कभी चुनावों में जीत की गारंटी था, रेप केस में अब काट रहा 15 साल की सजा; बाहुबली विजय मिश्रा की कहानी
पूर्व बाहुबली विधायक विजय मिश्रा का एक समय में भदोही के साथ-साथ प्रयागराज, मिर्जापुर और उससे सटे अन्य जिलों में खूब दबदबा था. जरायम की दुनिया में एंट्री करने के बाद उसके खिलाफ 83 केस दर्ज हुए. इनमें अभी तक केवल 4 मामलों में ही सजा हुई है, जबकि उनके खिलाफ दर्ज 13 केस विचाराधीन हैं.

भदोही के ज्ञानपुर विधानसभा का धानापुर गांव , वाराणसी से सिर्फ 50 किलोमीटर दूर है. इस गांव से जुड़ा है पूर्वांचल के एक बड़े बाहुबली का नाम, जो ज्ञानपुर विधानसभा सीट से लगातार 4 बार विधायक भी चुना गया. यह शख्स ज्ञानपुर, भदोही, मिर्जापुर समेत पूर्वांचल की कई अन्य सीटों पर जीत की गारंटी भी माना जाता था. विजय मिश्रा नाम के इस बाहुबली विधायक ने जिस भी राजनीतिक दल का दामन थामा, अपने इलाके में उसकी नैय्या पार लगा दी. फिलहाल, यह पूर्व विधायक रेप केस में 15 साल की कठोर सजा काट रहा है.
विजय मिश्रा का जन्म प्रयागराज जिले के हंडिया थाने के खपटिया गांव में हुआ था. परिवार की माली हालात अच्छे नहीं थे इसलिए जवानी की दहलीज पर पहुंचते ही 1980 के दशक में नौकरी की तलाश में वह भदोही चले आए. सबसे पहला काम कालीन व्यापारी के यहां शुरू किया. यहां वह वसूली का काम करने लगे. यहां अपने तेज-तर्रार स्वभाव, मजबूत कदकाठी और शातिर दिमाग भरपूर इस्तेमाल किया. वह लोगों को ऐसे शातिराना तरीके से धमकाते थे कि सामने वाला उन्हें तुरंत पैसा देने को तैयार हो जाता था. अपने इसी काम के चलते वह धीरे-धीरे लोगों के बीच मशहूर होते गए. फिर उन्होंने पेट्रोल पंप खरीदा, साथ ही अपना ट्रक भी चलवाने लगे.
ब्राह्मण राजनीति को किया कैश
जिस दौर में विजय मिश्रा वसूली के काम की शुरुआत की. उस दौर में पूर्वांचल में ब्राह्मण और ठाकुर राजनीति अपने चरम पर थी. हरिशंकर तिवारी उस समय तक बड़े नाम हो चुके थे, लेकिन उनकी पहुंच भदोही और वाराणसी तक नहीं थी. ऐसे में यहां ब्राह्मण राजनीति का स्पेस खाली था. इसी का विजय मिश्रा ने बखूबी फायदा उठाया. ब्राह्मणों के बीच पैठ बनाने की शुरुआत की.
विजय मिश्रा जब खुद को ब्राह्मणों का नेता साबित करने में लगे हुए थे. उस वक्त भदोही में बाहुबली उदयभान सिंह उर्फ डॉक्टर सिंह का सिक्का चलता था. ऐसे में उनसे त्रस्त ब्राह्मणों ने विजय मिश्रा को अपना नेता मान लिया. फिर कांग्रेस नेता कमलापति त्रिपाठी के साथ उन्होंने नजदीकियां बढ़ाई, जो आगे चलकर उन्हें ब्राह्मण राजनीति में स्थापित करने में बहुत काम आई.
विजय मिश्रा के खिलाफ 83 केस है दर्ज
जरायम की दुनिया में खुद को अच्छे से स्थापित करने के बाद फिर उन्होंने अपना रूख सियासत की ओर कर लिया. इस दौरान उनके बाहुबल का दबदबा भदोही के साथ-साथ प्रयागराज, मिर्जापुर समेत पूर्वांचल अन्य जिलों में भी रहा. बता दें कि विजय मिश्रा के खिलाफ 83 केस दर्ज हैं. इनमें अभी तक केवल उन्हें 4 मामलों में ही सजा हुई है, जबकि उनके खिलाफ दर्ज 13 केस विचाराधीन हैं.
4 बार के विधायक रहे हैं विजय मिश्रा
विजय मिश्रा ने सबसे अपना सबसे पहला चुनाव 1990 में भदोही से ब्लॉक प्रमुख का लड़ा और जीता. फिर 2002 में मुलायम सिंह यादव के कहने पर समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा. पहली बार में ही विधायकी जीत लिया. दरअसल उस दौरान ज्ञानपुर के तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष शिव करण यादव ने मुलायम सिंह यादव को कुछ अपशब्द कह दिया था. ऐसे में विजय मिश्रा और उसके लोगों को सपा ने ज्ञानपुर, भदोही और मिर्जापुर विधानसभा का टिकट दिया. विजय मिश्रा ने तीनों सीट पर समाजवादी पार्टी को जीत दिला दी. ऐसे में विजय मिश्रा का राजनीतिक कद तेजी से बढ़ने लगा. फिर विजय मिश्रा 2007 और 2012 में जेल में रहते हुए समाजवादी पार्टी की टिकट पर, तो निषाद पार्टी से साल 2017 में विधायक बने. मोदी लहर में भी वह अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे थे.
अब कैसी है विजय मिश्रा की राजनीतिक स्थिति?
फिलहाल, विजय मिश्रा के सितारे गर्दिश में है. साल 2020 में पूर्व विधायक विजय मिश्रा के खिलाफ एक महिला गायिका ने रेप का केस दर्ज कराया था. इस मामले में वह 15 साल की सजा काट रहे हैं. इन सबके बावजूद भदोही और उसके आसपास के क्षेत्रों का ब्राह्मण बाहुल्य होने के उनकी यहां अच्छी पकड़ है. उनके बारे में कहा जाता है कि अपने बाहुबल का इस्तेमाल कर वह लोगों की समस्याएं आसानी से सुलझा देते थे. जमीन, प्रॉपर्टी आदि के झगड़ों में लोग उनको मध्यस्थ बनाया करते थे. ऐसे में विजय मिश्रा जेल में रहते हुए चुनाव तो नहीं लड़ सकते हैं, लेकिन अब भी वह जिस दल का साथ देंगे, उसका इस क्षेत्र में सामने वाली पार्टियों पर पलड़ा भारी होने की संभावना है.