‘सहभोज’ पर BJP अध्यक्ष के तेवर से नाराजगी! राजनीतिक गुरू को करना पड़ा डैमेज कंट्रोल, विपक्ष ने बनाया मुद्दा

उत्तर प्रदेश भाजपा में ब्राह्मण विधायकों की बैठक पर अध्यक्ष पंकज चौधरी के सख्त बयान से नाराजगी है. वहीं विपक्ष भी इसे 'ब्राह्मण विरोधी' बताकर माहौल बना रहा है. हालात संभालने के लिए पंकज चौधरी के गुरु डॉ. रमापति राम त्रिपाठी डैमेज कंट्रोल में जुटे हैं. वह नाराज ब्राह्मण नेताओं से मिलकर 2027 चुनाव से पहले पार्टी के कोर वोट बैंक को शांत करने का प्रयास कर रहे हैं.

यूपी बीजेपी में डैमेज कंट्रोल Image Credit:

उत्तर प्रदेश बीजेपी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा. खासतौर पर ब्राह्मण विधायकों के ‘सहभोज’ पर मचा बवाल तो थमने का ही नाम नहीं ले रहा. पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी के सख्त तेवर से एक तरफ ब्राह्मण खेमा नाराज है, वहीं विपक्ष ने इसे ‘ब्राह्मण विरोधी’ रवैया बताकर पार्टी की सिरदर्दी बढ़ा दी है. अब इस आगलगी में डैमेज कंट्रोल करने पंकज चौधरी के राजनीतिक गुरू और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रमापति राम त्रिपाठी मैदान में उतर चुके हैं.

देवरिया से पूर्व सांसद डॉ. रामापति राम त्रिपाठी ने ब्राह्मण नेताओं से बंद कमरों में मुलाकात शुरू कर दी है. इसी क्रम में वह सभी से फोन पर बात करके भी स्थिति को संभालने की कोशिश कर रहे हैं. इस बवाल की शुरुआत 23 दिसंबर को कुशीनगर से भाजपा विधायक पीएन पाठक के लखनऊ स्थित सरकारी आवास पर हुई बीजेपी के ब्राह्मण विधायकों की अनौपचारिक बैठक से हुई. इसमें करीब 40-50 ब्राह्मण विधायक-विधान पार्षद शामिल हुए थे.

पंकज चौधरी ने दी थी चेतावनी

चर्चा है कि इस बैठक में पार्टी और सरकार में ब्राह्मणों की कथित उपेक्षा का मुद्दा उठा. खबर बाहर आने पर नवनियुक्त अध्यक्ष पंकज चौधरी ने तुरंत सख्त बयान जारी किया. कहा कि जातिगत बैठकें पार्टी संविधान के खिलाफ हैं, इससे समाज में गलत संदेश जाता है और भाजपा की सर्वसमावेशी छवि को नुकसान पहुंचता है. उन्होंने दोहराने पर अनुशासनहीनता मानकर कार्रवाई की चेतावनी भी दी. इससे ब्राह्मण नेताओं में हड़कंप मच गया. कई नेता मान रहे हैं कि कुर्मी समुदाय से आने वाले नए अध्यक्ष ने जानबूझकर ब्राह्मणों को दबाने की कोशिश की है.

विपक्ष ने भी लपक लिया मामला

पार्टी के अंदर उठे इस बवंडर को विपक्ष ने लपक लिया. खुद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए कहा कि ठाकुरों की बैठक पर चुप्पी और ब्राह्मणों पर फरमान. कांग्रेस और बसपा ने भी इसे ब्राह्मण विरोध करार दिया. हालांकि आयोजक पीएन पाठक ने सोशल मीडिया पर पलटवार किया. उन्होंने लिखा कि “जय श्री राम, जय सनातन, जय भाजपा. सनातन परंपरा में ब्राह्मण समाज का मार्गदर्शक और संतुलनकर्ता है.” हालांकि इतने समय में बात दूर तक जा चुकी थी.

गुरू की शरण में पार्टी

मामला गहराते देख बीजेपी राज्य प्रमुख पंकज चौधरी अपने राजनीतिक गुरू रमापति राम त्रिपाठी की शरण में पहुंच गए हैं. गुरू ने मोर्चा भी संभाल लिया है और नाराज ब्रह्मण लाबी को मनाने की कोशिश कर रहे हैं. बता दें कि 1989 में जब पंकज चौधरी ने गोरखपुर नगर निगम पार्षद चुनाव में उतरे, उस समय रामापति त्रिपाठी का मार्गदर्शन मिला था. बाद में महराजगंज से सांसद बनने और पार्टी में ऊंचाई तक पहुंचने में भी उनका बड़ा योगदान रहा.

क्या है इस कवायद की वजह?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2024 लोकसभा चुनावों में ब्राह्मण वोटों के कुछ खिसकने का सबक भाजपा को याद है. यूपी में ब्राह्मण विधायकों की संख्या 50 से ज्यादा है, जो पार्टी का कोर वोट बैंक हैं. 2027 विधानसभा चुनाव से पहले यह विवाद बड़ा झटका बन सकता था. रामापति त्रिपाठी का मैदान में उतरना एक तरह से हाईकमान का स्पष्ट संकेत है कि ब्राह्मण खेमे को मनाना जरूरी है. पूर्वांचल के दिग्गज ब्राह्मण नेता के तौर पर रामापति की बात का वजन है. फिलहाल, ब्राह्मण विधायक शांत तो हो रहे हैं, लेकिन पूरी तरह संतुष्ट नहीं. खुद पीएन पाठक भी सनातन और भाजपा की एकजुटता की बात कर रहे हैं.