RLD को बताया था पनौती, अब बदल गए मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण के सुर; क्या BJP से मिली फटकार?

यूपी के मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने आरएलडी पर दिए अपने बयान से यू-टर्न ले लिया है. उन्होंने अब आरएलडी को अपना सहयोगी करार दिया है. मंत्री ने कहा कि उनका इरादा किसी को ठेस पहुंचाने का नहीं था, उनके बयान को अलगाव की तरह पेश किया गया.

मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण सिंह (फाइल फोटो)

यूपी में गन्ना विकास मंत्री और बीजेपी नेता चौधरी लक्ष्मी नारायण सिंह ने राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) को पट्टपांव (पनौती) बताया था. इस बयान के बाद राजनीतिक बवाल शुरू हो गया था. क्योंकि, वर्तमान में बीजेपी और आरएलडी एनडीए का हिस्सा है. इस बीच गुरुवार को मंत्री लक्ष्मी नारायण ने अपने बयान पर यू-टर्न ले लिया है.

कैबिनेट मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण सिंह ने आरएलडी पर दिए बयान से पलटी मार लिए हैं. जिन्होंने दो दिन पनौती बताया था अब वह RLD को अपना मित्र बता रहे हैं. मंत्री ने अपने बयान पर कहा कि मेरा इरादा किसी को ठेस पहुंचाने का नहीं था. RLD और BJP एक दूसरे के सहयोगी हैं. उनका कहना है कि उनके बयान को गलत पेश किया गया.

क्या मंत्री जी BJP से मिली फटकार?

बीजेपी नेता और मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण दो दिन बाद ही अपने बयान से पलटी मार दी. उन्होंने अपने बयान में आरएलडी पर कई बड़ा प्रहार किया था. इसपर RDL ने विरोध जताया था. इसके बाद यूपी बीजेपी ने मंत्री के बयान से किनारा भी किया था. अब अचानक गन्ना मंत्री के सुर बदल गए. मंत्री ने कहा, ‘RLD या उसके नेताओं से कोई मतभेद नहीं हैं.’

सूत्रों के मुताबिक, BJP नेतृत्व की कड़ी फटकार के बाद मंत्री बैक फुट पर आए हैं. उन्हें इस सिलसिले में शिर्ष नेतृत्व से फोन आया था. वहीं, मंत्री ने कही, ‘मैने हमेशा RLD अध्यक्ष का सम्मान किया है. हमने मिलकर काम किया है और आगे भी मिलकर ही काम करेंगे. विरोधियों ने मेरे बयान को अलगाव की तरह पेश किया. मेरी कोई बात बुरी लगी तो मैं स्वीकार करता हूं.’

मंत्री लक्ष्मी नारायण ने क्या कहा था?

बीजेपी नेता लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा था कि सपा और आरएलडी पट्टपांव (पनौती) हैं. ये जिनके साथ रहते हैं, उसका सूपड़ा साफ हो जाता है. लोक सभा चुनाव में बीजेपी 400 से अधिक सीटें जीतने वाली थी, लेकिन आरएलडी से गठबंधन के बाद महज 240 सीटों पर ही सिमट जाना पड़ा.

मंत्री ने कहा कि उन्होंने साल 2000 में मंत्री रहते हुए राजनाथ सिंह के सामने आरएलडी से गठबंधन का विरोध करते हुए कहा था कि यह पट्टपांव पार्टी है. बावजूद इसके यह बीजेपी गठबंधन में सहयोगी बनी और इसके चलते तीन बार के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की 2004 में सत्ता गंवानी पड़ी थी. इसपर आरएलडी ने कहा था कि वह अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं.