. ऐसे में लाखों रुपए खर्च कर योग में डिग्री लिए कई छात्र बेरोजगार घूम रहे हैं. योग दिवस से पहले उन तमाम छात्रों ने अपनी पीड़ा जाहिर की है और सरकार से वैकेंसी निकालने की गुहार लगाई है.
इन छात्रों का कहना है कि पिछले कई सालों से सरकारी विद्यालयों या संस्थाओं में ‘योग प्रशिक्षकों’ को लेकर कोई भर्ती नहीं आई है. हज़ारों रुपये खर्च करके हम कोर्स करते हैं लेकिन कोई सरकारी नौकरी नहीं है, प्राइवेट स्कूलों में योग सिखाने के 12 से 14 हजार की नौकरी मिलती है लेकिन शोषण उससे कहीं ज़्यादा है, हम क्या करें कहां जाएं? डिग्री धारक ने इस योग दिवस पर मुख्यमंत्री से भर्ती की घोषणा करने का आग्रह किया है.
ये कोर्स क्यों किया? ख़ुद को कोस रहे छात्र
काशी विधापीठ के सुनील कुमार ने सीएम योगी से योग शिक्षकों के लिए वैकेंसी निकाले की गुहार लगाई है. ऐसे में सवाल है कि पूरा देश अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मना रहा है. लेकिन जो योग कराने की बकायदे पढ़ाई कर के डिग्री /डिप्लोमा लेकर विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों से निकल रहे हैं वो क्या कर रहे हैं? बेरोजगारी के इस जंजाल में वो ख़ुद को कोस रहे हैं कि हमने ये कोर्स क्यों किया, जब सरकार इसमें भर्ती ही नहीं निकाल रही है?
ये सुनील तिवारी की अकेले की समस्या नहीं है. ये सवाल हज़ारों बेरोज़गार योग प्रशिक्षकों की है जो सरकारी नौकरियों की तलाश में हैं. 2015 में जब से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत हुई तब से योग के प्रति सरकारों का ये नजरिया था कि योग के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ने से विद्यालयों और संस्थानों में यहां तक कि सरकारी और प्राइवेट कार्यालयों में भी योगा टीचर्स और योग प्रशिक्षकों की भारी डिमांड होगी.
योग प्रशिक्षकों का भविष्य अंधकारमय
लेकिन, दस साल बाद आज यूपी में स्थिति ये है कि प्राइवेट स्कूलों में और संस्थानों में तो योग प्रशिक्षकों की नियुक्ति हुई है. लेकिन सरकारी विद्यालयों और संस्थानों में अब तक कोई नियुक्ति नहीं आई है. काशी विद्यापीठ के ही रूद्र सिंह योग में डिप्लोमा और एमए दोनों किए हुए हैं. इनका कहना है कि सरकार जबतक प्राइमरी एजुकेशन में योग को शामिल नहीं करेगी तब तक योग प्रशिक्षकों का भविष्य अंधकारमय ही रहने वाला है.
योग में डिप्लोमा किए अरुण मौर्या कहते हैं कि आज हर तरफ योग-योग हो रहा है लेकिन योग कराएगा कौन? इसपर बात ही नहीं हो रही है. आज योग में डिग्री/डिप्लोमा लिए हुए छात्रों के पास सिर्फ एक ही विकल्प है कि वो प्राइवेट स्कूल में महज कुछ हज़ार रुपये की नौकरी करे. आयुष विभाग दो चार वेकेंसी एडहॉक पर निकालता है वो भी दो चार साल में एक बार. उसमें भी सैलरी की जगह मानदेय ही चलता है. उत्तर प्रदेश में योग के शिक्षकों/प्रशिक्षकों की नियुक्ति एक बड़ा मुद्दा रहा है.
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