‘पनौती है RLD…’ BJP के मंत्री के बयान पर जयंत की पार्टी का पलटवार, विधानसभा चुनाव से पहले क्यों खिंची तलवारें?
उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी के मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण द्वारा आरएलडी को 'पनौती' बताए जाने के बाद राजनीतिक बवाल शुरू हो गया है. मंत्री के इस बयान पर जयंत चौधरी की पार्टी ने पलटवार किया है. एक तरफ मंत्री लक्ष्मी नारायण ने आरएलडी को बीजेपी की चुनावी संभावनाओं के लिए हानिकारक बताया, तो आरएलडी ने भी मंत्री पर मानसिक संतुलन खोने का आरोप लगाया. यह विवाद छाता सीट को लेकर सामने आया है.

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव अभी दूर है, लेकिन अभी से एनडीए गठबंधन के अंदर सहयोगियों में तलवारें खींच चुकी हैं. बीते लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आरएलडी को पनौती बताते हुए खिलाफ बीजेपी के मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने तगड़ा प्रहार किया है. वहीं आरएलडी के नेता और जयंत चौधरी के करीबी ठाकुर तेजपाल सिंह ने बीजेपी और मंत्री पर पलटवार करने में देरी नहीं की. दोनों के बीच जमकर वाकयुद्ध हुआ और कारण बनी दोनों की परंपरागत सीट छाता.
इसी प्रकार 2002 में राजनाथ सिंह के समय बीजेपी को महज 86 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था. उन्होंने कहा कि यह पार्टी 2011 में कांग्रेस के साथ गई तो 2014 में उन्हें भी सत्ता से बाहर होना पड़ा था. अखिलेश के साथ ये लोग गए तो वह अब तक पटरी पर नहीं लौट पाए हैं. इसी क्रम में मंत्री ने अपने धुर विरोधी ठाकुर तेजपाल सिंह पर भी हमला किया. कहा कि वह तो फ्यूज ट्रांसफारमर हैं. कहा कि ये बाप-बेटे दोनों उनके सामने हार चुके हैं. ये लोग सपा में शामिल होने वाले थे, लेकिन जयंत चौधरी ने छाता सीट का लालच देकर रोक लिया था. उधर, आरएलडी के नेता ठाकुर तेजपाल सिंह ने करारा जवाब दिया है. उन्होंने चौधरी लक्ष्मी नारायण को मंत्रीमंडल से हटाने की मांग करते हुए कहा कि वह अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं.
मंत्री ने किया तीखा हमला
दरअसल, यूपी में गन्ना विकास मंत्री और बीजेपी नेता चौधरी लक्ष्मी नारायण ने कहा कि सपा और आरएलडी पट्टपांव (पनौती) हैं. ये जिनके साथ रहते हैं, उसका सूपड़ा साफ हो जाता है. वह यहीं नहीं रूके, उन्होंने कहा कि लोक सभा चुनाव में बीजेपी 400 से अधिक सीटें जीतने वाली थी, लेकिन आरएलडी से गठबंधन के बाद महज 240 सीटों पर ही सिमट जाना पड़ा. यहां तक कि मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, कैराना में पार्टी को अपनी सीटें गंवानी पड़ी थी. मंत्री ने कहा कि उन्होंने साल 2000 में मंत्री रहते हुए राजनाथ सिंह के सामने आरएलडी से गठबंधन का विरोध करते हुए कहा था कि यह पट्टपांव पार्टी है. बावजूद इसके यह बीजेपी गठबंधन में सहयोगी बनी और इसके चलते तीन बार के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की 2004 में सत्ता गंवानी पड़ी थी.
आरएलडी ने दिया ऐसे जवाब
उन्होंने कहा कि जयंत चौधरी ने वादा किया कि छाता सीट रालोद को मिल रही है और यहां से उनके बेटे का टिकट फाइनल है. इस संबंध में मंत्री का बयान आरएलडी ने बीजेपी के खिलाफ है और इससे साफ हो गया है कि बीजेपी का बंटाधार होने वाला है. उन्होंने कहा कि इन लोगों को गठबंधन धर्म का भी ज्ञान नहीं है. उन्होंने कहा कि लक्ष्मी नारायण यह भी भूल चुके हैं कि वह खुद रालोद के गर्भ से उपजे हैं. उन्होंने कहा कि 1984 के चुनाव में इनके लिए चौधरी चरण सिंह ने झोली फैला दी थी, तब ये एमएलए बने. इसके बाद वह लगातार 1989, 1991 व 1993 का चुनाव हारे हैं. 1996 में ये रालोद-कांग्रेस-बसपा गठबंधन में जीत तो गए, लेकिन बीजेपी की गोदी में जाकर मंत्री बन गए.



